दलित कार्मिकों को रिवर्ट करने पर अनुसूचित जाति आयोग ने जताई चिंता
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन पी.एल.पुनिया ने कहा है कि प्रोन्नति में आरक्षण के मामले में अदालत के निर्णय की आड़ लेकर जिस तरह से उत्तर प्रदेश सरकार अपने दलित कार्मिकों को रिवर्ट कर रही है,...

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन पी.एल.पुनिया ने कहा है कि प्रोन्नति में आरक्षण के मामले में अदालत के निर्णय की आड़ लेकर जिस तरह से उत्तर प्रदेश सरकार अपने दलित कार्मिकों को रिवर्ट कर रही है, वह पूरी तरह असंतोषजनक है। इसी तरह प्रदेश में दलितों के प्रति बढ़ते अपराधों को काबू करने में भी प्रदेश सरकार विफल साबित हो रही है।
श्री पुनिया ने ये बातें बुधवार को यहां आयोग द्वारा अनुसूचित जाति के सम्बंध में उ.प्र.सरकार के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कही। प्रोन्नति में आरक्षण के मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने प्रदेश सरकार की नीति के बाबत पूछताछ की तो बताया गया कि एक मंत्री समूह इस मसले पर विचार करने के लिए गठित करने का प्रस्ताव है।
इस पर आयोग ने असहमति जताते हुए एक टेक्निकल कमेटी गठित करने का सुझाव दिया। प्रदेश सरकार ने जल्द ही ऐसी एक कमेटी गठित करने का आश्वासन दिया है। श्री पुनिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत उ.प्र. में दलित कार्मिकों को 1997 से पदावनत करने की जो प्रक्रिया चल रही है वह सर्वथा गलत है। अदालत के आदेशों के तहत प्रदेश सरकार 2006 से ही ऐसे कार्मिकों को पदावनत कर सकती है।
श्री पुनिया ने बताया कि इस सम्बंध में उनकी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी बात हुई है और मुख्यमंत्री ने उन्हें इस मसले पर लीगल रिपोर्ट लेने का आश्वासन दिया है। इसके साथ ही अब राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग केन्द्र से भी इस सम्बंध में एडवाइजरी जारी करने को कहेगा। श्री पुनिया ने स्पष्ट कहा कि प्रोन्नति में आरक्षण के मसले पर उ.प्र.सरकार के हर कदम पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग नजर रखेगा।
