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नौहट्टा की गोरिया घाटी से हार्डकोर नक्सली गिरफ्तार

चुनहट्टा व बौलिया के बीच गोरिया घाटी से सोमवार को पुलिस ने हार्डकोर नक्सली भरदुल सिंह को धर दबोचा। हालांकि उसके दो साथी भाग निकले। गिरफ्तार नक्सली कैमूर पहाड़ी पर बसे गांव पीपरडीह का निवासी है।...

नौहट्टा की गोरिया घाटी से हार्डकोर नक्सली गिरफ्तार
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 21 Sep 2015 10:02 PM
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चुनहट्टा व बौलिया के बीच गोरिया घाटी से सोमवार को पुलिस ने हार्डकोर नक्सली भरदुल सिंह को धर दबोचा। हालांकि उसके दो साथी भाग निकले। गिरफ्तार नक्सली कैमूर पहाड़ी पर बसे गांव पीपरडीह का निवासी है।

एसपी मानवजीत सिंह ढिल्लो ने बताया कि सीआरपीएफ के जवानों ने डिप्टी कमांडेंट कल्याण चकवर्ती और नौहप्ता के थानाध्यक्ष सत्येंद्र सत्यार्थी की अगुवाई में विधानसभा चुनाव को लेकर डबुआ मोड़ से चुन्हप्ता की ओर जाने वाले मार्ग पर बनी पुलिया की जांच कर रहे थे।

इसी बीच पुलिस को यह सूचना मिली कि तीन लोग पुलिस के लोकेशन की जानकारी हासिल कर रहे हैं। सूचना के मद्देनजर पुलिस ने जंगल को चारों ओर से घेरना शुरू कर दिया। पुलिस बल को देखकर दो नक्सली भाग खड़े हुए, लेकिन हार्डकोर नक्सली भरदुल सिंह पकड़ लिया गया।

एसपी ने बताया कि गिरफ्तार नक्सली पर कैमूर पहाड़ी में पुलिस पर गोली चलाने, चुनहप्ता में ठेकेदार से एक करोड़ की लेवी मांगने और पूर्व एसपी शिवदीप लांडे पर गोली चलाने सहित कई मामले दर्ज हैं। उन्होंने बताया कि नक्सली भरदुल सिंह ने कई मामलों में अपनी संलिप्तता कबूल की है।

शिक्षक से बन गया नक्सली
पुलिस सूत्रों के अनुसार गिरफ्तार नक्सली भरदुल सिंह पहले बैजलपुर गांव में शिक्षक था। उसने नक्सली संगठन का प्रचार करने और युवकों को प्रेरित करने के लिए बजरमरवा स्कूल में प्रतिनियुक्ति करा लिया था। वह झारखंड में नक्सली कमांडर आरकेजी की बैठक व प्रशिक्षण शिविर में कई बार भाग ले चुका है।

मास्टर व डॉक्टर पर है नजर
कैमूर पहाड़ी पर मास्टर व डॉक्टरों पर पुलिस विशेष ध्यान दे रही है। जब भी किसी नक्सली की गिरफ्तारी होती है, तो वह डॉक्टर या मास्टर होता है। अब तक ऐसे कई नक्सली डॉक्टर व मास्टर पकड़े भी गए हैं। बताया जाता है कि कैमूर पहाड़ी पर बसे गांवों में इलाज करने के नाम पर झोले में दवा भरकर नक्सली गांव-गांव में घूमते हैं।

सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट कल्याण चक्रवर्ती ने बताया कि मास्टर व डॉक्टर ऐसे होते हैं, जो लोगों के विचार बदल देते हैं। नक्सली डॉक्टर व शिक्षक बनकर अपने संगठन का विस्तार कर रहे हैं, इसलिए पुलिस शिक्षकों व डॉक्टरों पर विशेष नजर रख रही है।

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