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चाहत रही अधूरी, जेटली ने नहीं मानी दिल्ली की मांगें

केजरीवाल सरकार ने आगामी वित्त वर्ष 2016-17 के लिए केन्द्र सरकार से दिल्ली की 15 साल से लंबित मांगों को पूरी करने की मांग जोरशोर से की थी। लेकिन सोमवार को पेश किए गए वित्त मंत्री अरुण जेटली के बजट से...

चाहत रही अधूरी, जेटली ने नहीं मानी दिल्ली की मांगें
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 29 Feb 2016 07:45 PM
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केजरीवाल सरकार ने आगामी वित्त वर्ष 2016-17 के लिए केन्द्र सरकार से दिल्ली की 15 साल से लंबित मांगों को पूरी करने की मांग जोरशोर से की थी। लेकिन सोमवार को पेश किए गए वित्त मंत्री अरुण जेटली के बजट से केजरीवाल सरकार ने कुछ भी नहीं मिलने की बात कही है।

दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि मोदी सरकार ने दिल्ली के साथ छल किया है।  सिसोदिया ने कहा कि राज्यों से केन्द्र सरकार को दिए जाने वाले बजट प्रस्ताव में दिल्ली सरकार ने 15 साल से राजधानी के साथ हो रहे भेदभाव का मुद्दा उठाया था।

देश की राजधानी होने के नाते दिल्ली की विशेष परिस्थितियों का हवाला देकर हमने सरकार और नगर निगमों के लिए बजट में हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग की थी जिससे दिल्ली के साथ 15 साल से हो रहे भेदभाव को रोका जा सके। सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली वाले केन्द्रीय कर के रूप में 1.67 लाख करोड़ रुपये सालाना केन्द्र सरकार को देते हैं। लेकिन इसके बदले में दिल्ली को महज 325 करोड़ रुपये मिलते हैं। जबकि हमने अन्य राज्यों की तुलना में इस हिस्सेदारी को 5000 करोड़ रुपये करने की मांग की थी। लेकिन बजट में केन्द्र सरकार ने इस मद में कोई इजाफा नहीं किया।

सड़क परिवहन के लिए मांगे थे 5000 करोड़ रुपये-
सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए सार्वजनिक परिवहन और सड़कें दुरुस्त करने के लिए 5 हजार करोड़ रुपये का स्पेशल पैकेज मांगा था। जिससे 1000 बसों की खरीद और सड़क  नेटवर्क मजबूत किया जा सके। लेकिन सरकार ने इस मद के लिए भी पैसा नहीं दिया।

आपदा प्रबंधन के लिए मात्र 5 करोड़-
सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली भूकंप के लिहाज से खतरनाक क्षेत्र में है। इसके लिए सरकार ने सिर्फ 5 करोड़ रुपए दिए हैं।

ये चाहती थी दिल्ली
-    15 सालों से नहीं बढ़ा दिल्ली का हिस्सा
-    5000 करोड़ केंद्रीय करों से मिले दिल्ली को
-    4 हजार करोड़ का विशेष पैकेज दिया जाए
-    2000 करोड़ निगमों की हालत को देखते हुए जारी हो

दिल्ली सरकार ने की थी ये सिफारिश  
-     डीजल वाहनों में एक्साइज ड्यूटी में इजाफा हो क्योंकि दिल्ली में वैट नहीं बढ़ा सकते
-    दूसरे राज्यों में भी किसानों को 50 हजार रुपये प्रति हेक्टियर मुआवजा मिले
-     स्वामी नाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू किया जाए
-    सामान व सेवा कर का दिल्ली सरकार समर्थन करेगी
 

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