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HAPPY B'DAY: जानें किशोर के बारे में सब कुछ और सुनें टॉप 10 गाने

जिंदगी के अनजाने सफर से बेहद प्यार करने वाले हिन्दी सिनेमा के महान सिंगर किशोर कुमार का 4 अगस्त 2016 को 87वां जन्मदिन है। साल 1929 को जन्मे किशोर कुमार 13 अक्टूबर 1987 को दिल का दौरा पड़ने के बाद इस...

HAPPY B'DAY: जानें किशोर के बारे में सब कुछ और सुनें टॉप 10 गाने
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 04 Aug 2016 12:45 PM
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जिंदगी के अनजाने सफर से बेहद प्यार करने वाले हिन्दी सिनेमा के महान सिंगर किशोर कुमार का 4 अगस्त 2016 को 87वां जन्मदिन है। साल 1929 को जन्मे किशोर कुमार 13 अक्टूबर 1987 को दिल का दौरा पड़ने के बाद इस दुनिया को अलविदा कह गए थे।
            
बीच राह में दिलबर बिछड़ जाए कहीं हम अगर
और सूनी सी लगे तुम्हें जीवन की ये डगर
हम लौट आयेगें तुम यूंही बुलाते रहना
कभी अलविदा ना कहना...

जिंदगी के अनजाने सफर से बेहद प्यार करने वाले किशोर कुमार का नजरिया उनके गाये इन पंक्तियों में समाया हुआ है। किशोर कुमार ने अपने फिल्मी करियर में 600 से भी अधिक हिन्दी फिल्मों के लिए अपनी आवाज दी। उन्होंने बंगला, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड, भोजपुरी और उडिया फिल्मों में भी अपनी दिलकश आवाज के जरिए लोगों के दिलों में बसे।
        
मध्यप्रदेश के खंडवा में 4 अगस्त 1929 को मध्यवर्गीय बंगाली परिवार में अधिवक्ता कुंजी लाल गांगुली के घर जब सबसे छोटे बालक ने जन्म लिया तो कौन जानता था कि आगे चलकर यह बालक अपने देश और परिवार का नाम रौशन करेगा। भाई-बहनों में सबसे छोटे नटखट आभास कुमार गांगुली उर्फ किशोर कुमार का रूझान बचपन से ही पिता के पेशे वकालत की तरफ न होकर संगीत की ओर था।
       
महान अभिनेता एवं गायक के.एल.सहगल के गानों से प्रभावित किशोर कुमार उनकी ही तरह के गायक बनना चाहते थे। सहगल से मिलने की चाह लिये किशोर कुमार 18 वर्ष की उम्र मे मुंबई पहुंचे, लेकिन उनकी इच्छा पूरी नहीं हो पायी। उस समय तक उनके बड़े भाई अशोक कुमार बतौर अभिनेता अपनी पहचान बना चुके थे।
             
अशोक कुमार चाहते थे कि किशोर नायक के रूप मे अपनी पहचान बनाए लेकिन खुद किशोर कुमार को अदाकारी के बजाय पार्श्वगायक बनने की चाह थी। जबकि उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा कभी किसी से नहीं ली थी। जबकि बॉलीवुड में अशोक कुमार की पहचान के कारण उन्हें बतौर अभिनेता काम मिल रहा था।

अपनी इच्छा के विपरीत किशोर कुमार ने अभिनय करना जारी रखा। जिन फिल्मों में वह बतौर कलाकार काम किया करते थे, उन्हे उस फिल्म में गाने का भी मौका मिल जाया करता था। किशोर कुमार की आवाज सहगल से काफी हद तक मेल खाती थी। बतौर गायक सबसे पहले उन्हें साल 1948 में बॉम्बे टाकीज की फिल्म 'जिद्दी' में सहगल के अंदाज मे ही अभिनेता देवानंद के लिये 'मरने की दुआएं क्यूं मांगू' गाने का मौका मिला।
          
किशोर कुमार ने साल 1951 मे बतौर मुख्य अभिनेता फिल्म 'आन्दोलन' से अपने करियर की शुरुआत की लेकिन इस फिल्म से दर्शकों के बीच वह अपनी पहचान नहीं बना सके। साल 1953 में प्रदर्शित फिल्म 'लड़की' में बतौर अभिनेता उनके करियर की पहली हिट फिल्म थी। इसके बाद बतौर अभिनेता भी किशोर कुमार ने अपनी फिल्मों के जरिये दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।

किशोर कुमार ने  1964 मे फिल्म 'दूर गगन की छांव में' के जरिये निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखने के बाद 'दूर का राही', 'बढ़ती का नाम दाढ़ी', 'शाबास डैडी', 'दूर वादियों में कहीं', 'चलती का नाम जिंदगी' और 'ममता की छांव में' जैसी कई फिल्मों का निर्देशन भी किया।

निर्देशन के अलावा उन्होंने कई फिल्मों में संगीत भी दिया जिनमें 'झुमरू', 'दूर गगन की छांव में', 'दूर का राही', 'जमीन आसमान' और 'ममता की छांव में' जैसी फिल्में शामिल हैं। बतौर निर्माता किशोर कुमार ने 'दूर गगन की छांव में' और 'दूर का राही' जैसी फिल्में भी बनाईं।

किशोर कुमार को अपने करियर में वह दौर भी देखना पड़ा जब उन्हें फिल्मों में काम ही नहीं मिलता था। तब वह स्टेज पर कार्यक्रम पेश करके अपना जीवनयापन करने को मजबूर थे। बंबई में आयोजित ऐसे ही एक स्टेज कार्यक्रम के दौरान संगीतकार ओ. पी. नैय्यर ने जब उनका गाना सुना तो उन्होंने वह भाव विह्लल होकर कहा, 'महान प्रतिभाए तो अक्सर जन्म लेती रहती हैं लेकिन किशोर कुमार जैसा पार्श्वगायक हजार वर्ष में केवल एक ही बार जन्म लेता है।' उनके इस कथन का उनके साथ बैठी पार्श्वगायिका आशा भोंसले ने भी सर्मथन किया।
          
साल 1969 में निर्माता-निर्देशक शक्ति सामंत की फिल्म 'आराधना' के जरिए किशोर कुमार गायकी के दुनिया के बेताज बादशाह बने लेकिन दिलचस्प बात यह है कि फिल्म के आरंभ के समय संगीतकार सचिन देव बर्मन चाहते थे कि सभी गाने किसी एक गायक से न गवाकर दो गायकों से गवाएं जाएं।
           
बाद में सचिन देव बर्मन की बीमारी के कारण फिल्म 'आराधना' में उनके पुत्र आर.डी.बर्मन ने संगीत दिया। 'मेरे सपनों की रानी कब आयेगी तू' और 'रूप तेरा मस्ताना' गाना किशोर कुमार ने गाया। जो बेहद पसंद किया गया। 'रूप तेरा मस्ताना' गाने के लिये किशोर कुमार को बतौर गायक पहला फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। इसके साथ ही फिल्म 'आराधना' के जरिये वह उन ऊंचाइयों पर पहुंच गये, जिसके लिये वह सपनों के शहर मुंबई आये थे।

हरदिल अजीज कलाकार किशोर कुमार कई बार विवादों का भी शिकार हुए। साल 1975 में देश में लगाये गये आपातकाल के दौरान दिल्ली में एक सांस्कृतिक आयोजन में उन्हें गाने का न्यौता मिला। किशोर कुमार ने पारिश्रमिक मांगा तो आकाशवाणी और दूरदर्शन पर उनके गायन को प्रतिबंधित कर दिया गया।

आपातकाल हटने के बाद पांच जनवरी 1977 को उनका पहला गाना बजा 'दुखी मन मेरा सुनो मेरा कहना, जहां नहीं चैना वहां नहीं रहना' किशोर कुमार ने कई अभिनेताओं को अपनी आवाज दी लेकिन कुछ मौकों पर मोहम्मद रफी ने उनके लिये गीत गाये थे। इन गीतों में 'हमें कोई गम है तुम्हें कोई गम है, मोहब्बत कर जरा नहीं डर चले हो कहां कर के जी बेकरार', 'मन बाबरा निस दिन जाये', 'है दास्तां तेरी ये जिंदगी' और 'आदत हैं सबको सलाम करना' शामिल है। दिलचस्प बात यह है कि मोहम्मद रफी किशोर कुमार के लिये गाये गीतों के लिए महज एक रूपया पारिश्रमिक लिया करते थे।

1987 में किशोर कुमार ने निर्णय लिया कि वह फिल्मों से संन्यास लेने के बाद वापस अपने गांव खंडवा लौट जायेंगे। वह अक्सर कहा करते थें कि दूध जलेबी खाएंगे खंडवा में बस जायेंगे लेकिन उनका यह सपना अधूरा ही रह गया। 13 अक्टूबर 1987 को किशोर कुमार को दिल का दौरा पड़ा और वह इस दुनिया को अलविदा कह गए।

अपने गाये गीतों के लिए आठ बार फिल्म फेयर पुरस्कार मिला पाने वाले किशोर कुमार जन्मदिन के खास मौके पर जानिए उनके बारे सब कुछ और सुनिए उनके सदाबहार गानों में से ये दस खूबसबरत गाने-

1#  कभी अलविदा ना कहना...


2# गाता रहे मेरा दिल, तू है मेरी मंजिल


3# एक लड़की भीगी भागी सी


4# ओ साथी रे तेरे बिना भी क्या जीना


5# इंतेहा हो गई इंतजार की


6# क्या यही प्यार है


7# ये शाम मस्तानी


8# देखा एक ख्वाब


9# छूकर मेरे मन को किया तून क्या इशारा


10# तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा तो नहीं

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