सुनिये मोहम्मद रफी की 10 खूबसूरत नगमें
आवाज की दुनिया के बेताज बादशाह मोहम्मद रफी ने 31 जुलाई 1980 को एक गाने 'यह शाम क्यूं उदास है दोस्त..' की रिकॉर्डिंग पूरी करने के बाद संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारे लाल से कहा कि 'ओके नाउ आई विल...
आवाज की दुनिया के बेताज बादशाह मोहम्मद रफी ने 31 जुलाई 1980 को एक गाने 'यह शाम क्यूं उदास है दोस्त..' की रिकॉर्डिंग पूरी करने के बाद संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारे लाल से कहा कि 'ओके नाउ आई विल लीव'।
उसी शाम 7 बजकर 30 मिनट पर मोहम्मद रफी को दिल का दौरा पड़ा और वह अपने कराड़ों प्रशंसकों को छोड़कर इस दुनिया से हमेशा-हमेशा के विदा हो गए।
मोहम्मद रफी आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन आज भी हिंदुस्तान का हर संगीत प्रेमी रफी साहब की दिलकश आवाज का दीवाना है।
24 दिसंबर, 1924 को पंजाब के कोटला सुल्तान सिंह गांव में उनका जन्म हुआ था। महज 13 साल की उम्र से सार्वजनिक मंच पर गाने की शुरुआत करने वाले इस महान गायक ने 13-14 भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेजी, स्पैनिश, डच और पारसी भाषा में भी गाने गाए।
6 बार फिल्म फेयर अवॉर्ड हासिल करने वाले पद्मश्री मोहम्मद रफी ने दिलीप कुमार, देवानंद, शम्मी कपूर, राजेंद्र कुमार, जॉय मुखर्जी, धर्मेद्र, राजेश खन्ना समेत तमाम बड़े अभिनेताओं के लिए गाया।
सुरों के सरताज मोहम्मद रफी की 35वीं पुण्यतिथि पर एक नजर डालते हैं उनकी गायी कुछ यादगार नगमों पर :