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कॉल डंप के बजाए टावर लोकेशन ढुंढती रही पुलिस, रंजय की हत्या में पुलिस ने किया था इस्तेमाल

नीरज हत्याकांड की जांच में जुटी धनबाद पुलिस ने अभी तक टावर लोकेशन को आधार बनाकर आरोपियों और संदिग्धों को गिरफ्तार की है। गिरफ्तार लोगों में सभी हत्या में संदिग्ध थे और टावर लोकेशन के मुताबिक...

कॉल डंप के बजाए टावर लोकेशन ढुंढती रही पुलिस, रंजय की हत्या में पुलिस ने किया था इस्तेमाल
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 01 Apr 2017 02:30 AM
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नीरज हत्याकांड की जांच में जुटी धनबाद पुलिस ने अभी तक टावर लोकेशन को आधार बनाकर आरोपियों और संदिग्धों को गिरफ्तार की है। गिरफ्तार लोगों में सभी हत्या में संदिग्ध थे और टावर लोकेशन के मुताबिक ज्यादातर लोग मौके पर मौजुद थे । सभी का संबंध सिंह मेंशन से है। कोई मेंशन का समर्थक हैं तो कोई रिश्तेदार। इनके परिजनों की अपनी दलिल है कि उनका सिंह मेंशन के अंदर और आस-पास रहना रोजाना की बात हैं। पुलिस इस कांड में कॉल डंप के इस्तेमाल करने से बचती रही । जबकी कॉल डंप टावर लोकेशन से जयादा कारगार और सटिक साधन है शूटरों तक पहुंचनें में।

हाल में हुए राजीव रंजन उर्फ रंजय सिंह हत्याकांड में पुलिस ने कॉल डंप का इस्तेमाल किया था। लेकिल पुलिस ने इस कांड में अभी तक कॉल डंप का इस्तेमाल नहीं किया ताकि पुलिस दावा कर सके कि पकड़ा गया कोई संदिग्ध ठीक घटना स्थल पर ही मौजुद था।

क्या है कॉल डंप

कॉल डंप की मदद से एक निश्चित जगह से निश्चित समय का कॉल डिटेल व एक्टीव नेटवर्क मोबाइल कंपनियां मुहैया कराती है। टावर लाकेशन जहां संबंधीत मोबाइन नंबर को आस-पास के नेटवर्क सर्च करके बताता है, वहीं कॉल डंप सटिक घटना स्थल को ही लोकेशन बताता है। यह प्रक्रिया खर्चिली होती है। कॉल डंप के उपयोग के लिए सक्षम अधिकारी का आदेश लेना पड़ता है। घटना के समय एक्टीव नेटवर्क और वह नेटवर्क कहां तक गई इसका भी पता चल जाता है।

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