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जिले में बनेगा पहला एमआरआई सेंटर

जिले में बनेगा पहला एमआरआई सेंटर - अप्रैल में होगा शुरू गाजियाबाद। वरिष्ठ संवाददाता जिले का पहला एमआरआई सेंटर पुराने महिला अस्पताल में बनने जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग मतगणना के बाद निर्माण संबंधी...

जिले में बनेगा पहला एमआरआई सेंटर
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 08 Mar 2017 07:00 PM
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जिले में बनेगा पहला एमआरआई सेंटर

- अप्रैल में होगा शुरू

गाजियाबाद। वरिष्ठ संवाददाता

जिले का पहला एमआरआई सेंटर पुराने महिला अस्पताल में बनने जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग मतगणना के बाद निर्माण संबंधी प्रक्रिया शुरू कर देगा। एक माह में मशीन स्थापित हो जाएगी और अप्रैल से एमआरआई केन्द्र शुरू हो जाएंगे। इस तरह एमआरआई कराने के लिए मरीजों की भागादौड़ी की जरूरत नहीं पड़ेगी।

मौजूदा समय जिले में सरकारी अस्पतालों में एमआरआई केन्द्र नहीं हैं। मरीजों को जांच कराने के लिए दिल्ली की दौड़ लगानी पड़ती है। दिल्ली के अस्पतालों में पहले ही लंबी वेटिंग रहती है। ऐसेे में गाजियाबाद से पहुंचने वाले मरीजों को और इंतजार करना पड़ता है।

एनजीओ से ली जा रही है मदद

स्वास्थ्य विभाग एमआरआई मशीन के लिए एनजीओ से मदद ले रहा है। कुछ एनजीओ से बात की गई है और वे तैयार भी हो गए हैं। एनजीओ मशीन लगवाकर स्वास्थ्य विभाग को सौंप देगी। स्वास्थ्य विभाग की संचालन कराने की जिम्मेदारी होगी। इसके लिए टेक्नीशियन आदि संविदा पर रखे जाएंगे। शासन स्तर पर रेडियोलाजिस्ट रखने के लिए पत्र लिखा जाएगा।

न्यूनतम शुल्क लिया जाएगा

एमआरआई के लिए मरीजों से न्यूनतम शुल्क लिया जाएगा। शुल्क स्वास्थ्य विभाग तय करेगा। इसके लिए दिल्ली और प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के रेट लिए जा रहे हैं, जिससे विभाग शुल्क तय कर सकें। सरकारी अस्पतालों में हजार रुपये के आसपास शुल्क लिया जाता है। संभावना है कि इसी के आसपास यहंा पर शुल्क रखे जाएंगे, जिससे मरीजों को परेशानी न हो।

ये आती है परेशानी

मौजूदा समय मरीजों को एमआरआई कराने के लिए दिल्ली जाना पड़ता है। वेटिंग की वजह से लंबा इंतजार करना पड़ता है। इस दौरान मरीज का इलाज शुरू नहीं हो पाता है। कई बार जांच की वजह से दो-दो माह बाद इलाज शुरू होता है। इस दौरान मरीज की परेशानी बढ़ जाती है और उपचार भी लंबा चलता है।

बाजार में 5 हजार है रेट

बाजार में एमआरआई कराने का शुल्क 5 हजार के आसपास है। ऐसे मरीज जो लंबा इंतजार नहीं कर पाते हैं, वे मजबूरी में निजी जांच केन्द्रों में 5 हजार रुपये खर्च करते हैं। कई मरीज ऐसे होते हैं जो आर्थिक रूप में सक्षम नहीं होते हैं लेकिन किसी तरह व्यवस्था करके जांच कराते हैं।

हर माह 150 मरीजों को पड़ती है जरूरत

सरकारी अस्पतालों में औसतन रोजाना 5 मरीजों को विभिन्न कारणों से एमआरआई की जरूरत होती है। इस तरह प्रति माह 150 मरीजों को एमआआरई करानी पड़ती है। कई बार ऐसे मरीज भी सरकारी अस्पताल पहुुंचते हैं जो पहले निजी अस्पताल पहुंचते हैं लेकिन एमआरआई का खर्च सुनकर दिल्ली के सरकारी अस्पताल जाते हैं।

ऐसे में करानी होती है एमआरआई

मरीज को उन स्थितियों में एमआरआई की जरूरत पड़ती है, जब एक्सरे और सिटी स्कैन से बीमारी का पता नहीं चलता है। पूरे शरीर के अलावा संबंधित अंग की एमआरआई होती है। पूरे शरीर की एमआरआई का खर्च अधिक आता है।

एमआरआई मशीन के लिए एनजीओ से बात हो चुकी है। कंपनियों से मशीन का कोटेशन मंगाकर रेट लिए जाएंगे। इसके बाद खरीद संबंधी प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

डा. अजेय अग्रवाल

सीएमओ

शरद पाण्डेय

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