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नहीं रहे यशस्वी कथाकार अमरकांत

हिन्दी के यशस्वी कथाकार और प्रेमचंद की परंपरा के महान रचनाकार अमरकांत का सोमवार सुबह दस बजे निधन हो गया। अशोकनगर स्थित पंचपुष्प अपार्टमेंट के अपने आवास में स्नान करते वक्त फिसलने के तुरंत बाद उनकी...

नहीं रहे यशस्वी कथाकार अमरकांत
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 18 Feb 2014 12:55 AM
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हिन्दी के यशस्वी कथाकार और प्रेमचंद की परंपरा के महान रचनाकार अमरकांत का सोमवार सुबह दस बजे निधन हो गया। अशोकनगर स्थित पंचपुष्प अपार्टमेंट के अपने आवास में स्नान करते वक्त फिसलने के तुरंत बाद उनकी सांसें थम गईं। वह 88 वर्ष के थे। उनका अंतिम संस्कार मंगलवार अपराह्न 11 बजे रसूलाबाद घाट पर किया जाएगा। वह अपने पीछे बेटे-बेटियों और और नाती-पोतों का भरा पूरा परिवार छोड़कर गए हैं। अमरकांत के निधन से साहित्य, कला और संस्कृति से जुड़े लोग स्तब्ध रह गए।

सोमवार की सुबह हिन्दी जगत और खासकर इलाहाबाद के लिए दुखभरी खबर लेकर आई। नई कहानी धारा के प्रमुख हस्ताक्षर और भारतीय मध्यवर्ग के चितेरे कथाकार अमरकांत ने अंतिम विदाई ले ली। वह कई महीनों से अस्वस्थ चल रहे थे लेकिन पूरी तरह चैतन्य थे। और दैनिक जरूरतों के काम खुद ही करते थे। रविवार रात में थोड़ी कमजोरी महसूस कर रहे थे। सोमवार सुबह बेटे-बहू और पोतों से बातें कीं और 10 बजे नहाने के लिए बाथरूम में चले गए। वहीं पैर फिसलने से गिर पड़े और तत्काल उनके प्राण निकल गए। बेटे अरविन्द बिन्दु ने इस दुखद का घटना की सूचना दी तो जो जहां थे, अमरकांत की घर की ओर दौड़ पड़े। साहित्य, संस्कृति, पत्रकारिता ही नहीं शहर के आम लोगों के प्रिय थे अमरकांत। इसलिए श्रद्धांजलि देने और अंतिम दर्शन करने वालों का लगा रहा।

पंचपुष्प अपार्टमेंट के जिस आवास में विराजमान साहित्य का साधक लोगों को सीख और आशीष देता आ रहा था, आज अपनी आंखें बंद किए पड़ा था। लोगों की आंखों से आंसू झड़ रहे थे। बोलते हुए गला रुंध जा रहा था। बेटे-बहू और पोतों का रो-रोकर बुरा हाल था।

एक जुलाई 1925 को बलिया जिले के भगमलपुर (नगरा) गांव में जन्मे श्रीराम वर्मा घर से निकले थे मुहर्रिर बनने लेकिन वाया आगरा पत्रकारिता का रास्ता अख्तियार कर अमरकांत के रूप में हिन्दी साहित्य पर छा गए। शेखर जोशी और मार्कण्डेय के साथ त्रयी बनाकर अमरकांत ने साहित्य को अपनी सेवाओं से समृद्ध किया। जिन्दगी और जोंक, डिप्टी कलक्टरी, दोपहर का भोजन, हत्यारे जैसी कालजयी कहानियों और इन्हीं हथियारों से जैसे महान उपन्यास के लेखक अमरकांत को ज्ञानपीठ पुरस्कार, साहित्य अकादमी सम्मान, व्यास सम्मान और सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार जैसे सम्मानों से नवाजा गया।

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