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मानसून का स्वागत

मौसम विभाग ने केरल में मानसून के पहुंचने की आधिकारिक घोषणा कर दी है। इसके साथ ही भारत की वर्षा ऋतु का आरंभ माना जा सकता है, जो कि देश के लिए जीवनी शक्ति देने वाली ऋतु है। देश की लगभग 75 प्रतिशत बारिश...

मानसून का स्वागत
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 08 Jun 2016 09:52 PM
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मौसम विभाग ने केरल में मानसून के पहुंचने की आधिकारिक घोषणा कर दी है। इसके साथ ही भारत की वर्षा ऋतु का आरंभ माना जा सकता है, जो कि देश के लिए जीवनी शक्ति देने वाली ऋतु है। देश की लगभग 75 प्रतिशत बारिश इसी मौसम के चार महीनों में होती है और खेती-किसानी का सारा कारोबार इस बारिश पर निर्भर होता है। भारत की लगभग 60 प्रतिशत खेती योग्य जमीन असिंचित है और वहां खेती बादलों के भरोसे रहती है। माना यह जाता है कि केरल में मानसून एक जून को दस्तक देता है, लेकिन ऐसा कम ही होता है कि मानसून सचमुच एक जून को ही पधारे। पिछले पांच साल में सिर्फ एक बार मानसून एक जून को आया था।

मानसून का इस बार कुछ ज्यादा बेताबी से इंतजार हो रहा था, क्योंकि पिछले दो मानसून बहुत अच्छे नहीं गुजरे हैं और दोनों वर्षों में सामान्य से कम बारिश हुई है। इसकी वजह से देश के बडे़ हिस्से में सूखा पड़ा है और इसलिए मानसून का हफ्ता भर देर से आना भी कुछ मुश्किल गुजरा है। इसका अर्थ यह नहीं कि देश के बाकी हिस्सों में भी मानसून देर से ही पहुंचेगा। एक बार केरल पहुंच जाने के बाद मानसून की गति स्थानीय कारणों पर निर्भर होती है, जिसकी वजह से मानसून कहीं भी जल्दी या देरी से पहुंच सकता है।

मानसून के केरल पहुंचने की तारीख का पूरे मौसम में बारिश के कम या ज्यादा होने से भी संबंध नहीं है, बल्कि इस साल मौसम विभाग के मुताबिक सामान्य से ज्यादा बारिश होने की पूरी-पूरी संभावना है। देश के उत्तर-पूर्वी भाग में ही सामान्य से कम बारिश हो सकती है, बाकी भारत में 108 से 118 प्रतिशत के बीच वर्षा होने की संभावना है। अच्छी बात यह भी है कि सबसे ज्यादा बारिश भारत के मध्य और पश्चिमी इलाके में हो सकती है, जिसमें सबसे ज्यादा सूखा ग्रस्त क्षेत्र मौजूद है। पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली वगैरह राज्यों में भी 108 प्रतिशत तक बारिश होने की संभावना है और दक्षिण भारत में भी ऐसी ही बारिश होगी, ऐसा मौसम विभाग का अनुमान है।

अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप द्वीप समूहों पर तो अमूमन 20 मई से ही मानसून की बारिश शुरू हो जाती है, लेकिन भारत में मानसून की शुरुआत केरल में मानसून पहुंचने से ही मानी जाती है। पिछले कुछ दिनों से समूचे भारत में छिटपुट बारिश हो रही है और केरल में पिछले पूरे हफ्ते बारिश होती रही है, लेकिन मानसून के आगमन की घोषणा के लिए मौसम विभाग ने कुछ मानक तय किए हैं। जब केरल के 60 प्रतिशत मौसम केंद्रों पर पिछले 48 घंटों में कम से कम 2.5 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड होती है और हवा की तीव्रता एक निश्चित सीमा को छूती है, तभी उसे मानसूनी बारिश कहा जाता है। उसके पहले की सारी बारिश को मानसून पूर्व की बारिश माना जाता है।

इस बार की बारिश देश के कई हिस्सों को दो साल के सूखे से राहत देगी, लेकिन जरूरी यह है कि इस सूखे से सीखे सबक को हम याद रखें। कई क्षेत्रों में पानी के संग्रह और इस्तेमाल के तरीकों पर सवाल उठाए गए हैं और लोगों ने या सरकार ने पानी के संग्रह के लिए ऐसे इंतजाम शुरू किए हैं, जिनसे भविष्य में अगर सूखा पडे़, तो दिक्कत न आए। पूरे देश में पानी के इंतजाम को लेकर नए सिरे से सोचना और सक्रिय होना जरूरी है, ताकि भविष्य में पानी का गंभीर संकट न झेलना पडे़। यह भी सोचना जरूरी है कि बरसात का पानी हम किस तरह संग्रह करें, और उपयोग में लाएं। यह अच्छी खबर है कि इस साल मानसून अच्छा रहेगा, लेकिन बेहतर यह होगा कि हम मानसून पर अपनी निर्भरता घटाएं, ताकि एकाध साल कम बारिश से हाहाकार की स्थिति न पैदा हो।

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