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अनोखी परंपराओं को समेटे है देहरादून का ऐतिहासिक झंडा मेला

देहरादून में इनदिनों प्रेम, सद्भावना, भाईचारा, मानवता और आस्था का प्रतीक ऐतिहासिक झंडा मेला चल रहा है। हर साल होने वाला ऐतिहासिक झंडा मेला अनोखी परंपराओं को समेटे हुए है। झंडा मेले में आस्था का...

अनोखी परंपराओं को समेटे है देहरादून का ऐतिहासिक झंडा मेला
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 21 Mar 2017 09:31 AM
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देहरादून में इनदिनों प्रेम, सद्भावना, भाईचारा, मानवता और आस्था का प्रतीक ऐतिहासिक झंडा मेला चल रहा है। हर साल होने वाला ऐतिहासिक झंडा मेला अनोखी परंपराओं को समेटे हुए है।

झंडा मेले में आस्था का सैलाब उमड़ता है। झंडाजी के ऐतिहासिक आरोहण के समय जनसमूह जहां का तहां थम जाता है। जैसे-जैसे झंडा जी पर गिलाफ का आवरण चढ़ाने का क्रम आगे बढ़ता है, वैसे-वैसे संगतों का उत्साह भी चरम तक पहुंचता है। दर्शनी गिलाफ के चढ़ते ही झंडे जी के आरोहण की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। अपने पारंपरिक स्थान पर खड़े होकर खुद सज्जादानशीन श्री महंत देवेन्द्र दास झंडे जी को विशाल कैंचियों से थामे हुए संगतों को निर्देश देते हैं। बीते शुक्रवार को पूरे दिन की कवायद के बाद शाम चार बजकर आठ मिनट पर झंडे जी का आरोहण हुआ। पूरा परिसर श्री गुरु राम राय और श्रीमहंत के जयघोष से गूंज उठा था। श्रद्धालुओं ने ढोल की थाप पर जमकर नृत्य किया। झंडारोहण के दुलर्भ दृश्य को देखने के लिए दूर-दूर श्रद्धालु पहुंचते हैं। सड़क और आसपास की इमारतों की छतें खचाखच भरी रहती हैं। नए ध्वज दंड को संगतें सुबह घी, दूध, शहद, गंगाजल, पंचगव्यों से स्नान कराती हैं। नब्बे फीट ऊंचे झंडे जी को पहले सादे और सनील के गिलाफ चढ़ाए गए। इस दौरान झंडे जी को जमीन से ऊपर ही रखा गया। करनाल से आए आशीष कुमार गोयल व परिवार द्वारा चढ़ाया गया दर्शनी गिलाफ चढ़ाया गया। इस दौरान दर्शनी गिलाफ को छूने के लिए श्रद्धालु उमड़ पड़े।

इससे पहले होली के अगले दिन श्री गुरु राम राय जी महाराज के जयकारों के बीच 90 फीट ऊंचे नए झंडे जी को अपने कंधों पर उठाकर संगत श्री दरबार साहिब पहुंचे थे। हर बार की तरह इस बार भी मोथरोवाला से साल के पेड़ की लकड़ी को नए झंडे जी के लिए तैयार किया गया। महंत देवेंद्र दास जी महाराज ने संगत को आर्शीवाद दिया। उन्होंने कहा कि झंडा मेला प्रेम, स्नेह, सद्भाव, भाईचारा, मानवता और आस्था से ओतप्रोत मेला है। इस वर्ष भी झंडे मेले को पूरी आस्था और श्रद्धाभाव के साथ मनाया जाएगा। पूजा-अर्चना कर संगतों ने झंडे को अपने कंधों पर उठा लिया और दरबार साहिब पहुंचाया। जहां-जहां से संगत गई, उस रास्ते से ट्रैफिक खाली कर दिया जा रहा था। लोगों ने संगत का जगह-जगह स्वागत किया।

 

विदेशी संगतों ने भी नवाया शीश

झंडा जी मेले के लिए कनाड़ा, लंदन आदि जगहों से भी विदेशी श्रद्धालुओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। ऐसी संगत के लिए मेले में खास इंतजाम किए गए थे।

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