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B'day Special: 'महंगाई मार गई' से आम लोगों के दर्द को समझा लक्ष्मीकांत ने

लक्ष्मीकांत शांताराम कुदलकर का जन्म 3 नवंबर, 1937 में मुंबई में हुआ था। लक्ष्मीकांत हिन्दी सिनेमा के प्रसिद्ध संगीतकार हैं जिनकी जोड़ी संगीतकार प्यारेलाल के साथ 'लक्ष्मीकांत प्यारेलाल' के नाम से...

B'day Special: 'महंगाई मार गई' से आम लोगों के दर्द को समझा लक्ष्मीकांत ने
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 03 Nov 2015 02:17 PM
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लक्ष्मीकांत शांताराम कुदलकर का जन्म 3 नवंबर, 1937 में मुंबई में हुआ था। लक्ष्मीकांत हिन्दी सिनेमा के प्रसिद्ध संगीतकार हैं जिनकी जोड़ी संगीतकार प्यारेलाल के साथ 'लक्ष्मीकांत प्यारेलाल' के नाम से मशहूर है।

लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का सबसे हिट गाना हुआ था- …बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई। यह गाना प्रोड्यूडर-डायरेक्टर-एक्टर मनोज कुमार की 1974 में आई फिल्म 'रोटी कपड़ा और मकान' का है। इस गाने के पीछे बड़ी मजेदार कहानी है। मनोज कुमार के कहने पर गीतकार वर्मा मलिक ने महंगाई पर एक गाना लिखा। उसे पहले तो पढ़कर सब हंसे। गाने के बोल पर भी और इस पर भी क्या यह फिल्माने लायख गाना है? वर्मा मलिक ने मनोज कुमार को मना लिया कि यह गाना जरूर हिट होगा।

आखिरकार गाने की रेकॉर्डिंग शुरू की गई। लता मंगेश्कर ने जैसे ही यह गाना पढ़ा, वो भी अपनी हंसी रोक नहीं पाई। संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को भी इसमें कुछ दम नहीं दिखा। जैसे-तैसे गाना रिकॉर्ड हुआ। फिल्मांकन के समय भी मौशमी चैटर्जी और प्रेमनाथ का भी हंस-हंस कर बुरा हाल हो गया। यूनिट के जूनियर आर्टिस्ट से लेकर स्पॉट बॉय तक हर छोटा आदमी गुनगुनाते हुए मिला - बाक़ी जो बचा था महंगाई मार गई।

और फिल्म रिलीज होने से पहले ही ये गाना सुपरहिट हो गया। ये गाना महंगाई और अराजकता से परेशान जन-जनार्दन की आवाज बन गया।

जीवन परिचय
नौ साल की छोटी सी उम्र में ही उनके पिता का निधन हो गया था। जिसके कारण उन्हें बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ देनी पड़ी। बचपन के दिनों से ही लक्ष्मीकांत का रुझान संगीत की ओर था और वह संगीतकार बनना चाहते थे। लक्ष्मीकांत ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा 'उस्ताद हुसैन अली' से हासिल की। इस बीच घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए लक्ष्मीकांत ने संगीत समारोह में हिस्सा लेना शुरू कर दिया।

आगे चलकर वाद्य यंत्र मेंडोलियन बजाने की शिक्षा बालमुकुंद इंदौरकर से ली। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी के रूप में फ़िल्म जगत में अपने संगीत का लोहा मनवाकर ही माने। अपने करियर की शुरुआत में कल्याण जी आनन्द के सहायक के रूप में उन्होंने 'मदारी', 'सट्टा बाज़ार', 'छलिया' और 'दिल तेरा हम भी तेरे' जैसी कई फ़िल्मों में काम किया। दोनों से साथ में 635 हिन्दी फिल्मों में संगीत दिया। उन्होंने 1963 से लेकर 1998 तक राज कपूर, देव आनंद, बी.आर चोपड़ा, शक्ती सामंता, मनमोहन देसाई, यश चोपड़ा, सुभाष घई और मनोज कुमार जैसे नामी फिल्ममेकर के साथ काम किया। 

इस जोड़ी पर संगीत का ऐसा जुनून था कि मशहूर निर्माता-निर्देशक बाबू भाई मिस्त्री की क्लासिकल फ़िल्म 'पारसमणि' ने इनकी तक़दीर बदल कर रख दी। फिर पीछे मुड़कर देखने का मौक़ा ही नहीं मिला। लक्ष्मीकांत 25 मई 1998 में इस दुनिया को अलविदा कह गए।

कुछ प्रसिद्ध गीत
लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी ने हिन्दी सिनेमा को बेहतरीन गीत दिए उनमें कुछ के नाम नीचे दिए गए हैं।

सावन का महीना... (फ़िल्म- मिलन)
दिल विल प्यार व्यार... (फ़िल्म- शागिर्द)
बिन्दिया चमकेगी... (फ़िल्म- दो रास्ते)
मंहगाई मार गई... (फ़िल्म- रोटी कपड़ा और मकान)
डफली वाले... (फ़िल्म- सरगम)
तू मेरा हीरो है... (फ़िल्म- हीरो )
यशोदा का नन्दलाला... (फ़िल्म- संजोग)
चिट्ठी आई है... (फ़िल्म- नाम)

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