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बिखर रही है उनकी जिंदगी

दुनिया भर में ऐसे लोगों की संख्या करीब 13 करोड़ तक पहुंच गई है, जो जीवित रहने के लिए मानवीय सहायता पर निर्भर हैं। यह आंकड़ा चिंतित करने वाला है। फिर भी इससे लोगों की तकलीफों का थोड़ा ही अंदाजा होता...

बिखर रही है उनकी जिंदगी
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 31 Aug 2016 09:34 PM
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दुनिया भर में ऐसे लोगों की संख्या करीब 13 करोड़ तक पहुंच गई है, जो जीवित रहने के लिए मानवीय सहायता पर निर्भर हैं। यह आंकड़ा चिंतित करने वाला है। फिर भी इससे लोगों की तकलीफों का थोड़ा ही अंदाजा होता है, क्योंकि खाना-पानी की किल्लत होने के अलावा उन्हें और भी कई ऐसी परेशानियां हैं, जो बयान से बाहर हैं।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून का कहना है कि 13 करोड़ की इस संख्या में ऐसे इंसान, उनके परिवार और समुदाय शामिल हैं, जिनकी जिंदगी न सिर्फ बिखर चुकी है, बल्कि पूरी तरह से तबाही के कगार पर है। हर दिन अनगिनत बच्चे, महिलाएं और पुरुष ऐसे संकटों और प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में आ जाते हैं कि उनकी जिंदगी बेबस हो जाती है।

इनमें हालात के मारे ऐसे माता-पिता हैं, जिन्हें अपने बच्चों और परिवार के लिए खाना व दवाइयों में से किसी एक को चुनना पड़ता है, क्योंकि दोनों चीजें खरीदने के लिए उनके पास धन नहीं होता। बहुत से ऐसे बच्चे भी हैं, जिन्हें स्कूल नहीं जाकर अपने परिवार का पेट पालने के लिए कामकाज करना पड़ता है। बान की मून का कहना है, 'मैं आप सबसे अपील करता हूं कि अपने नेताओं को उनके वादे याद दिलाएं। वादे लड़ाई-झगड़े खत्म करने के। वादे उन्हें विश्व मानवीय मानक बनाए रखने के। वादे उन्हें मानवीय कार्यों में समय व धन निवेश करने के। इन वादों में यह भी शामिल है कि लोगों की जरूरतें पूरी की जाएं और किसी को भी पीछे न छोड़ा जाए।'
 संयुक्त राष्ट्र रेडियो में महबूब खान

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