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कहीं ये सफलता मुझे पागल ना कर दे: रिचा चड्डा
रिचा हाल ही में कान फिल्म फेस्टिवल से वापस लौटी हैं। इस समारोह में उनकी फिल्म मसान ने दो अवॉर्ड अपने नाम किए हैं। दर्शकों से मिली इतनी सराहना से रिचा की खुशी का ठिकाना नहीं है। वह हाल ही में मीडिया...
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 01 Jun 2015 11:50 AM
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रिचा हाल ही में कान फिल्म फेस्टिवल से वापस लौटी हैं। इस समारोह में उनकी फिल्म मसान ने दो अवॉर्ड अपने नाम किए हैं। दर्शकों से मिली इतनी सराहना से रिचा की खुशी का ठिकाना नहीं है। वह हाल ही में मीडिया से रू-ब-रू हुईं और उन्होंने अपनी खुशी का इजहार कुछ इस तरह किया।
कान फिल्म फेस्टिवल में अपनी फिल्म मसान की तारीफ सुनकर आपको कैसा लग रहा है?
कान एक बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म है। यहां बॉलीवुड की किसी फिल्म को इतनी प्रशंसा मिलना बहुत बड़ी बात है। जब हमारी इस फिल्म ने दो अवॉर्ड जीते तो मैं खुशी से पागल हो गई थी। मुझे तो लग रहा था कि ये सफलता मुझे पागल ही कर देगी। लोगों को हमारा काम इतना पसंद आया, इसके लिए मैं सभी की शुक्रगुजार हूं। यह फिल्म की ही नहीं बल्कि मेरी भी एक बहुत बड़ी जीत है। इस फिल्म का कंटेट हर किसी को पसंद आया। अगर यह एक अच्छी फिल्म न होती तो यह इतने बड़े फेस्टिवल में नॉमिनेट ही नहीं होती।
आपने यह फिल्म साइन क्यों की थी ?
नीरज और वरुण ग्रोवर ने मुझसे इस फिल्म के लिए संपर्क किया था। उन्होंने कहा था कि इस फिल्म में उन्होंने मेरे लिए खासतौर पर एक किरदार लिखा है। मैं उन्हें मना नहीं कर सकती थी। लिहाजा मुझे फिल्म के लिए हामी भरनी पड़ी। हालांकि उस दौरान सब लोगों की राय अलग-अलग थी, कोई कह रहा था कि मैंने यह फिल्म साइन कर सही किया और किसी का कहना था कि मैंने गलती कर दी है। कुछ लोगों ने यह भी कहा था कि इस तरह की फिल्मों में पैसे बहुत कम मिलते हैं। खैर, जो भी था मुझे फिल्म की कहानी पसंद आ गई थी। मुझे पता था कि राइटर्स ने इसकी कहानी मुझे ध्यान में रखकर लिखी है। इसलिए मैंने बगैर देरी किए फिल्म के लिए हां की और अब मुझे लगता है कि मेरा फैसला सही था।
आप फिल्म साइन करने के दौरान किन बातों को ध्यान में रखती हैं ?
मेरे हिसाब से किसी फिल्म को साइन करना एक बहुत ही जिम्मेदारी का काम है। हमें एक नहीं बल्कि फिल्म चयन करने के दौरान कई चीजों का ख्याल रखना पड़ता है। कभी पैसा मायने रखता है तो कभी बैनर। अगर फिल्म से मेरे पसंदीदा या जान-पहचान के कलाकार जुडे़ हुए होते हैं तो भी मुझे कभी-कभी उस फिल्म को साइन करना पड़ता है। वजह यह कि अपने जानने वाले लोगों को ना नहीं कर सकते हैं।
अनुराग कश्यप की फिल्म बॉम्बे वेलवेट के बारे में आप क्या कहना चाहेंगी ?
सफलता और असफलता तो लगी रहती है। यह तो जिंदगी का एक हिस्सा है। कई फिल्में बनती हैं। कुछ चल जाती हैं और कुछ नहीं चलतीं। मैं अनुराग के बहुत करीब हूं। वह मेरे मेंटर रहे हैं। उनके टैलेंट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वह गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी बॉलीवुड को कई बेहतरीन फिल्में दे चुके हैं। मुझे लगता है कि अनुराग दोबारा एक शानदार एंट्री करेंगे।
कान फिल्म फेस्टिवल में अपनी फिल्म मसान की तारीफ सुनकर आपको कैसा लग रहा है?
कान एक बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म है। यहां बॉलीवुड की किसी फिल्म को इतनी प्रशंसा मिलना बहुत बड़ी बात है। जब हमारी इस फिल्म ने दो अवॉर्ड जीते तो मैं खुशी से पागल हो गई थी। मुझे तो लग रहा था कि ये सफलता मुझे पागल ही कर देगी। लोगों को हमारा काम इतना पसंद आया, इसके लिए मैं सभी की शुक्रगुजार हूं। यह फिल्म की ही नहीं बल्कि मेरी भी एक बहुत बड़ी जीत है। इस फिल्म का कंटेट हर किसी को पसंद आया। अगर यह एक अच्छी फिल्म न होती तो यह इतने बड़े फेस्टिवल में नॉमिनेट ही नहीं होती।
आपने यह फिल्म साइन क्यों की थी ?
नीरज और वरुण ग्रोवर ने मुझसे इस फिल्म के लिए संपर्क किया था। उन्होंने कहा था कि इस फिल्म में उन्होंने मेरे लिए खासतौर पर एक किरदार लिखा है। मैं उन्हें मना नहीं कर सकती थी। लिहाजा मुझे फिल्म के लिए हामी भरनी पड़ी। हालांकि उस दौरान सब लोगों की राय अलग-अलग थी, कोई कह रहा था कि मैंने यह फिल्म साइन कर सही किया और किसी का कहना था कि मैंने गलती कर दी है। कुछ लोगों ने यह भी कहा था कि इस तरह की फिल्मों में पैसे बहुत कम मिलते हैं। खैर, जो भी था मुझे फिल्म की कहानी पसंद आ गई थी। मुझे पता था कि राइटर्स ने इसकी कहानी मुझे ध्यान में रखकर लिखी है। इसलिए मैंने बगैर देरी किए फिल्म के लिए हां की और अब मुझे लगता है कि मेरा फैसला सही था।
आप फिल्म साइन करने के दौरान किन बातों को ध्यान में रखती हैं ?
मेरे हिसाब से किसी फिल्म को साइन करना एक बहुत ही जिम्मेदारी का काम है। हमें एक नहीं बल्कि फिल्म चयन करने के दौरान कई चीजों का ख्याल रखना पड़ता है। कभी पैसा मायने रखता है तो कभी बैनर। अगर फिल्म से मेरे पसंदीदा या जान-पहचान के कलाकार जुडे़ हुए होते हैं तो भी मुझे कभी-कभी उस फिल्म को साइन करना पड़ता है। वजह यह कि अपने जानने वाले लोगों को ना नहीं कर सकते हैं।
अनुराग कश्यप की फिल्म बॉम्बे वेलवेट के बारे में आप क्या कहना चाहेंगी ?
सफलता और असफलता तो लगी रहती है। यह तो जिंदगी का एक हिस्सा है। कई फिल्में बनती हैं। कुछ चल जाती हैं और कुछ नहीं चलतीं। मैं अनुराग के बहुत करीब हूं। वह मेरे मेंटर रहे हैं। उनके टैलेंट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वह गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी बॉलीवुड को कई बेहतरीन फिल्में दे चुके हैं। मुझे लगता है कि अनुराग दोबारा एक शानदार एंट्री करेंगे।