औरत की सुरक्षा
औरत के लिए कौन सी जगह सबसे ज्यादा सुरक्षित है? क्या वह घर में सुरक्षित है? खेत में सुरक्षित है? थाने में सुरक्षित है? विश्वविद्यालय-कॉलेज में सुरक्षित है? अस्पताल में सुरक्षित है? वह इनमें से सभी जगह...
औरत के लिए कौन सी जगह सबसे ज्यादा सुरक्षित है? क्या वह घर में सुरक्षित है? खेत में सुरक्षित है? थाने में सुरक्षित है? विश्वविद्यालय-कॉलेज में सुरक्षित है? अस्पताल में सुरक्षित है? वह इनमें से सभी जगह पर बार-बार हमलों का शिकार हुई है। औरत की सुरक्षा का सवाल जब भी उठा, तो हमने कडे़ कानून, जल्द न्याय, उसके लिए संसाधनों की बातें कीं? लेकिन फिर भी यह पाया कि औरत सबसे ज्यादा असुरक्षित है। अदालतें थक चुकी हैं, नेताओं की जुबान थक गई है, जुलूस निकालने वाले थक गए हैं, लेकिन औरत के लिए एक सुरक्षित स्थान अभी तक तय नहीं कर पाए हैं। औरत असुरक्षित क्यों है, इसके कारणों की बुनियाद को टटोला जाना चाहिए। औरत पर हमलों की शुरुआत पहले भाषा में होती है। ये वाचिक हमले कायिक हमलों से ज्यादा खतरनाक और पीड़ादायक होते हैं। इन हमलों ने समूचे समाज की मनोदशा ऐसी बना दी है कि औरत पर हमले हमें रूटीन लगने लगे हैं। हमें औरत के प्रति अपनी भाषा बदलनी होगी। बोलने का लहजा बदलना होगा। इसके लिए सरकार बदलने की नहीं, जुबान बदलने की जरूरत है। जो लोग स्त्री-सुरक्षा के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें कहते हैं, वे सिर्फ अपनी भाषा बदल लें, तो स्थितियां बदलने लगेंगी। औरत को सामाजिक सुरक्षा देनी है, तो पहले उसे अपनी भाषा में सम्मान देने की कोशिश करो।
जगदीश्वर चतुर्वेदी की फेसबुक वॉल से