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खूबसूरती का बोध

हर आदमी चाहता है खूबसूरत होना, खूबसूरत दीखना। मगर खूबसूरत होने और दीखने में बड़ा फर्क है। ओढ़ी हुई खूबसूरती मात्र ओस की बूंद है, इंद्रधनुषी आकार है, दर्पण का प्रतिबिंब है, धूप और छांव है। मगर आत्मा...

खूबसूरती का बोध
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 21 Mar 2016 09:27 PM
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हर आदमी चाहता है खूबसूरत होना, खूबसूरत दीखना। मगर खूबसूरत होने और दीखने में बड़ा फर्क है। ओढ़ी हुई खूबसूरती मात्र ओस की बूंद है, इंद्रधनुषी आकार है, दर्पण का प्रतिबिंब है, धूप और छांव है। मगर आत्मा से जुड़ी वास्तविक खूबसूरती सत्यता है, नैसर्गिक प्रभाव है, दिल को बांध लेने वाली सम्मोहन और सर्वांगीण श्रेष्ठता है।

खूबसूरती की इच्छा हमारा स्वभाव है, विभाव नहीं। खूबसूरती जब भी निखरती है, हमारा आभामंडल पवित्र बनता है। खूबसूरती भावनाओं को सकारात्मक तरीके से बदलती है। इस दौरान यह आपकी भावनात्मक स्थिति, समझ और कामों को पूरा करने की कुशलता पर असर डालती है।

खूबसूरती के हजारों रूप केवल दिखावे के लिए नहीं हैं, बल्कि इंसानी कार्यप्रणाली पर उनका वास्तविक असर होता है। महात्मा गांधी के शब्दों में व्यवहार की खूबसूरती है- बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो। सुंदरता की नाप-तौल करने वाले नए शोधों का दावा है कि खूबसूरती देखने वालों की आंखों में नहीं होती, बल्कि वह आंख, मुंह और कानों के माप के बीच छिपी होती है।
हेलो इफेक्ट थ्योरी के अनुसार, आकर्षक लोग अधिक सफल होते हैं। स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक इलियट आरोनसन के अनुसार, किसी व्यक्ति का स्वयं के बारे में बोध भी सफलता में सहायक हो सकता है। जो लोग ऐसा महसूस करते हैं कि वे आकर्षक हैं, भले ही खूबसूरत न हों, वे अपने खूबसूरत दिखने वाले साथियों के समान सफल होते हैं। हेलन फिशन के अनुसार, हम खूबसूरत लोगों से जुड़ना चाहते हैं, क्योंकि हम सोचते हैं कि उनकी जिंदगी हमसे कहीं बेहतर है। वे हमें दयालु और गर्मजोशी से भरपूर नजर आते हैं। फिशर के अनुसार, यह कहीं न कहीं वास्तविकता के करीब है। इन सारे सिद्धांतों से अलग जॉन कीट्स ने इसे कुछ अलग तरीके से कहा है- सुंदरता ही सच है।
ललित गर्ग

 

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