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MOVIE REVIEW: सस्पेंस और थ्रिल से भरपूर है 'वजह तुम हो' 

वजह तुम हो सितारे : शरमन जोशी, सना खान, रजनीश दुग्गल, गुरमीत चौधरी, हिमांशु मल्होत्रा, प्रार्थना बेहरे  निर्देशक-पटकथा : विशाल पांड्या निर्माता : भूषण कुमार, कृष्ण कुमार संगीत : मिथुन,...

MOVIE REVIEW: सस्पेंस और थ्रिल से भरपूर है 'वजह तुम हो' 
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 16 Dec 2016 03:47 PM
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वजह तुम हो

सितारे : शरमन जोशी, सना खान, रजनीश दुग्गल, गुरमीत चौधरी, हिमांशु मल्होत्रा, प्रार्थना बेहरे 
निर्देशक-पटकथा : विशाल पांड्या
निर्माता : भूषण कुमार, कृष्ण कुमार
संगीत : मिथुन, अभिजीत वघानी, मीत ब्रदर्स
गीत : मनोज मुंतशिर, राजेन्द्र कृष्ण, कुमार
कहानी : समीर अरोड़ा
संवाद : रश्मि विराग 
रेटिंग 1.5 स्टार

खबरें हों या मनोरंजन चैनल, लाइव फीड की बात ही अलग है। मीडिया के लोग लाइव प्रोग्राम का महत्व समझते हैं और दर्शकों में इसके प्रति जोश की वजह से ऐसे कार्यक्रमों का एक बड़ा बाजार भी है। लेकिन पता नहीं टीवी पर लाइव मर्डर देख कर कितने लोग इसे एंजॉय करेंगे? निर्देशक विशाल पांड्या सस्पेंस-थ्रिलर फिल्मों से सुर्खियों में आए हैं। उनकी पिछली दो फिल्में 'हेट स्टोरी 2' और 'हेट स्टोरी 3' सुपरहिट रही हैं और यही वजह है कि वह एक बार फिर एक सनसनीखेज कहानी लेकर आए हैं। एक ऐसी कहानी, जिसमें टीवी पर लाइव मर्डर दिखाया गया है। क्या 'वजह तुम हो' को देखने के लिए ये लाइव मर्डर वाला फंडा वाकई काम आया है? क्या वाकई इस फिल्म को देखने की कोई सॉलिड वजह है। जैसा कि निर्देशक और उनकी टीम का दावा है, ये फिल्म दर्शकों के रौंगटे खड़े कर देगी। क्या उनकी बातों में वाकई कोई दम है? 
ये कहानी शुरू होती है टीवी पर एक लाइव मर्डर से। जीटीएन चैनल का सर्वर किसी ने हैक कर लिया है। अचानक उनके चैनल के जरिये एक लाइव शो प्रसारित होने लगता है। इस शो में मुंबई पुलिस के एक एसीपी रमेश को जान से मारने की तैयारी की जा रही है। कातिल देखते ही देखते रमेश के शरीर में ढेर सारा पेट्रोल पहुंचा देता है। वह मर जाता है। मामले की जांच का जिम्मा एसीपी कबीर देशमुख (शरमन जोशी) को सौंपा जाता है, जो पूछताछ के लिए चैनल के मालिक राहुल ओबेराय (रजनीश दुग्गल) को पुलिस स्टेशन खींच लाता है। 

राहुल कहता है कि उसे कुछ नहीं पता कि ये सब कैसे हुआ। राहुल को इंतजार है अपने आईटी हेड मैक का, जिसके नियंत्रण में चैनल की सारी व्यवस्था है। कबीर मैक और राहुल से फिर पूछताछ करता है और उन पर दबाव बनाने की कोशिश करता है, लेकिन कानून की दलीलें देकर इन दोनों का बचाव करती है सिया (सना खान) जो कि राहुल की कंपनी की लीगल एडवाइजर और पेशे से एक वकील है। पुलिस की ओर से केस लड़ने की जिम्मेदारी रनवीर (गुरमीत चौधरी) पर है, जो सिया से प्यार करता है। 

काफी छानबीन के बाद कबीर को करण पारिख नामक व्यक्ति के बारे पता चलता है, जो कभी राहुल का बिजनेस पार्टनर था और एसीपी रमेश से भी उसके ताल्लुकात थे। कबीर इस केस के सिरे जोड़ ही रहा होता है कि तभी कोई करण का भी किडनैप पर उसका भी लाइव मर्डर राहुल के चैनल पर प्रसारित कर देता है। कबीर को लगता है कि कातिल उसके सामने है, लेकिन वह उसे पकड़ ही नहीं पा रहा है। वह मामले की फिर से छानबीन करता है और उसे एक लड़की के बारे में पता चलता है, जो अरसे पहले राहुल के चैनल में काम करती थी। इस लड़की की शिनाख्त के बाद केस के सिरे आपस में मिलने लगते हैं, जिसमें एसीपी रमेश और करण का नाम भी जुड़ जाता है। लेकिन अब भी कातिल कबीर की गिरफ्त से बाहर है। उसे अब भी लाइव मर्डर की वजह समझ नहीं आ रही है। 
हो सकता है कि इस तरह से पढ़ने में यह कहानी आपको आकर्षित करे। एक पल को फिल्म का प्लाट मन को भाता भी है, लेकिन निर्देशक ने जिस अंदाज में ये फिल्म बनाई है उसे देख 'सुविधाजनक' शब्द जेहन में बार-बार उठता है। जी हां, ये सारा खेल निर्देशक और कलाकारों की सुविधा के लिए खेला गया है। 

बेशक, दर्शकों की आंखों का इसमें पूरा ख्याल रखा गया है। 'वजह तुम हो' में बेवजह के गाने हैं, जिनका फिल्म से कोई ताल्लुक नहीं है। करण की पार्टी में जरीन खान का आइटम गीत बेवजह है। इसी तरह से सिया जब राहुल के घर आती है तो रजनीश दुग्गल और शर्लिन चोपड़ा के बीच एक कामुक गीत भी बेवजह है। वजह तुम हो... टाइटल ट्रैक भी बेवजह है, जो फिल्म के क्लाईमैक्स से बस थोड़ा पहले आता है। इन तमाम गीतों का फिल्मांकन आंखें सेंकने की गरज से किया गया है। उत्तेजक ठुमके, तारिकाओं का ग्लैमर अंदाज, हीरो के सिक्स पैक एब्स और ठंड के इस वातावरण में दो जिस्मों की गर्मी माहौल को हॉट बना देती है और फिल्म को मिल जाता है 'ए' सर्टिफिकेट। 

उत्तेजक और गीतों के फिल्मांकन के अलावा फिल्म में सबसे ज्यादा बदसलूकी इसके संवादों के साथ की गई है। राहुल का एक डॉयलॉग हाजिर है। कोर्ट मुझे जो भी सजा देगा मैं ले लूंगा... आई विल टेक इट... जैसे कि कोर्ट उसे कोई गिफ्ट देने जा रहा हो। 

दूसरा संवाद भी राहुल का ही है। वह एक आदमी से कहता है, तुझे सोशल एक्टिविस्ट बनने का बड़ा शौक है। आ मैं तुझे डिएक्टिव कर देता हूं। संवाद लेखिका रश्मि विराग ने एक्टिविस्ट से डिएक्टिव के तार और सुर मिलाने की कोशिश की है। वाह क्या कोशिश है। जैसा कि मैंने पहले कहा पूरी फिल्म को 'सुविधाजनक' ढंग से बनाया गया है। कालित जहां लोगों का मर्डर कर रहा है, वो किसी रियेलिटी शो के सेट से कम नहीं है। मर्डर के लिए इतनी इन्वेस्टमेंट चौंकाती है। जब जिसे जहां से चाहा उठा लिया, ले गए, पुलिस को चकमा दे दिया। दाएं-बाएं-सांय... सब हवा में चल रहा है। हो सकता है कि आपका हाजमा दुरुस्त हो और ये बातें आप पचा लें, लेकिन क्लाईमैक्स में एक लड़की की हट्टे-कट्टे बंदे से फाइट आपके गले नहीं उतरेगी। हट्टा-कट्टा बंदा लड़की को मुक्के जड़ रहा है और वो उसे थप्पड़ मार रही है। फिर भी वो जीत जाती है। 

पूरी फिल्म में निर्देशक ने अगर किसी चीज का ख्याल रखा है तो वो है कातिल के कातिल बनने की 'वजह' जो एक पल को अपील तो करती है, लेकिन गले नहीं उतरती। 'अविवश्नीय' और 'सुविधाओं' के इस प्रसारण का आप अब भी मजा लेना चाहते हैं तो आपके लिए कोई वजह हो या न हो, मायने नहीं रखती। 

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