2012: प्रलय की शुरुआत
सितारे: जॉन कुजाक, डैनी ग्लोवर, श्वेतल एजिफर, ऑलिवर प्लैट और थैंडी न्यूटॉन निर्माता: कोलंबियां पिक्चर्स और ए सेन्ट्रोपोलिस प्रोडक्शन निर्देशक: रोलैंड एम्मरिच कहानी: धरती में पड़ती दरारें और भूकंप...
सितारे: जॉन कुजाक, डैनी ग्लोवर, श्वेतल एजिफर, ऑलिवर प्लैट और थैंडी न्यूटॉन
निर्माता: कोलंबियां पिक्चर्स और ए सेन्ट्रोपोलिस प्रोडक्शन
निर्देशक: रोलैंड एम्मरिच
कहानी: धरती में पड़ती दरारें और भूकंप जैसी घटनाओं की जांच के संबंध में एक अमेरिकी भूवैज्ञानिक एड्रियन (श्वेतल एजिफर) को अपने एक दोस्त वैज्ञानिक सतनाम (जिम्मी मिस्त्री) से मिलने के लिए भारत आना पड़ता है। सतनाम एड्रियन को दिखाता है कि किस तरह से धरती का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। एड्रियन वापस जाकर इसकी रिपोर्ट अमेरिकी राष्ट्रपति थॉमस विल्सन (डैनी ग्लोवर) के सचिव कार्ल (ऑलिवर प्लैट) को सौंपता है। कुछ अन्य देशों के राष्ट्रपतियों की बैठक के बाद यह साफ हो जाता है कि तीन वर्षो बाद यानी 2012 में धरती का विनाश हो जाएगा।
उधर कैलिफोर्निया में विज्ञान के लेखक जैकसन कर्टिस (जॉन कुजाक) को भी जल्द ही इस बात का पता चल जाता है कि विनाश की घड़ी नजदीक है। वह अपनी बीवी बच्चों सहित उस जहाज पर जाने की योजना बनाता है, जिसमें विश्व के सबसे अमीर लोग ही इस महाप्रलय से बच सकते हैं।
निर्देशन: इस फिल्म के प्रोमोज ने ही दर्शकों में खासी उत्सुकता पैदा कर दी थी और धरती के विनाश को कौन नहीं देखना चाहेगा। रोलैंड एम्मरिच ने स्पेशल इफेक्ट्स की मदद से हर वो चीज दिखाने की कोशिश की है, जिसे दर्शकों ने अब से पहले स्क्रीन पर नहीं देखा होगा। ढेर सारे पात्रों को उन्होंने एक ही परेशानी से जूझते हुए बड़े ही रोचक अंदाज में पेश किया है।
अभिनय: फिल्म में सभी पात्रों का अभिनय कमाल का है। फिर भी वैज्ञानिक की भूमिका में श्वेतल एजिफर सब पर भारी रहे।
क्या है खास: तबाही के खौफनाक मंजर से लेकर उस दौर की कल्पना तक, जब सारी दुनिया पानी में मिल जाएगी, काफी कुछ देखने लायक है। बड़े पानी के जहाज, जिनमें बैठ कर विनाश से बचने की तैयारी में विश्व के अरबपति लोग मारामारी करते दिखाई देते हैं।
क्या है बकवास: तबाही के मंजर के कई सीन्स गले नहीं उतरते। फटती धरती पर गाड़ी चलाना और एक नौसिखिये पायलट द्वारा बोइंग उड़ाना।
पंचलाइन: माया की भविष्यवाणी को बड़े परदे पर इससे पहले किसी ने इतनी गंभीरता से नहीं लिया। 2012 इस दिशा में एक बड़ा प्रयास है, जो मानवजाति के विनाश के दृश्यों को दिखाने में सफल रहा है।