FILM REVIEW: फिल्म देखने से पहले पढ़ें Saansen का रिव्यू
सांसे सितारे: रजनीश दुग्गल, सोनारिका भदौरिया, हितेन तेजवानी, नीता शेट्टी, साची रूइया, आमिर दलवी निर्देशक: राजीव एस. रूइया निर्माता: गौतम जैन, विवेद अग्रवाल संगीत: विवेक...
सांसे
सितारे: रजनीश दुग्गल, सोनारिका भदौरिया, हितेन तेजवानी, नीता शेट्टी, साची रूइया, आमिर दलवी
निर्देशक: राजीव एस. रूइया
निर्माता: गौतम जैन, विवेद अग्रवाल
संगीत: विवेक कार
गीत: कुमार
पटकथा: राम राम पाटिल, शिराज अहमद
संवाद: शिराज अहमद
रेटिंग: आधा स्टार
एक तो हॉलीवुड फिल्मों की वजह से बॉलीवुड की भूतहा फिल्मों का हाल वैसे खस्ता चल रहा है। ऐसे में हमारी हॉरर फिल्मों से तांत्रिक और तंत्र-मंत्र का गायब हो जाना और परेशान करता है। एक यही तो तत्व होता था, जिस पर हॉरर फिल्म में भी ठहाका मारने की गुंजाइश पैदा होती थी। अब तो वो भी जाती रही। तांत्रिक और तंत्र-मंत्र की जगह अब अंग्रेजीदां प्रोफोसरों ने ले ली है, जो परालौकिक विज्ञान के सहारे भूत भगाते दिखते हैं। हालांकि भूतों की चालबाजियों के आगे उनकी भी नहीं चलती, जिसकी वजह से उन्हें वैदिक मंत्रों और कई तरह के प्रपंचों का भी सहारा लेना पड़ता है।
निर्देशक राजीव रूइया की फिल्म 'सांसे' अपने कॉमेडी फ्लेवर की वजह से सांसे रोक देने का काम करती है। इस साल इमरान हाशमी की 'राज:रीबूट' के बाद ये दूसरा मौका है जब कोई हॉरर फिल्म देखते समय आपको डर के बजाए हंसी आएगी।
ये कहानी है मॉरिशियस में रहने वाली एक गायिका शिरीन (सोनारिका भदौरिया) की, जिसके शरीर पर किसी बुरी आत्मा का कब्जा है। ये आत्मा हर रात शिरीन का शारीरिक शोषण करती है, उससे संबंध बनाती है। एक दिन एक बिजनेसमैन अभय (रजनीश दुग्गल) की नजर शिरीन पर पड़ती है और पहली ही नजर में उसे शिरीन से प्यार हो जाता है। अभय जब शिरीन के नजदीक जाने की कोशिश करता है तो वो आत्मा उस पर भी हमला करती है। ऐसे में शिरीन की एक दोस्त तान्या (नीता शेट्टी), अभय को सारी बात बताती है। तान्या उस क्लब का मालकिन है, जिसमें शिरीन गाना गाती है।
वो बताती है कि किस तरह इस बुरी आत्मा की वजह से शिरीन को अपनी छोटी बहन आदिति (साची रूइया) से दूर रहना पड़ रहा है। अभय, शिरीन की मदद करना चाहता है। इस आत्मा से छुटकारा दिलाना चाहता है। इसके लिए वह एक प्रोफेसर सी. के. बीर (हितेन तेजवानी) की मदद लेता है, जो आत्माओं को अपने कब्जे में करने के लिए जाना जाता है।
प्रो. बीर, शिरीन को सम्मोहित कर उस आत्मा का राज जानने की कोशिश करता है। उसे पता चलता है कि पिछले जन्म में शिरीन का नाम सिमरन हुआ करता था। उसकी विवेक नामक एक व्यक्ति से शादी होने वाली थी, लेकिन धोखे से किसी सुब्रत (आमिर दलवी) से उसकी शादी हो जाती है। सुहागरात वाले दिन सिमरन के हाथों सुब्रत का खून हो जाता है और वह बुरी आत्मा बन जाता है। ये सारी बातें पता चलने के बाद प्रो. बीर अभय को एक सुरक्षा कवच देता है और बताता है कि उसे एक झील से पवित्र शंख और वह शीशा लाना होगा, जिससे सुब्रत की आत्मा बाहर आई है। अभय ये सारे इंतजाम कर लेता है, लेकिन किसी तरह से सुब्रत की आत्मा तान्या के शरीर में प्रवेश कर जाती है और खूब उत्पात मचाती है।
जाहिर है ऐसी कहानी आपने पहले कभी नहीं सुनी होगी, जिसमें सुरक्षा कवच, बुरी आत्मा, वैदिक मंत्र और प्रोफेसर उर्फ तांत्रित का जिक्र न हो। इस फिल्म की खासियत ही यही है कि हॉरर फिल्मों के तमाम पुराने तत्वों को इसमें उसी अंदाज से दिखाया गया है, जैसे हम बरसों से देखते आ रहे हैं। इसी वजह से ये फिल्म डराती नहीं, बल्कि हंसाती है। इस फिल्म में सोनारिका भदौरिया इतनी बेचारी-सी लगी हैं कि उनसे मुंह से संवाद भी नहीं निकलते। फिल्म को इतने बचकाने ढंग से बनाया गया है कि ऐसा लगता है कि ये पौने दो घंटे की फिल्म बस एक ही घंटे में खत्म हो जाए। बेहद पिटी हुई कहानी पर बेहद खराब अभिनय दिल खट्टा कर देने के लिए काफी है।
हां, ये फिल्म देख कर आपकी सांसे थमेंगी नहीं, बल्कि जोर जोर से हंसने की वजह से सांसे फूल जरूर सकती हैं।
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