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यादों का जखीरा

हम में से ज्यादातर लोगों का संघर्ष हमेशा भूलने के खिलाफ होता है। चाहे वह स्कूल-कॉलेज की परीक्षाओं में साल भर की मेहनत को लेकर हो या बड़े होने पर लोगों के नाम और घरों के पते भूलने के खिलाफ। ऐसे में,...

यादों का जखीरा
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 31 Jan 2016 09:48 PM
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हम में से ज्यादातर लोगों का संघर्ष हमेशा भूलने के खिलाफ होता है। चाहे वह स्कूल-कॉलेज की परीक्षाओं में साल भर की मेहनत को लेकर हो या बड़े होने पर लोगों के नाम और घरों के पते भूलने के खिलाफ। ऐसे में, उन लोगों के बारे में जानना दिलचस्प हो सकता है, जिन्हें कोई चीज भूलती नहीं है। दुनिया में कई लोग हैं, जिन्हें अपने जीवन की एक-एक बात पूरी तफसील के साथ याद रहती है। मसलन, उन्हें 15 या 20 साल पहले की कोई तारीख बताई जाए, तो वे उस दिन की सुबह से रात तक की अपनी सारी दिनचर्या बता देंगे। जैसे, उस दिन उन्होंने कौन से कपड़े पहने थे, सुबह नाश्ते में क्या खाया था, दोपहर के खाने में क्या और रात के डिनर में क्या, इसके बाद वे रात कितने बजे सोए थे। एक ऐसे ही व्यक्ति का कहना है कि उसकी याददाश्त किसी वीडियो कैसेट लाइब्रेरी की तरह है, जिसमें हर दिन की पूरी रिकॉर्डिंग मौजूद है। वैज्ञानिकों ने इस स्थिति को 'हाइली सुपीरियर ऑटोबायोग्राफिकल मेमोरी' (एचएसएएम) नाम दिया है और वे गंभीरता से कुछ लोगों की इस खासियत का अध्ययन कर रहे हैं।

जैसा कि नाम से जाहिर है, यह स्मृति आम तौर पर अपने जीवन के बारे में ही होती है। वैज्ञानिकों ने पाया कि अन्य मामलों में उनकी याददाश्त आम लोगों जितनी ही होती है। पहले वैज्ञानिक यह मानते थे कि यह 'ऑरिज्म' या दिमाग की किसी असामान्य संरचना की वजह से होती होगी, लेकिन जांच करने पर यह पाया गया कि ऐसे लोगों के दिमाग की संरचना सामान्य ही होती है, सिर्फ याददाश्त के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र 'प्रीफ्रंटल लोब' और 'हिप्पोकैंपस' में कुछ ज्यादा तंत्रिकाओं के गुच्छे मिलते हैं, लेकिन शायद इनकी असाधारण स्मृति इनके कारण नहीं होती, बल्कि स्मृति का ज्यादा इस्तेमाल करने से ये बन जाते हैं। वैसे ही, जैसे व्यायाम करने से मांसपेशियां सुगठित बनती हैं।

 ऐसे में, सवाल यह उठता है कि इस असाधारण याददाश्त की वजह क्या है? वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अपने दिमाग की आम क्षमता का ही असाधारण इस्तेमाल करना ये लोग सीख जाते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि इन लोगों में दो गुण विशेष रूप से पाए जाते हैं। पहला फैंटेसी का रुझान और दूसरा अंतर्मुखी होना। पहला गुण वही है, जिसे हम दिवास्वप्न देखना कहते हैं। इसके अलावा ये लोग अपने जीवन की घटनाओं को बार-बार दिमाग में किसी चलचित्र की तरह चलाते और दोहराते रहते हैं। ये लोग याददाश्त के जाने-पहचाने तरीके का इस्तेमाल करते हैं, यानी घटनाओं को बार-बार याद करते रहना। जाहिर है, यह अपने आप में पूरा स्पष्टीकरण नहीं हो सकता, पर यह तो सच है कि इनके दिमाग में कोई असाधारण संरचना नहीं पाई गई।

इससे बिल्कुल अलग एक खबर के मुताबिक, एक अमेरिकी संस्थान के वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि इंसानी दिमाग की याददाश्त की क्षमता अब तक जितनी मानी जाती थी, उससे दस गुना ज्यादा होती है। इन वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसानी दिमाग की क्षमता एक पेटाबाइट होनी चाहिए। पेटाबाइट ऐसी क्षमता है, जिसका हम अंदाजा नहीं लगा सकते। हालांकि हम इसके बहुत थोड़े हिस्से का इस्तेमाल करते हैं। हो सकता है कि इन लोगों ने अपने दिमाग की छिपी हुई क्षमता का इस्तेमाल करने का कोई तरीका अनजाने में खोज लिया हो। हालांकि इतनी याददाश्त सिर्फ वरदान नहीं है। वह कभी-कभी अभिशाप भी साबित होती है, क्योंकि इन लोगों के दिमाग में बुरी यादें भी हर बारीकी के साथ मौजूद रहती हैं। लेकिन इन लोगों की मौजूदगी यह बताती है कि हर दिमाग में क्षमता है, इसे जगाने की कोशिश करने में क्या हर्ज है।

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