फोटो गैलरी

Hindi Newsसाहस से प्रेम

साहस से प्रेम

वह हर काम में अत्यधिक डिफेंसिव हैं। साहसिक कामों के बारे में तो उन्होंने सोचना भी बंद कर दिया है। हममें से ज्यादातर लोग सावधान रहना पसंद करते हैं, लेकिन यह तनाव और संघर्ष से बचने की कीमत पर हो, तो...

साहस से प्रेम
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 18 Apr 2016 09:45 PM
ऐप पर पढ़ें

वह हर काम में अत्यधिक डिफेंसिव हैं। साहसिक कामों के बारे में तो उन्होंने सोचना भी बंद कर दिया है। हममें से ज्यादातर लोग सावधान रहना पसंद करते हैं, लेकिन यह तनाव और संघर्ष से बचने की कीमत पर हो, तो नुकसान होने लगता है। किसी भी काम के परिणाम से आतंकित होना और दहशत में आकर उसे हाथ ही न लगाना, सावधान होने का नहीं, बल्कि डरपोक होने का लक्षण है।

नाटककार और लेखक रॉबर्ट ग्रीन कहते हैं कि हम अक्सर अपनी भीरुता को यह कहकर छिपाते हैं कि हम दूसरों की परवाह करते हैं, उन्हें चोट पहुंचते नहीं देख सकते, लेकिन सच्चाई इसके विपरीत होती है। हम अपने ही बारे में चिंतित रहते हैं और इसके बारे में लगातार सोचते रहते हैं कि दूसरे हमें जाने कैसा समझेंगे? हम कई बार आगे बढ़कर कोई काम हाथ में इसलिए नहीं लेते कि इससे कोई न कोई रिप्लेस हो जाएगा और उसे बुरा लगेगा। लेकिन यह सोच दुरुस्त नहीं है। यहां हमें बहिर्मुखी होना चाहिए, क्योंकि बहादुरी भी इसी व्यक्तित्व की होती है।

बहादुरी के कारण कोई भी शर्म या परेशानी महसूस नहीं करता। इसीलिए बहादुरों की हमेशा प्रशंसा होती है। यहां तक कि छोटे बच्चे भी बहादुर काल्पनिक कैरेक्टर का स्टिकर अपने पास रखना पसंद करते हैं। यहां निकोलो मैकियावेली की बात याद रखें। उन्होंने पांच सदी पहले जो कहा था, वह आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा- 'मैं निश्चित तौर पर सोचता हूं कि सावधान होने की बजाय साहसी होना बेहतर है। तकदीर हमेशा युवाओं की प्रेयसी होती है, क्योंकि वे कम सावधान और ज्यादा उत्साही होते हैं और वे ज्यादा साहस दिखाकर उसके स्वामी बन जाते हैं।' अगर आप सोचते हैं कि साहस जन्मजात होता है, तो आप गलत हैं। इसे अभ्यास से हासिल किया जाता है। हमारे पास भी जीवन में बहुत मौके आते हैं। हमें इसके अभ्यास और विकास की तैयारी रखनी चाहिए।
नीरज कुमार तिवारी

 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें