सिर्फ सीखने में मदद
अक्सर भावुकता और आदत में वह दूसरों की छोटी-मोटी गलती बताने से नहीं चूकते। इसी आदत के कारण तमाम विरोधी पाल लिए। परिवार और रिश्तेदार भी उनकी इस आदत से परेशान। सबकी तमाम कोशिशों के बावजूद उनमें कोई...
अक्सर भावुकता और आदत में वह दूसरों की छोटी-मोटी गलती बताने से नहीं चूकते। इसी आदत के कारण तमाम विरोधी पाल लिए। परिवार और रिश्तेदार भी उनकी इस आदत से परेशान। सबकी तमाम कोशिशों के बावजूद उनमें कोई सुधार नहीं हो रहा था। वह लोगों की नजरों से उतरते जा रहे थे।
इसी बीच एक पहलवान ने उनको इतना पीटा कि वह बेहोश हो गए। अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। महीने लग गए स्वस्थ होने में। घर लौटे, तो सबके सामने लज्जित महसूस करते थे। रिश्तेदारों से भी बात करने में हिचकते। लेकिन अब उन्होंने अपनी आदतें सुधारने का संकल्प लिया। धीरे-धीरे बदलाव आने लगा। अब दूसरों की गलती बताने की जगह वह अपनी कमियों पर ध्यान देने और उन्हें दूर करने की सोचते। जल्दी ही वह इतना बदल गए कि कोई मान नहीं पा रहा था कि यह वही सज्जन हैं, जो सबकी बातों में मीन-मेख निकाला करते थे।
महान वैज्ञानिक गैलेलियो के मुताबिक, ‘आप किसी आदमी को कुछ सिखा नहीं सकते हैं। आप सिर्फ उसे अपने अंदर से सीखने में मदद कर सकते हैं।’ इसी बारे में लॉर्ड चेस्टरफील्ड ने अपने पुत्र से कहा था- ‘संभव हो, तो दूसरे लोगों से ज्यादा बुद्धिमान बनो, लेकिन यह बात उनसे कहो मत।’ देखा जाए, तो ये बहुत काम की बातें हैं। हम अक्सर दूसरों के सामने स्वयं को अधिक समझदार, काबिल और अच्छा साबित करने की कोशिश करते रहते हैं।
कई बार घर-परिवार-समाज की नजरों से भी हम इसी कारण उतर जाते हैं। एक मिनट रुककर हम अपनी इस आदत पर सोचें, जिद न करें। सोचें कि ऐसी आदत जिंदगी बर्बाद कर सकती है। अपने साथ दूसरों को भी परेशानी में डालना कहां की समझदारी है? यदि हम अपने स्वभाव और आदतों पर नजर रखें और अच्छाइयों को ही स्वभाव का हिस्सा बना लें, तो कोई कारण नहीं कि हमारे अंदर नकारात्मकता को जगह मिले।
अखिलेश कुमार