फोटो गैलरी

Hindi Newsकैग करेगा जीडीए का ऑडिट

कैग करेगा जीडीए का ऑडिट

गाजियाबाद रैली में प्रधानमंत्री की घोषणा पर अमल शुरू हो गया है। शासन ने जीडीए के कैग ऑडिट के आदेश जारी कर दिए हैं। दो दिन पहले प्राधिकरण अफसरों ने कैग टीम को लौटा दिया था। उसके बाद आनन-फानन में आदेश...

कैग करेगा जीडीए का ऑडिट
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 08 Apr 2017 09:40 PM
ऐप पर पढ़ें

गाजियाबाद रैली में प्रधानमंत्री की घोषणा पर अमल शुरू हो गया है। शासन ने जीडीए के कैग ऑडिट के आदेश जारी कर दिए हैं। दो दिन पहले प्राधिकरण अफसरों ने कैग टीम को लौटा दिया था। उसके बाद आनन-फानन में आदेश जारी किए गए हैं। प्राधिकरण अफसरों ने कैग ऑडिट की तैयारी शुरू कर दी है। इस संबंध में कैग को भी पत्र जारी कर दिया गया है।

प्राधिकरण के विकास कार्यों को लेकर कई बार सवाल उठे हैं, लेकिन शासन और अफसर ऑडिट से बचते रहे हैं। पिछली सरकार ने कैग ऑडिट के आदेश नहीं दिए। विधानसभा चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि सभी प्राधिकरणों का कैग ऑडिट कराया जाएगा और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

शासन ने शनिवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया। प्रमुख सचिव आवास सदाकांत मिश्रा ने यह आदेश जारी किया है। उन्होंने लिखा है कि 11 जून 1985 को जारी शासनादेश में राज्य सरकार की सहायता निधि से एक वित्त वर्ष में एक करोड़ रुपये या इससे अधिक के अनुदान व ऋण लेने वाले प्राधिकरण व संस्थाओं का ऑडिट कैग से करा सकते हैं।

जीडीए के वित्त नियंत्रक टीआर यादव ने बताया कि इस संबंध में सदाकांत मिश्रा का आदेश आया है। उन्होंने बताया कि कैग अफसरों को भी इसकी सूचना भेज दी गई है। प्राधिकरण ने एक कमरा भी कैग ऑडिट के लिए तैयार कर लिया है।

एक साल से अटका था मामला

जीडीए के कैग ऑडिट का मामला एक वर्ष से लटका था। प्राधिकरण का सालाना बजट ढाई हजार करोड़ से ज्यादा है। कई बार योजनाओं पर सवाल उठे हैं। नई लिंक रोड जैसी योजनाओं में केंद्र सरकार की राशि भी लगी है। इसकी जांच के लिए कैग टीम पहले मार्च 2016 में आई थी, लेकिन जीडीए अफसरों के फाइलें नहीं दी। कैग ने तत्कालीन सीएम और राज्यपाल को शिकायत दी। शासन से दबाव बना तो जीडीए ने दोबारा जांच के लिए सहमति जता दी। जून 2016 में कैग ने फिर से ऑडिट शुरू किया। 16 जून को यूपी शासन की तरफ से प्रमुख सचिव आवास सदाकांत ने आपत्ति लगाते हुए जांच कराने से इंकार कर लिया। तब कहा गया था कि जीडीए कैग जांच के लिए बाध्य नहीं है।

मधुबन-बापूधाम योजना में हुआ था खेल

प्राधिकरण की कई योजनाओं पर बार-बार सवाल उठे। अरबों रुपये खर्च कर भी मधुबन-बापूधाम योजना परवान नहीं चढ़ी। कमीशन के खेल में यहां सीवर ट्रीटमेंट प्लांट और बिजली के समान पर 90 करोड खर्चे गए। मामले की जांच हुई और तत्कालीन फाइनेंस कंट्रोलर बीएस चौधरी को सस्पेंड किया गया था। इंदिरापुरम में अंडरग्राउंड केबल डालने के मामले में घपला सामने आया था। ठाकुरद्वारा फ्लाईओवर की चौड़ाई पर कई बार सवाल उठे हैं। यहां कई दुर्घटनाएं भी हो गई हैं। प्राधिकरण में कामकाज को ऑनलाइन करने और ऑनलाइन एप्लीकेशन के नाम पर पैसा खर्च किया गया और अब ये एप्लीकेशन बंद हैं।

-2500 करोड से ज्यादा है जीडीए का सालाना बजट

-2 दिन पहले प्राधिकरण ने किया था कैग ऑडिट से इंकार

-एक साल से चल रहा है कैग ऑडिट का मामला

-1985 के शासनादेश में है कैग ऑडिटकी अनुमति

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें