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नए व्यापारिक मॉडल की ओर बढ़ती फेसबुक की कथा

यह कौन जानता था कि 13 साल पहले हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए बनाई गई बेवसाइट फेसबुक  पूरी दुनिया में इस कदर छा जाएगी कि वह संचार के वैकल्पिक साधन के तौर पर उपयोग में आने लगेगी? करीब...

नए व्यापारिक मॉडल की ओर बढ़ती फेसबुक की कथा
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 05 Feb 2017 10:19 PM
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यह कौन जानता था कि 13 साल पहले हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए बनाई गई बेवसाइट फेसबुक  पूरी दुनिया में इस कदर छा जाएगी कि वह संचार के वैकल्पिक साधन के तौर पर उपयोग में आने लगेगी? करीब हर महीने दो अरब सक्रिय उपभोक्ताओं के साथ फेसबुक की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। फेसबुक ने पिछली तिमाही के जो आंकड़े जारी किए, उनके मुताबिक करीब सवा अरब लोग हर दिन फेसबुक पर सक्रिय रहते हैं। आज फेसबुक पूरी दुनिया की करीब 70 भाषाओं में उपलब्ध है और हर दस मिनट में करीब एक लाख फ्रेंड्स रिक्वेस्ट का इस पर आदान-प्रदान होता है और औसतन करीब तीन लाख हर मिनट पर अपना स्टेटस अपडेट करते हैं। यही नहीं, प्रति मिनट फेसबुक पर कमेंट करने वालों की संख्या भी पांच लाख से ऊपर है और हर सेकंड आठ नए उपभोक्ता फेसबुक से जुड़ते हैं। 

तेरह साल में सफलता की यह कहानी किसी तिलिस्मी-कथा जैसी लगती है। मार्क जकरबर्ग, डस्टिन मोस्कोविज, क्रिस ह्यूसेस, एंड्रयू मैकलम और एडुवडार्े सेवरिन के साथ मिलकर फेसबुक की औपचारिक शुरुआत के करीब तीन महीने पहले जकरबर्ग ने हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए ‘फेसमास’ नामक एक साइट बनाई थी। फेसमास के लॉन्च होने के चार घंटे के अंदर ही करीब पांच सौ विजिटर वहां पहुंच, जिन्होंने 20 हजार से ज्यादा फोटो देखे। इस साइट की लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन जकरबर्ग और उनके साथियों ने इसकी सफलता की आहट को भांप लिया और पाबंदी के तीन महीने के अंदर ही फेसबुक की शुरुआत कर दी। बाकी बातें तो इतिहास हैं। 

अब फेसबुक सोशल नेटवर्किंग साइट से आगे बढ़कर दूसरे स्तर पर जाना चाहती है। इन दिनों फेसबुक पर वीडियो की भरमार दिखती है। फेसबुक अन्य वेबसाइट्स को उनके पेज पर किसी भी इवेंट को लाइव करने की सहूलियत प्रदान करने लगी है। फेसबुक के करीब 79 फीसदी उपभोक्ता मोबाइल के माध्यम से वहां सक्रिय रहते हैं। फेसबुक को इसमें अपार संभावना नजर आई है और उसने उपभोक्ताओं को मोबाइल से किसी भी घटना को लाइव करने या फिर सीधे अपना वीडियो पोस्ट करने की सहूलियत दे दी। वीडियो लाइव करने की इस सहूलियत ने फेसबुक पर लाइक्स की संख्या बहुत बढ़ा दी। अब हर मिनट फेसबुक पर पांच लाख लाइक्स के बटन दबते हैं। दरअसल, वीडियो को तरजीह देकर यह यूट्यूब से पिछड़ने की भारपायी करना चाह रही है। फेसबुक के लगभग साल भर बाद शुरू हुए यूट्यूब ने वीडियो का खजाना बनाकर इससे बहुत पैसा कमाया। पिछले दो-तीन साल से फेसबुक किसी न किसी तरह से यूट्यूब को मात देने की जुगत में लगी है। जियो के फ्री डाटा ऑफर और उसके बाद अन्य मोबाइल कंपनियों की डाटा दर में कमी के बाद फेसबुक की सही रणनीति ने उसकी पहुंच बहुत बढ़ा दी है। फेसबुक की चौथी तिमाही की रिपोर्ट में इस बात को माना भी गया है। वीडियो को तरजीह देने और फ्री डाटा की वजह से फेसबुक को इस तिमाही में 51 फीसदी का मुनाफा हुआ। 

एक ताजा सर्वे के मुताबिक, फेसबुक के उपभोक्ता सप्ताह में एक बार कोई न कोई वीडियो अवश्य देखते हैं। मोबाइल ओनली की अवधारणा के साथ फेसबुक ने माना है कि भारत उसके लिए सबसे मजबूत बाजार है, जहां विस्तार की अपार संभावनाएं हैं। अब फेसबुक वीडियो से आगे जाकर इसको टीवी में बदलना चाहती है। वह अपने प्लेटफॉर्म पर ग्राहकों को टीवी की सहूलियत देना चाहती है, लेकिन सोशल नेटवर्किंग साइट से टीवी में बदलना या टीवी की सहूलियतें देना इतना आसान नहीं है। टीवी कंपनियां भी फेसबुक की इस योजना के बाद सतर्क हो गई हैं। उन्होंने भी अपने ग्राहकों, उपभोक्ताओं के टीवी देखने के पैटर्न का विश्लेषण करके आवश्यक बदलाव शुरू कर दिए हैं। खबरों के लिए फेसबुक का सहारा नहीं लिया जा सकता है। फेसबुक ने भले ही लोगों के अकाउंट वेरीफाई किए हैं, लेकिन खबरों की सत्यता जांचने का कोई टूल अभी विकसित नहीं हुआ है। फेसबुक को अगर टीवी की जगह लेनी है, तो उसे कोई ऐसा तंत्र विकसित करना होगा, जिसमें साख पर सवाल न उठे।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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