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चाहते हैं सस्ता घर, तो ये योजना दे सकती है 5 लाख तक की बचत

छह लाख तक आय पर कितना बचेगा इस साल बजट में सस्ता घर मुहैया कराने की प्रधानमंत्री आवास योजना में कुछ संशोधन किया गया है। इसमें कर्ज पर रियायत को आय की श्रेणी के मुताबिक जोड़ दिया गया है। इससे मध्य

लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 12 Feb 2017 10:56 AM

छह लाख तक आय पर कितना बचेगा

इस साल बजट में सस्ता घर मुहैया कराने की प्रधानमंत्री आवास योजना में कुछ संशोधन किया गया है। इसमें कर्ज पर रियायत को आय की श्रेणी के मुताबिक जोड़ दिया गया है। इससे मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं को भी पहला घर खरीदने पर करीब पांच लाख रुपये की बचत होगी। यह आवास ऋण (होम लोन) के ब्याज भुगतान पर मिलने वाली टैक्स छूट के अलावा होगी। पेश है बिजनेस डेस्क की एक रिपोर्ट...

छह लाख तक आय पर कितना बचेगा

सरकारी बैंकों के होम लोन के आंकड़ों के मुताबिक 70 फीसदी से अधिक कर्ज 25 लाख रुपये तक के हैं। बजट में बदलाव के मुताबिक आपकी आमदनी छह लाख रुपये है तो छह लाख रुपये तक के होम लोन पर 6.5 फीसदी की ब्याज सब्सिडी मिलेगी। आपने 25 लाख रुपये का होम लोन 8.50 फीसदी ब्याज पर लिया तो छह लाख रुपये पर ब्याज दर सब्सिडी घटाने के बाद दो फीसदी होगी। इससे 20 साल में करीब 5 लाख रुपये की बचत होगी। बाकी 19 लाख रुपये पर 8.50 फीसदी ब्याज लगेगा।

ईएमआई कितनी घटेगी

मकान की कीमत 35 लाख रुपये है और आप उसके लिए 25 लाख रुपये कर्ज लेते हैं तो 8.50 ब्याज पर कुल मासिक किस्त 21,696 रुपये होगी। लेकिन इसमें छह लाख रुपये के कर्ज पर 8.50 फीसदी की जगह महज दो फीसदी ब्याज लगेगा तो इस रकम की ईएमआई 2,172 रुपये होगी। जबकि 8.50 फीसदी ब्याज पर 5,207 रुपये होती। इस तरह ब्याज सब्सिडी की वजह से ईएमआई 3,035 रुपये जाएगी।

वहीं शेष 19 लाख रुपये पर 8.50 फीसदी ब्याज पर ईएमआई 16,489 रुपये होगी। इस तरह छूट के बाद आपकी अंतिम ईएमआई 19,524 रुपये होगी। ईएमआई में 2,172 रुपये कमी से 20 साल में आपकी बचत 5.21 लाख रुपये हो जाएगी।

ज्यादा आमदनी पर छूट कमइस ब्याज सब्सिडी योजना के तहत आपकी सालाना कमाई 12 लाख रुपये है तो नौ लाख रुपये के होम लोन पर चार फीसदी सब्सिडी मिलेगी। जबकि बाकी राशि पर 8.50 फीसदी ब्याज देना होगा। इसी तरह 18 लाख रुपये की आमदनी वाले को 12 लाख रुपये के होम लोन पर तीन फीसदी सब्सिडी मिलेगी।

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चाहते हैं सस्ता घर, तो ये योजना दे सकती है 5 लाख तक की बचत

खाते में जमा होगी ब्याज सब्सिडी

कुल मासिक किस्त 21,696 रुपये है और ब्याज सब्सिडी 2,172 रुपये मिल रही है तो तुरंत आपकी ईएमआई में से यह राशि नहीं घटाई जाएगी। बल्कि आप 21,696 रुपये ईएमआई चुकाएंगे और ब्याज सब्सिडी 2,172 रुपया आपके खाते में सीधे जमा हो जाएगा जैसा कि एलपीजी सिलिंडर की सब्सिडी पर हो रहा है। इसके बावजूद ईएमआई का बोझ आप पर कम पड़ेगा।

कितना बचेगा टैक्स
आयकर नियमों के मुताबिक होम लोन के ब्याज भुगतान पर धारा 24डी के तहत दो लाख रुपये की छूट मिलती है। जबकि मूलधन के भुगतान पर 1.50 लाख रुपये की टैक्स छूट मिलती है। धारा 80सी के तहत आप मकान की रजिस्ट्री और स्टांप शुल्क के बदले भी टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। धारा 80ईई के तहत होम लोन के ब्याज भुगतान पर 50 हजार रुपये की अतिरिक्त छूट का प्रावधान किया गया था जिसे आगे नहीं बढ़ाया गया है। इसके तहत शर्त यह थी की मकान की कीमत 40 लाख रुपये और कर्ज 25 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। टैक्स सलाहकारों का कहना है कि यदि आप किसी वित्तीय वर्ष में एक या दो ईएमआई देने से चूक जाते हैं तो उसके बावजूद भी ब्याज भुगतान में टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं क्योंकि उसकी देनदारी आपपर होती है। उनका कहना है कि आयकर नियम में इस संबंध में स्पष्ट भुगतान की गई ईएमआई या भुगतान की जाने वाली ईएमआई के आधार पर टैक्स छूट ले सकते हैं।

ऊंचे क्रेडिट स्कोर पर आसानी से कर्ज

बैंक कर्ज देते समय उपभोक्ता का क्रेडिट स्कोर देखते हैं। क्रेडिट रिकॉर्ड रखने वाली संस्था सिबिल के मुताबकि 750 से अधिक स्कोर पर कर्ज मिलना आसान हो जाता है। पिछले कुछ वर्षो में बैंकों ने 60 फीसदी से अधिक होम लोन उन उपभोक्ताओं को दिया जिनका स्कोर 750 से अधिक था। क्रेडिट स्कोर की गणनी 300 से 900 अंकों के बीच की जाती है। समय से पुराने कर्ज की ईएमआई और क्रेडिट कार्ड का बिल चुकाने से क्रेडिट स्कोर तेजी से बढ़ता है। जबकि देर करने या चूक जाने पर घटता है।

टैक्स रिटर्न से कर्ज मिलना आसान

बैंक कर्ज देने से पहले आय के दस्तावेज भी देखते हैं। नौकरी करने वालों से वह वेतन पर्ची (सैलरी स्लिप) मांगते हैं। जबकि अपना कोई रोजगार करने वाले से आय के दस्तावेज के रूप में आयकर रिटर्न का दस्तावेज मांगते हैं। आप स्वरोजगार करते हैं और टैक्स रिटर्न भरते हैं तो आपके लिए कर्ज मिलना आसान हो सकता है। आयकर नियमों के मुताबिक 2.50 रुपये तक सालाना आय वालों के लिए रिटर्न भरना अनिवार्य नहीं है। लेकिन रिटर्न भरने पर भी इस सीमा तक कमाई वालों पर कोई टैक्स नहीं लगता है।

प्रॉपर्टी की पड़ताल में बैंक मददगार

कर्ज सरकारी और निजी बैंक के साथ गैर-बैंकिंग कंपनियां भी देती हैं। लेकिन प्रॉपर्टी की विश्वसनीयता की पड़ताल करनी है तो सरकारी बैंक ज्यादा मददगार हो सकते हैं। सरकारी बैंक बेहद जांच-पड़ताल के बाद ही होम लोन देते हैं। साथ ही उनके पास उन क्षेत्रों की सूची होती है जहां मकान खरीदने के लिए कर्ज देना मान्य है या उसकी मनाही है।

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