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गाजीपुर: समाज का दर्पण है रामकथा : शिवजी उपाध्याय

कस्बे के ब्रहम स्थल परिसर में रविवार को आयोजित मानस सम्मेलन के तीसरे दिन बिहार से आये हुए शिव जी उपाध्याय ने कहा कि राम कथा समाज का दर्पण है। जो देता है, वही देवता है। जिस धन से धर्म नहीं किया जाता...

गाजीपुर: समाज का दर्पण है रामकथा : शिवजी उपाध्याय
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 11 Dec 2016 05:30 PM
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कस्बे के ब्रहम स्थल परिसर में रविवार को आयोजित मानस सम्मेलन के तीसरे दिन बिहार से आये हुए शिव जी उपाध्याय ने कहा कि राम कथा समाज का दर्पण है। जो देता है, वही देवता है। जिस धन से धर्म नहीं किया जाता है, वह धन निरर्थक है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी कमाई का दसवां भाग दान करना चाहिए। क्रोध, लोभ,मोह से ब्रहम परे होता है। सबसे बङ़ा धर्म परोपकार होता है।

भदोही से आये हुए पं. रवीन्दनाथ त्रिपाठी ने कहा कि ज्ञान वही है, जो परमात्मा से मिला है। जो अलग कर देता है, उसे अज्ञान कहते है। आत्मा से परमात्मा का संबंध उसी प्रकार होता है, जैसे जीव का परमात्मा से होता है। जिसको वैराग होता है। वह परमात्मा से दीदार कर लेता है। अयोध्या से आये हुए संत रमाशंकर दास त्यागी ने कहा जहां आत्मा है, वही परमात्मा है। जीव जीते जी आत्म साक्षात्कार कर सकता है। बनना बिगड़ना संसार का नियम है। जिसने माया रुपी संसार मे जन्म लिया है, उसकी मृत्यु भी निश्चित है। आत्मा अमर है, केवल शरीर का नाश होता है। चौरासी लाख योनियो में भटकने के बाद परमात्मा जीव को मानव रुप में इसलिए भेजता है कि भजन करके आवागमन के बंधन से मुक्त हो सके। इसके बाद भी आवागमन के बंधन से मुक्त नहीं हो सका तो उसमें परमात्मा का क्या दोष है। प्रवचन के कार्यक्रम में रामचन्दाचार्य महाराज, अखिलेश उपाध्याय, रामसुधार पान्डेय, वृजेश दास आदि विद्वानों ने भाग लिया। अध्यक्षता प्रभुनाथ पान्डेय व संचालन अरविन्द लाल श्रीवास्तव ने किया।

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