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Hindi Newsत्रिवेंद्र रावत होंगे उत्तराखंड के सीएम, कहा- ईमानदार सरकार दूंगा

त्रिवेंद्र रावत होंगे उत्तराखंड के सीएम, कहा- ईमानदार सरकार दूंगा

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लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 18 Mar 2017 06:55 AM

त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री होंगे। विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से उन्हें विधानमंडल दल का नेता चुन लिया गया है। राज्यपाल डॉ. केके पॉल त्रिवेंद्र को नवें मुख्यमंत्री के तौर पर शनिवार को शपथ दिलाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे। त्रिवेंद्र देहरादून जिले की डोईवाला सीट से विधायक चुने गए हैं।

शुक्रवार को सुभाष रोड स्थित एक होटल में भाजपा विधायक दल की बैठक में त्रिवेंद्र रावत को सर्वसम्मति से नेता विधायक दल चुना गया। पार्टी में सीएम को लेकर वरिष्ठ नेता प्रकाश पंत और सतपाल महाराज के नाम पर चर्चाओं में चल रहे थे। उनके समर्थक भी होटल के बाहर समर्थन में नारेबाजी करते रहे, लेकिन अंतत: हाईकमान और विधायक दल ने त्रिवेंद्र रावत के नाम पर मुहर लगाई।

केंद्रीय पर्यवेक्षक नरेंद्र तोमर के त्रिवेंद्र रावत के नाम का ऐलान के साथ ही भाजपा विधायकों ने उन्हें गुलदस्ते व बधाइयां देनी शुरू कर दीं। त्रिवेंद्र आरएसएस की भी पसंद रहे। वर्ष 1979 संघ में स्वयंसेवक के रूप में जिम्मा संभाला और 81 में संघ प्रचारक बने। वर्ष 2002 में वे उत्तराखंड के पहली विधान सभा में डोईवाला से विधायक निर्वाचित हुए थे। वर्ष 2007 में दूसरी बार चुने जाने पर कैबिनेट मंत्री भी बनाए गए थे।

मुख्यमंत्री चुने जाते ही भाजपा कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। होटल के बाहर कार्यकर्ता जश्न में झूमते रहे। उनके गांव में भी लोग खुशी से झूम उठे।

शपथ ग्रहण में 50 हजार लोगों के आने की संभावना

प्रकाश पंत और महाराज ने रखा प्रस्ताव
विधायक दल की बैठक में वरिष्ठ विधायक प्रकाश पंत और सतपाल महाराज ने संयुक्त रूप त्रिवेंद्र रावत को विधायक दल का नेता बनाने का प्रस्ताव रखा। वरिष्ठ विधायक हरबंस कपूर, मदन कौशिक, विशन सिंह चुफाल, डॉ. हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य, डा. प्रेम सिंह राणा, ऋतु खंडूड़ी ने प्रस्ताव का समर्थन किया।

पहले वरिष्ठ नेताओं में मंत्रणा
लगभग 3.30 बजे केंद्रीय पर्यवेक्षक नरेंद्र तोमर, सरोज पांडे के साथ ही केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, धर्मेंद्र प्रधान, उत्तराखंड प्रभारी श्याम जाजू सुभाष रोड स्थित पैसिफिक होटल पहुंचे। लगभग सवा घंटे इन नेताओं ने अलग कमरे में मंत्रणा की। वहां उन्होंने सांसद भगत सिंह कोश्यारी, डा. रमेश पोखरियाल निशंक व प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट से अलग-अलग बातचीत की। लगभग 4:20 मिनट पर केंद्रीय नेता विधायक दल की बैठक में पहुंचे। लगभग 12 मिनट के भीतर ही बैठक संपन्न हो गई।

त्रिवेंद्र रावत इसलिए बने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री

उत्तराखंड: ये हैं मंत्री पद के दावेदार

त्रिवेंद्र के पिता फौजी, भाई किसान

उत्तराखंड में ईमानदार सरकार दूंगा: त्रिवेंद्र

टाट-पट्टी वाले स्कूल में पढ़ते थे UK के CM त्रिवेंद्र रावत

सरकार बनाने का दावा पेश किया
बैठक खत्म होते ही केंद्रीय नेताओं के साथ मनोनीत सीएम त्रिवेंद्र रावत ने विधायकों के साथ राजभवन पहुंच सरकार बनाने का दावा पेश किया। शाम करीब साढ़े पांच बजे विधायक दल के नेता त्रिवेंद्र ने राज्यपाल डॉ. केके पॉल को पार्टी के 57 नव निर्वाचित विधायक की सूची सौंप सरकार बनाने का दावा पेश किया।

शनिवार को होगा शपथ ग्रहण समारोह
त्रिवेंद्र सिंह रावत शनिवार अपराह्न तीन बजे देहरादून के परेड ग्राउंड में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। समझा जा रहा है कि उनके साथ छह-सात मंत्री भी शपथ ले सकते हैं। मंत्रिमंडल को लेकर शुक्रवार सुबह से ही भाजपा नेताओं की बैठकों का दौर जारी है।

केंद्रीय मंत्री व पर्यवेक्षक नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से नेता विधायक दल के नाम का प्रस्ताव आया। अन्य किसी का नाम बैठक में न आने पर त्रिवेंद्र रावत को सर्वसम्मति से उत्तराखंड का मुख्यमंत्री मनोनीत किया गया।

त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम बनाने का ऐलान होते ही गांव में जश्न

देखें वीडियो-

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त्रिवेंद्र रावत होंगे उत्तराखंड के सीएम, कहा- ईमानदार सरकार दूंगा

 

उत्तराखंड में ईमानदार सरकार दूंगा: त्रिवेंद्र
उत्तराखंड के नव नियुक्त मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने राज्य की जनता को भ्रष्टाचार पर कड़ाई से अंकुश लगाने का भरोसा दिया। उन्होंने कहा कि गरीबी उन्मूलन उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल रहेगा।विधायक दल का नेता चुने जाते ही त्रिवेंद्र रावत के चेहरे पर रौनक लौट आई।

गहरी नीले रंग की बॉस्केट और सफेद रंग का कुर्ता-पायजामा पहने आत्म विश्वास से लबरेज त्रिवेंद्र माथे पर लंबा लाल टीका भी लगाए थे। बेहद शालीन अंदाज में उन्होंने उत्तराखंड में नेतृत्व सौंपे जाने पर केंद्रीय हाईकमान और नव निर्चावित विधायकों का शुक्रिया अदा किया।

त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि वह उत्तराखंड में पारदर्शी और ईमानदार सरकार देंगे। भ्रष्टाचार को राज्य में किसी भी सूरत में पनपने नहीं देंगे। भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देकर वे उत्तराखंड के विकास के लिए चहंमुखी कदम उठाएंगे। पीएम मोदी ने उत्तराखंड में डबल इंजन देकर थमे विकास की रफ्तार बढ़ाने का जो भरोसा दिया है, उसे अब वे साकार करेंगे।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि प्रदेश के गरीबों का कल्याण सर्वोच्च प्राथमिकता में रहेगा। गरीबी उन्मूलन दूर कर उत्तराखंड प्रदेश को खुशहाली की तरफ ले जाएंगे। प्रदेश की जनता को विश्वास दिलाया कि भाजपा को प्रचंड बहुमत देकर प्रदेश के विकास के लिए जो सपने संजोए हैं, उन्हें वे पूरा कर जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे।

मोदी का विजन होगा लागू
त्रिवेंद्र ने कहा कि अब उत्तराखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन लागू करेंगे। पहाड़ के दूर-दराज ग्रामीणों को सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए भरसक प्रयास करेंगे। हर व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान लौटें, इसके लिए मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के विकास के एजेंडा पर काम करेंगे।

अफसर व कर्मचारी ईमानदारी पेश करें
नव नियुक्त मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने राज्य के नौकरशाहों और कार्मिकों को ईमानदारी पेश करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अफसर व कार्मिक अपने ड्यूटी के प्रति हर समय सजग होकर काम करें। लापरवाह अफसर किसी भी सूरत में सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी।

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त्रिवेंद्र रावत होंगे उत्तराखंड के सीएम, कहा- ईमानदार सरकार दूंगा

 

उत्तराखंड: ये हैं मंत्री पद के दावेदार
आरएसएस के प्रचारक रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी हुई है। त्रिवेंद्र रावत की छवि को पहाड़ के नेता के तौर पर देखी जाती है। माना जा रहा है त्रिवेंद्र रावत के मंत्रिमंडल में इन लोगों को मंत्री पद दिया जा सकता है-

यशपाल आर्य- कांग्रेस से बगावत कर भाजपा के टिकट पर बाजपुर से जीतकर आए हैं। कांग्रेस सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रहे हैं।

डा.हरक सिंह रावत- कांग्रेस से बगावत कर भाजपा के टिकट पर कोटद्वार से जीतकर आए हैं। कांग्रेस सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रहे हैं।

प्रकाश पंत- भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं, सीएम की दौड़ में भी पूरी तरह शामिल रहे हैं। 2007 में भाजपा सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।

मदन कौशिक- भाजपा के बड़े नेता हैं, हरिद्वार से लगातार चौथी बार जीतकर आए हैं। मैदान में भाजपा का बड़ा चेहरा हैं।

मुन्ना चौहान- भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हैं, तेजतर्रार और ईमानदार छवि के मुन्ना को कैबिनेट में जगह मिल सकती है।

धन सिंह रावत- आरएसएस से लंबे समय तक जुड़े रहे हैं। श्रीनगर से चुनाव जीतकर आए हैं। केंद्र में अच्छी पकड़ है।

रेखा आर्य- कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में आई रेखा आर्य भी सांसद और पूर्व सीएम कोश्यारी की करीबी हैं। महिला होने के नाते मंत्रीमंडल में जगह मिल सकती है।

सुबोध उनियाल- कांग्रेस से बगावत में अहम भूमिका रही। पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के खास हैं। नरेंद्रनगर से जीतकर आए हैं।

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त्रिवेंद्र के पिता फौजी, भाई किसान
त्रिवेंद्र सिंह रावत का परिवार एक आम पहाड़ी परिवार के जैसा है। उनके पिता प्रताप सिंह रावत गढ़वाल राफयल के सैनिक रहते हुए दूसरे विश्वयुद्ध की लड़ाई लड़ चुके हैं। जबकि उनके एक भाई आज भी गांव में वैज्ञानिक तरीके से संगध पौधों की खेती कर रहे हैं।

आठ भाई और एक बहन में त्रिवेंद्र सबसे छोटे हैं। उनके एक भाई बृजमोहन सिंह रावत आज भी खैरासैंण स्थित गांव के पोस्ट ऑफिस में पोस्टमास्टर हैं। जो सपरिवार गांव में ही रहते हैं, त्रिवेंद्र क दो बड़े भाईयों का इस बीच निधन हो चुका है, उनका परिवार भी गांव में पैतृक घर में रहता है।

एक भाई का परिवार सतपूली कस्बे में रहता है, जबकि त्रिवेंद्र से ठीक बड़े विरेंद्र सिंह रावत जयहरीखाल में रह कर पहाड़ में नई तरीके की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। वीरेंद्र बताते हैं कि पहले वो दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करते थे, लेकिन बाद में उन्होंने पहाड़ लौटकर जयहरीखाल के पास पीड़ा गांव में तीन सौ नाली जमीन लीज पर लेकर यहां संगध पौधों की खेती की। इस बार पहली बार वो इससे 90 लीटर सुंगधित तेल निकालने में कामयाब रहे। जिसकी बाजारू कीमत क्वालिटी के अनुसार नौ सौ रुपए से लेकर 1800 रुपए प्रति लीटर की है। बकौल वीरेंद्र भविष्य में वो इस प्रयोग को दूसरे गावों में भी दोहराना चाहते हैं, उनके अनुसार पहाड़ में खेती के बजाय इसी तरह बागवानी को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है।

फैशन डिजाइनर, लॉ की पढ़ाई कर रही हैं त्रिवेंद्र की बेटियां
भावी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पत्नी सुनीता रावत शिक्षिका हैं। जो इस समय राजकीय जूनियर हाईस्कूल रिस्पना में बतौर हेडमास्टर कार्यरत हैं। त्रिवेंद्र की दो बेटियां है। बड़ी बेटी कृति फैशन डिजाइनिंग और छोटी बेटी सृजा गुडगांव से लॉ की पढ़ाई कर रही है। बड़ी बेटी कृति बुधवार को ही वापस कॉलेज दिल्ली लौटी है, जबकि छोटी बेटी सृजा अभी कुछ दिन और देहरादू में है। हालांकि सृजा बताती हैं कि उन्होंने अपने किसी दोस्ता को यह नहीं बताया कि उनके पापा पॉलिटीशियन हैं, अब अगर वो सीएम भी बनते हैं तो वो अपने दोस्तों को खुद यह जानकारी नहीं देंगी। लंबे समय से रावत परिवार सुमन नगर में सरस्वती विद्या मंदिर के पास ही रहता था, लेकिन बाद में उन्होंने इस मकान को बेच कर डिफेंस कॉलोनी सी ब्लॉक में नया मकान बना लिया है। अब त्रिवेंद्र परिवार यही पर रहता है।

 

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टाट-पट्टी वाले स्कूल में पढ़ते थे UK के CM त्रिवेंद्र रावत
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संघ के प्रचारक से लेकर सीएम तक के सफर में तमाम उतार-चढ़ाव देखे। वह 14 साल तक संघ से जुड़े रहे और फिर 1993 में भाजपा संगठन मंत्री बने। राज्य बनने के बाद 2002 में पहली बार डोईवाला से विधायक चुने गए।

20 दिसंबर 1960 को पौड़ी गढ़वाल के खैरासैँण(जहरीखाल) में फौजी परिवार में जन्में त्रिवेंद्र रावत ने पत्रकारिता से पीजी की पढ़ाई की। वह 19 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े। दो साल बतौर स्वयं सेवक संघ की शाखाओं में नियमित रूप से गए और वर्ष 1981 में संघ की नीतियों से इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने बतौर प्रचारक काम करने का संकल्प लिया।

1985 में उन्हें देहरादून महानगर का प्रचारक नियुक्त किया गया। वर्ष 1993 में संघ की ओर से उन्हें भारतीय जनता पार्टी में संगठन मंत्री का दायित्व दिया गया। राज्य आंदोलन में भी त्रिवेंद्र की अहम भूमिका रही। वह कई बार गिरफ्तार हुए और जेल भी गए। वर्ष 1997 से 2002 तक भाजपा में उन्हें प्रदेश संगठन मंत्री बनाया गया। इस दौरान भाजपा ने विधानसभा, लोकसभा और विधान परिषद चुनाव में बड़ी सफलता हासिल की। वर्ष 2002 में पहले विधानसभा चुनाव में डोईवाला से चुनाव जीता और विधायक बने। 2007 में डोईवाला से दोबार रिकार्ड मतों से जीत दर्ज की और भाजपा सरकार में कृषि मंत्री बने।

पार्टी नेतृत्व के भरोसेमंद
नेतृत्व क्षमता का आंकलन करते हुए वर्ष 2013 में पार्टी ने त्रिवेंद्र रावत को राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी दी। साथ ही उत्तर प्रदेश का सह प्रभारी और टैक्नोक्रेट सेल के प्रभारी के तौर पर अहम जिम्मेदारी दी। लोकसभा चुनाव 2014 में भी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने त्रिवेंद्र पर भरोसा करते हुए उन्हें यूपी का सह प्रभारी बनाया। त्रिवेंद्र रावत ने अपनी राजनैतिक कौशलता का परिचय झारखंड चुनाव में दिया।  अक्तूबर 2014 में झारखंड प्रभारी बने और वहां भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी।

पहाड़ के गांवों को लेकर त्रिवेंद्र आज भी रहते हैं चिंतित

त्रिवेंद्र सिंह रावत का परिवार एक आम पहाड़ी परिवार के जैसा है। उनके पिता प्रताप सिंह रावत गढ़वाल राफयल के सैनिक रहते हुए दूसरे विश्वयुद्ध की लड़ाई लड़ चुके हैं। जबकि उनके एक भाई आज भी गांव में वैज्ञानिक तरीके से संगध पौधों की खेती कर रहे हैं।

आठ भाई और एक बहन में त्रिवेंद्र सबसे छोटे हैं। उनके एक भाई बृजमोहन सिंह रावत आज भी खैरासैंण स्थित गांव के पोस्ट ऑफिस में पोस्टमास्टर हैं। जो सपरिवार गांव में ही रहते हैं, त्रिवेंद्र क दो बड़े भाईयों का इस बीच निधन हो चुका है, उनका परिवार भी गांव में पैतृक घर में रहता है। एक भाई का परिवार सतपूली कस्बे में रहता है, जबकि त्रिवेंद्र से ठीक बड़े विरेंद्र सिंह रावत जयहरीखाल में रह कर पहाड़ में नई तरीके की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं।

वीरेंद्र बताते हैं कि पहले वो दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करते थे, लेकिन बाद में उन्होंने  पहाड़ लौटकर जयहरीखाल के पास पीड़ा गांव में तीन सौ नाली जमीन लीज पर लेकर यहां संगध पौधों की खेती की। इस बार पहली बार वो इससे 90 लीटर सुंगधित तेल निकालने में कामयाब रहे। जिसकी बाजारू कीमत क्वालिटी के अनुसार नौ सौ रुपए से लेकर 1800 रुपए प्रति लीटर की है। बकौल वीरेंद्र भविष्य में वो इस प्रयोग को दूसरे गावों में भी दोहराना चाहते हैं, उनके अनुसार पहाड़ में खेती के बजाय इसी तरह बागवानी को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है।

टाट पट्टी वाले स्कूल में पढ़कर निकले
त्रिवेंद्र ने आठवीं तक की पढ़ाई अपने मूल गांव खैरासैण स्थित स्कूल में की। इसके बाद 10वीं की पढाई इंटर कॉलेज सतपूली और फिर 12वीं इंटर कॉलेज एकेश्वर से की। त्रिवेंद्र ने स्नातक राजकीय महाविद्यालय जयहरीखाल से किया, जबकि पत्रकारिता में स्नातकोत्तर गढ़वाल विश्वविद्यालय कैम्पस श्रीनगर से किया।

त्रिवेंद्र के भाई वीरेंद्र बताते हैं कि वो पढ़ाई में मध्यम दर्जे के रहे, लेकिन बचपन से ही सामाजिक कार्य और राजनैतिक विषयों पर विचार विमर्श करने में उनकी गहन रुचि रही। यही कारण है कि उन्होंने स्कूली दिनों से ही संघ की गतिविधियों में रुचि लेना शुरू कर दिया था।

मंडुआ की रोटी का स्वाद
उनके बड़े भाई वीरेंद्र बताते हैं कि उन्हे सर्दियों में मंडुवे की रोटी जरूर चाहिए होती है। गांव से आए किसी भी पहाड़ी उत्पाद को वो बड़े चाव से खाते हैं। इसमें पहाड़ी गहथ, काली दाल, भट्ट प्रमुख हैं। खासकर गांव जाकर वो पूरी तरह से पहाड़ी खाना पसंद करते हैं।

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