बिहार के गांव आज से शराब मुक्त
बिहार के गांवों में शुक्रवार से शराब नहीं बिकेगी। गांव में कहीं भी देसी, मसालेदार और विदेशी शराब की दुकानें या उत्पादन करने वाली भठियां नजर नहीं आएंगी। बिहार उत्पाद (संशोधन) अधिनियम 2016 बुधवार को...
बिहार के गांवों में शुक्रवार से शराब नहीं बिकेगी। गांव में कहीं भी देसी, मसालेदार और विदेशी शराब की दुकानें या उत्पादन करने वाली भठियां नजर नहीं आएंगी। बिहार उत्पाद (संशोधन) अधिनियम 2016 बुधवार को राज्य विधानमंडल ने सर्वसम्मति से पारित किया था। राज्यपाल ने इसे तत्काल मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में गुरुवार को इस पर मुहर लग गई। कैबिनेट मंजूरी मिलते ही उत्पाद एवं मद्य निषेद्य विभाग ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी और विधेयक कानून बन गया।
नए कानून के तहत बिहार के गांवों में अब किसी भी प्रकार की शराब की बिक्री नहीं होगी। वहीं, शहरी क्षेत्र में नगर निगम व नगर परिषद वाले इलाकों में बिहार स्टेट बीवरेज कॉरपोरेशन 650 दुकानों का संचालन करेगा। इन दुकानों पर सिर्फ विदेशी शराब बिकेगी। राज्य में देसी शराब के किसी तरह के उत्पादन पर पूरी से रोक लगा दी गई है।
पहले दिन 400 दुकानें : राज्य में विदेशी शराब की बिक्री निजी हाथों में नहीं होगी। सरकार की एजेंसी बिहार स्टेट बीवरेज कॉरपोरेशन ने दुकान चलाने की पूरी व्यवस्था कर ली है। 650 दुकानों को चरणवार खोला जाएगा। कम से कम 400 दुकान राज्य में पहले दिन खोलने की कोशिश है।
चालीस लाख को शराब की लत : एक हालिया सर्वे के अनुसार राज्य में शराब पीने वालों की संख्या लगभग 29 फीसदी है। महिलाओं के शराब पीने का प्रतिशत 0.2 फीसदी है। इस हिसाब से राज्य की कुल आबादी में लगभग साढ़े तीन करोड़ शराब पीते हैं। लगभग 40 लाख लोग शराब पीने के आदी हैं।
पहले दिन 35 शिकायतें
शराब के अवैध कारोबार को रोकने के लिए बने कंट्रोल रूम में पहले ही दिन 35 शिकायतें दर्ज कराई गईं। इस पर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई कर शराब बरामद की और इस धंधे में लिप्त कई लोगों को गिरफ्तार किया।
शिक्षा विभाग अभियान चलाएगा
बिहार में शिक्षा विभाग राज्य के विभिन्न जिलों में आम लोगों को शराब न पीने का संकल्प दिलाएगा। 1 अप्रैल से देसी व मसालेदार शराब पर पूर्णत: रोक के मद्देनजर शिक्षा विभाग सभी जिलों में संकल्प रैली निकालेगा। मद्य निषेध के नारे लगेंगे। गीत और नुक्कड़ नाटकों के जरिए लोगों को जोड़ा जाएगा। जनशिक्षा निदेशक डॉ. विनोदानंद झा ने बताया कि सभी जिला मुख्यालयों में संकल्प रैली निकलेगी। लोगों को संकल्प दिलाया जाएगा कि वे अपने और परिवार की खुशहाली के लिए शुक्रवार से शराब का सेवन न करें।
शिकायत पर 12 घंटे में कार्रवाई
शराब के अवैध कारोबार की सूचना मिलने के 12 घंटे के अंदर कार्रवाई होगी। बिहार पुलिस ने ऐसी व्यवस्था की है जिसके तहत थानों को तय समयसीमा में कार्रवाई करनी होगी। साथ ही थाना द्वारा की गई कार्रवाई की सूचना पुलिस मुख्यालय में बने कंट्रोलरूम को देनी होगी। अवैध शराब धंधे की सूचना देने के लिए डीजीपी ऑफिस में मद्य निषेध कंट्रोलरूम की स्थापना की गई है। इसके लिए दो टेलिफोन नंबर जारी किए गए हैं, जिसपर कोई भी व्यक्ति सूचना दे सकता है। कंट्रोलरूम 24 घंटे काम करेगा। कंट्रोलरूम सुचारू रूप से काम करे, इसके लिए इंस्पेक्टर स्तर तक के 10 पुलिस अधिकारी और जवान अलग से तैनात किए गए हैं।
दूसरी बार शराबबंदी
-1977-78 में राज्य में शराबबंदी लागू की गई थी। मगर सरकार इसे रोकने में नाकाम रही
दूसरे राज्यों की स्थिति
1958 से गुजरात में शराब पर पूरी तरह से रोक है
1961 से मणिपुर में नहीं मिलती है लोगों को शराब
1989 से नगालैंड में शराब पर प्रतिबंध लगा रहा है
2014 से केरल में चरणवार शराबंदी की प्रक्रिया शुरू
प्रयोग नाकाम
बिहार से पहले आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, मिजोरम और हरियाणा में शराबबंदी का प्रयोग नाकाम हो चुका है। आंध्र में मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने यह कह कर शराबबंदी हटा दी थी कि इसे पूरी तरह लागू कर पाना संभव नहीं।