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सौर ऊर्जा से ट्रेन दौड़ाने की तैयारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सौर ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने के एजेंडा को रेलवे में बड़े पैमाने पर लागू करने की तैयारी हो गई है। इसके तहत न सिर्फ सौर ऊर्जा से ट्रेनें दौड़ाई जाएंगी, बल्कि रेलवे स्टेशन,...

सौर ऊर्जा से ट्रेन दौड़ाने की तैयारी
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 07 Jan 2015 11:24 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सौर ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने के एजेंडा को रेलवे में बड़े पैमाने पर लागू करने की तैयारी हो गई है। इसके तहत न सिर्फ सौर ऊर्जा से ट्रेनें दौड़ाई जाएंगी, बल्कि रेलवे स्टेशन, कारखाने व कार्यायल भी जगमग होंगे। रेल मंत्री सुरेश प्रभु अगले हफ्ते नई सौर ऊर्जा नीति लागू कर सकते हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आने वाले समय में बिजली के बजाय सौर ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ाने के प्रयास शुरू हो गए हैं। इसके तहत उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र व गुजरात में पीपीपी मोड में नए सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की योजना है। पहले चरण में एक हजार मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

रेल मंत्रालय एनटीपीसी सहित अन्य सरकारी व निजी कंपनियों की मदद से सौर ऊर्जा संयंत्र लगाएगा। रेलवे कंपनियों को परियोजना की कुल लागत पर 15 फीसदी भी सब्सिडी देगी। यानी एक मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन पर कंपनी को एक करोड़ 20 लाख की सब्सिडी देगी।

मेक इन इंडिया के तहत रेलवे की सौर ऊर्जा परियोजनाओं में घरेलू कंपनियों को तरजीह दी जाएगी। इसके अलावा रेलवे कंपनियों से दीर्घकालिक सौर ऊर्जा खरीद का करार भी करेगा। रेलवे की योजना के मुतबिक भविष्य में अधिक सौर ऊर्जा उत्पादन होने पर सरप्लस ऊर्जा को राज्यों को भी बेच सकेगा।

अधिकारी ने बताया कि थर्मल पावर के अपेक्षाकृत सौर ऊर्जा 50 पैसे से एक रुपये प्रति यूनिट तक सस्ती होगी। कंपनियों से खरीदी गई सौर ऊर्जा से ट्रेनें चलाईं जाएंगी। वहीं 200 रेलवे स्टेशनों और 4000 रेलवे क्रॉसिंग पर पैनल के जरिए सौर ऊर्जा उत्पादन करने की योजना तैयार कर ली है। वर्तमान में 50 रेलवे स्टेशन सौर ऊर्जा से रोशन हैं। रेलवे कारखाने, लोको शेड आदि में सौर ऊर्जा की आपूर्ति की जाएगी।

एक तिहाई पैसा ईंधन पर खर्च
रेलवे बजट का एक तिहाई पैसा ईंधन खपत पर खर्च होता है। गत वर्ष 2013 में 28,500 करोड़ रुपये ट्रेनों के ईंधन पर खर्च हुआ था। इसमें 18,900 करोड़ रुपये डीजल व 9,600 करोड़ रुपये इलेक्ट्रिसिटी पर खर्च हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि ईंधन खपत पर अगले साल 35,000 करोड़ रुपये पहुंचने की संभावना है। यही कारण है कि रेल मंत्रालय वैकल्पिक ऊर्जा पर अधिक जोर दे रहा है।

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