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FILM REVIEW: पढ़ें फिल्म 'लवशुदा' की कहानी

इन दिनों लव स्टोरीज पर आधारित कई फिल्में एक के बाद आ रही हैं, जिनके नाम भी लगभग एक जैसे ही हैं। 'सनम तेरी कसम', 'सनम रे', 'इश्क फोरएवर', 'डायरेक्ट इश्क', 'लव...

FILM REVIEW: पढ़ें फिल्म 'लवशुदा' की कहानी
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 19 Feb 2016 06:53 PM
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इन दिनों लव स्टोरीज पर आधारित कई फिल्में एक के बाद आ रही हैं, जिनके नाम भी लगभग एक जैसे ही हैं। 'सनम तेरी कसम', 'सनम रे', 'इश्क फोरएवर', 'डायरेक्ट इश्क', 'लव शगुन' और अब 'लवशुदा'। अगर आप भी इनमें से किसी फिल्म को देखने का मूड बना रहे हैं तो जरा टिकट बुक कराने से पहले नाम वगैराह ठीक से चेक कर लीजिएगा।

'लवशुदा' अभिनेता गिरीश कुमार की दूसरी फिल्म है, जिससे बॉलीवुड में डेब्यू कर रही हैं नवनीत कौर ढिल्लन। कई आम प्रेम कहानियों की तरह यह फिल्म भी हीरो और हीरोइन की एक दिलचस्प मुलाकात के साथ शुरू होती है। हो सकता है कि ये मुलाकात आपको थोड़ी कम दिलचस्प लगे, क्योंकि गौरव (गिरीश कुमार) की पूजा (नवनीत कौर ढिल्लन) की मुलाकात एक बिस्तर पर होती है। वो कैसे आइये बताते हैं।

लंदन में गौरव की शादी होने वाली है। उसकी होने वाली पत्नी वंदना उस पर खूब हुक्म चलाती है, जिसकी वजह से गौरव उससे हमेशा डरा डरा सा रहता है। गौरव की शादी के जश्न में शरीक होने भारत से उसके दो दोस्त कुनाल (नवीन कस्तूरिया) और आशीष आये हैं। कुनाल के कहने पर ये सारे रात को बैचलर पार्टी मनाने निकल पड़ते हैं। जश्न में गौरव कुछ ज्यादा ही पी जाता है, जिसके बाद उसे कुछ पता नहीं रहता। अगले दिन जब उसकी आंख खुलती है तो बगल में बिस्तर पर लेटी एक युवती को देख कर वह दंग रह जाता है।

गौरव, उस लड़की को नहीं जानता। बीती रात क्या हुआ उसे कुछ नहीं पता। वह कुछ सोच समझ पाए इससे पहले दरवाजे पर दस्तक होती है। गौरव आनन-फानन में उस लड़की को वहां से भगा देता है। जाते-जाते वह लड़की गौरव की एक शर्ट पहन कर चली जाती है। बाद में गौरव को अहसास होता है कि वो शर्ट तो उसकी होने वाली सास ने उसके लिए भेजी भी। उसे हर हाल में वो शर्ट चाहिये।

अपने दोस्तों के साथ वह उस लड़की को ढूंढने निकल पड़ता है। काफी मशक्कत के बाद उन्हें वो लड़की मिल जाती है। पूजा नाम की इस लड़की से मिलते ही गौरव को कुछ अलग सा अहससा होता है। लेकिन ये अहसास प्यार में नहीं बदल पाता। गौरव की शादी हो जाती है। समय बीतता है और एक दिन ऐसा आता है कि गौरव का वंदना से तलाक हो जाता है।
चार साल बाद एक दिन अचानक गौरव की मुलाकात पूजा से होती है। वह पूजा को अपने दिल की बात बताता है, लेकिन अब पूजा की भी शादी होने वाली है। पूजा खुद को उसी मोड़ पर पाती है, जहां साल पहले गौरव खड़ा था। कभी हां, कभी ना करते-करते बात पूजा के शादी वाले दिन तक खिंच जाती है। जब कोई रास्ता नहीं सूझता तो गौरव शादी वाले दिन पूजा के घर ही पहुंच जाता है। लेकिन वो देख कर हैरान रह जाता है कि वहां वंदना भी मौजूद है।

फिल्म का पहला भाग देखकर बीच-बीच में कई बार अंग्रेजी फिल्म 'हैंगओवर' की याद आती है। ऐसा कई बार लगता है कि फिल्म उसी लीग पर चल रही है। लेकिन जैसे ही फिल्म में पूजा की एंट्री होती है तो सब बदल जाता है। फिल्म में मोटे तौर पर दो-तीन बातें कहने की कोशिश की गयी है। पहली तो ये कि सबको खुश रखने के चक्कर में कई बार इंसान जीवनभर दुखी रहता है। वो अपने दिल की कभी सुन ही नहीं पाता। एक बात ये भी कि जब जो पल अपने प्यार के अहसास के लिए आवाज दे तो उस पल को जी लेना चाहिये। देर नहीं करनी चाहिए। और दिल की आवाज सुनने में तो बिल्कुल भी नहीं।

अमूमन हर प्रेम कहानी कुछ  ही बातों के घिरी रहती है। तो फिल्म 'लवशुदा' इनसे अलग कैसे हुई। बेशक, इस फिल्म में कोई नहीं बात नहीं है। कुछ अलग सा दिखने वाला भी नहीं है। लेकिन ये फिल्म कई जगहों पर बांधे तो रखती है। गिरीश कुमार की सकुचाती एक्टिंग कहीं कहीं ठीक लगती है। लेकिन एक मुक्कमल कलाकार के तौर पर उभरने में उन्हें काफी वक्त लगेगा। वह वरूण धवन की तरह नहीं हैं, जो पहली ही फिल्म में विश्वास जगाते दिखें। गिरीश के सामने नए अभिनेता नवीन कस्तूरिया ने काफी अच्छा अभिनय किया है। कुनाल का उनका किरदार फिल्म को लाइट बनाने में सहायक नजर आता है।  

नवनीत कौर ढिल्लन आकर्षक हैं, लेकिन उनके साथ भी वही अभिनय वाली दिक्कत है। वह अभिनय करती दिखती तो नहीं। दूसरी बात ये कि यह कहानी सुनने में तो अच्छी लगती है। इसका कॉन्सेप्ट भी अपील करता है, लेकिन परदे पर यह केवल एक चमक-दमक वाली कहानी लगती है, जिसे क्लब-पार्टी सॉन्ग्स से सजाकर पेश किया गया है। पार्टी के एक जैसे दिखने वाले तीन गीतों ने फिल्म को अनावश्यक ही लंबा बना दिया है।

करीब सवा दो घंटे की यह फिल्म इंटरवल के बाद बहुत ज्यादा खिंची हुई लगती है। संवाद बेहद कमजोर हैं, पटकथा भी। यही वजह है कि 'लवशुदा' एक औसत फिल्म से ज्यादा कुछ नहीं बन पायी है।
सितारे : गिरीश कुमार, नवनीत कौर ढिल्लन, टिस्का चोपड़ा, नवीन कस्तूरिया, सचिन खेड़ेकर
निर्देशक-लेखक-पटकथा : वैभव मिश्रा
निर्माता : विजय गलानी
संगीत : मिथुन, परिचय
गीत : सईद कादरी, कुमार, मनोज यादव, परिचय
संवाद : हुसैन दलाल
रेटिंग 2 स्टार

फिल्म का ट्रेलर:

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