अलग झारखंड राज्य आंदोलन का बिगूल फूंकनेवाले अग्रणी नेताओं में से एक बिनोद बिहारी महतो की रविवार को पुण्यतिथि मनाई गई। बिनोद बाबू को श्रद्धांजलि देने के लिए धनबाद के बलियापुर स्थित बिनोदधाम में सांसद, विधायक से लेकर नेता और लोगों का जुटान हुआ। लोगों ने झारखंड निर्माण में उनके योगदान को याद किया। साथ ही कोयलांचल में शिक्षा की अलख जगाने में भी उनकी भूमिका को सराहा। रविवार सुबह धनबाद सांसद पीएन सिंह, टुंडी विधायक और बिनोद बाबू के पुत्र राजकिशोर महतो, बाघमारा विधायक ढुलू महतो, पूर्व मंत्री मन्नान मल्लिक, आजसू जिला अध्यक्ष मंटू समेत कई नेता बिनोदधाम पहुंचे। लोगों ने बिनोद बाबू को श्रद्धांजलि दी।
आजसू लगाएगी जन पंचायत
बिनोद बाबू की जयंती पर बलियापुर हवाईपट्टी मैदान में आजसू पार्टी बिनोद जन पंचायत लगाएगी। आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो जन पंचायत को संबोधित करेंगे। वे स्टेच्यू ऑफ रिवोल्यूशन का प्रारूप लेकर बलियापुर आ रहे हैं। इसको लेकर बलियापुर चौक तथा हवाईपट्टी तक जगह-जगह तोरणद्वार बनाए गए हैं। झारखंड आंदोलन के दौरान बिनोद बाबू के साथ रहे पूर्व सांसद एके राय को कार्यक्रम में विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। कार्यक्रम दोपहर तीन बजे से शुरू होना है।
बलियापुर में सप्ताहव्यापी मेला
बलियापुर बिनोदधाम में बिनोद मेला शुरू हो गया है। टुंडी विधायक राजकिशोर महतो कार्यक्रम को लेकर कैंप कर रहे हैं।
लाल-हरा मैत्री का नारा दिया
बिनोद बाबू का जन्म 23 सितंबर 1923 को बलियापुर के बड़ादहा गांव साधारण किसान परिवार में हुआ। उन्होंने कोयलांचल में शिक्षक अलख जगाया। बलियापुर, राजगंज, चंदनकियारी, चास सहित जगह- जगह लोगों को जागरूक कर दर्जनों स्कूल कॉलेज खोले। समाज में व्याप्त शराबखोरी, बहुपरित्याग, अंधविश्वास के खिलाफ आंदोलन चलाया। इसी बीच प्रसिद्ध मजदूर नेता एके राय व शिबू सोरेन के साथ संपर्क हुआ। 1973 में झामुमो का गठन हुआ। बिनोद बाबू इसके संस्थापक अध्यक्ष रहे। 70 के दशक में बिनोद बिहारी महतो, एके राय व शिबू सोरेन की अगुवाई में लाल-हरा मैत्री जिंदाबाद नारा के साथ धनबाद की धरती से जो झारखंड आंदोलन शुरू हुआ, काफी कम समय में ही पूरे झारखंड में फैल गया। बिनोद बाबू ने टुंडी और सिंदरी से विधायक व गिरीडीह से सांसद के रूप में प्रतिनिधित्व किया। 18 दिसंबर को सांसद रहते ही दिल्ली राममनोहर लोहिया अस्पताल में हृदय गति रुक जाने से उनका निधन हो गया।