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मिलिए फिल्म इंडस्ट्री की जुबली गर्ल आशा पारेख से...

बॉलीवुड एक्ट्रेस आशा पारेख ने हिंदी फिल्मों के अलावा गुजराती, पंजाबी और कन्नड़ फिल्मों में भी अपने अभिनय का जौहर दिखाया। पद्मश्री पुरस्कार पाने वाली आशा को शुरुआती दिनों में काम देने से यह कहते हुए भी...

मिलिए फिल्म इंडस्ट्री की जुबली गर्ल आशा पारेख से...
एजेंसीFri, 02 Oct 2015 10:30 AM
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बॉलीवुड एक्ट्रेस आशा पारेख ने हिंदी फिल्मों के अलावा गुजराती, पंजाबी और कन्नड़ फिल्मों में भी अपने अभिनय का जौहर दिखाया। पद्मश्री पुरस्कार पाने वाली आशा को शुरुआती दिनों में काम देने से यह कहते हुए भी इन्कार कर किया कि उनमें स्टार अपील नहीं है। आशा भारतीय सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष भी रहीं। जानिए उनके जन्मदिन पर ऐसे ही दिल्चस्प किस्से...

-एक्ट्रेस आशा पारेख 2 अक्टूबर 1942 को मुंबई के एक मध्यम वर्गीय गुजराती परिवार में जन्मी थी।
-आशा ने अपने सिनेमा करियर की शुरूआत बाल कलाकार के रूप में 1952 में प्रदर्शित फिल्म 'आसमान' से की। इसी बीच निर्माता निर्देशक विमल राय एक कार्यक्रम के दौरान आश पारेख के डांस को देखकर काफी प्रभावित हुए और उन्हें अपनी फिल्म 'बाप बेटी' में काम करने का प्रस्ताव दिया।
-आशा को शुरुआती दिनों में निर्माता निर्देशक विजय भट्ट ने उन्हें अपनी फिल्म  'गूंज उठी शहनाई' में काम देने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि उनमें स्टार अपील नहीं है। लेकिन अगले ही दिन उनकी मुलाकात निर्माता निर्देशक नासिर हुसैन से हुई जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचान कर अपनी फिल्म 'दिल देके देखो' में  काम करने का प्रस्ताव दिया।
 

-1954 में आई फिल्म 'टिकट खिड़की' के अलावा आशा ने कुछ फिल्मों में छोटे मोटे रोल किए लेकिन उनकी असफलता से उन्हें गहरा सदमा पहुंचा। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री से किनारा कर अपना ध्यान पढ़ाई की ओर लगाना तरफ कर लिया।

-1959 में 'दिल देके देखो'की कामयाबी के बाद आशा फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कुछ हद तक कामयाब हो गई। 1960 में आशा को नासिर हुसैन की फिल्म 'जब प्यार किसी से होता है' में काम करने का अवसर मिला। फिल्म की सफलता ने आशा को स्टार के रूप में स्थापित कर दिया। इन फिल्मों की सफलता के बाद आशा नासिर की फेवरेट एक्ट्रेस बन गईं। नासिर ने उन्हें अपनी कई फिल्मों में काम करने का अवसर दिया। इनमें फिर वही दिल लाया हूं, तीसरी मंजिल, बहारो के सपने, प्यार का मौसम और कारवां जैसी सुपरहिट फिल्में शामिल हैं।
        
-1966 में प्रदर्शित फिल्म तीसरी मंजिल आशा के करियर की सुपरहिट फिल्म साबित हुईं। इस फिल्म के बाद आशा के करियर में ऐसा सुनहरा दौर भी आया जब उनकी हर फिल्म 'सिल्वर जुबली' मनाने लगी। यह सिलसिला काफी लंबे समय तक चलता रहा। इन फिल्मों की कामयाबी को देखते हुए वह फिल्म इंडस्ट्री में 'जुबली गर्ल' के नाम से मशहूर हो गईं।
       
-1970 में आई फिल्म 'कटी पतंग'में निभाए रोल के लिए आशा को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
        
-नब्बे के दशक में आशा ने छोटे पर्दे की ओर रूख किया। उन्होंने गुजराती धारावाहिक 'ज्योति' का निर्देशन किया। इसी बीच उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी 'आकृति' की स्थापना की जिसके बैनर तले उन्होंने पलाश के फूल, बाजे पायल, कोरा कागज, और दाल में काला जैसे लोकप्रिय धारावाहिकों का निर्माण किया।
       
-1963 में आई गुजराती फिल्म 'अखंड सौभाग्यवती'उनके करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में शुमार की जाती है। आशा पारेख  भारतीय सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष भी रहीं। उन्होंने सिनेमा आर्टिस्ट ऐसोसियेशन की अध्यक्ष के रूप में वर्ष 1994 से 2000 तक काम किया।
       
-आशा पारेख को अपने करियर में खूब मान सम्मान मिला। 1992 में कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए वह पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित की गईं। आशा ने लगभग 85 फिल्मों में अभिनय किया है।

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