अच्छी खबर! PF के मेंबर हैं तो अब ज्यादा मिलेगी पेंशन
सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) आधारित पेंशन योजना के तहत अपने अंशधारकों को नियोक्ताओं के अनिवार्य योगदान के अलावा पेंशन योजना में स्वैच्छिक योगदान की इजाजत दे सकती है। इसके बाद कर्मचारियों...
सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) आधारित पेंशन योजना के तहत अपने अंशधारकों को नियोक्ताओं के अनिवार्य योगदान के अलावा पेंशन योजना में स्वैच्छिक योगदान की इजाजत दे सकती है। इसके बाद कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद अपेक्षाकृत और अधिक पेंशन का लाभ मिल सकेगा।
फिलहाल मूल वेतन और महंगाई भत्ते को मिलाकर अधिकतम 15,000 रुपये मासिक वेतन पर पेंशन कोष के अंशदान की कटौती की जाती है। भले ही कर्मचारी का वेतन इससे ऊपर क्यों न हो। केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त डॉ. वीपी जॉय के मुताबिक हम ईपीएस 95 के तहत कर्मचारियों को योगदान देने की अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं, ताकि उसे सेवानिवृत्ति के बाद अधिक लाभ मिल सके।’
बता दें कि EPFO के दायरे में आने वाले कर्मचारियों मूल वेतन और डीए के योग का 12 फीसदी कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में जबकि नियोक्ता के 12 फीसदी योगदान में 8.33 फीसदी कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में जाता है। शेष EPF में जुड़ जाता है। इसके अलावा मूल वेतन का 1.16 फीसदी सरकार सब्सिडी के रूप में देती है। इससे पेंशन खाते में 15,000 रुपये मूल वेतन सीमा के साथ अधिकतम 1,424 रुपये मासिक जाता है।
ईपीएफओ न्यासी केंद्रीय न्यासी बोर्ड एक बार इस प्रस्ताव को मंजूरी दे देता है तो कर्मचारी को पेंशन कोष (ईपीएस 95) में नियोक्ता के अलावा योगदान देने का विकल्प होगा। अंशधारकों के वेतन में बढ़त को देखते हुए पेंशन कोष में स्वैच्छिक योगदान के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘चूंकि ईपीएस 95 योजना के तहत पेंशन मुद्रास्फीति से जुड़ी नहीं है, अत: सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन स्थिर बनी रहती है। इसलिए कर्मचारियों को पेंशन योजना में योगदान का विकल्प मिलना चाहिए।’ स्वैच्छिक योगदान के बारे में अंतिम फैसले के बारे में उन्होंने कहा, ‘अभी विचार चल रहा है, इसके समय के बारे में अभी कुछ कहना ठीक नहीं होगा।’
जॉय के मुताबिक अगर व्यक्ति ने नौ साल भी काम किया है, उसे हमें न्यूनतम 1,000 रुपये मासिक पेंशन देना ही है।’ सरकार ने ईपीएस के तहत न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये मासिक कर दिया है, लेकिन श्रमिक संगठन इसे अब भी काफी कम बताते रहे हैं। वे लोग इसे 3,000 रुपये मासिक करने की मांग कर रहे हैं।