सेना में अफसर बना ट्रक चालक का लाल
देश सेवा की भावना और कड़ी मेहनत का संग हो तो लक्ष्य कदम चूमेगी। बुलंद हौसले के आगे हर बाधा बौनी पड़ जाती है। यह साबित कर दिखाया है सेना में लेफ्टिनेंट बनकर चेरकी गांव के लाल ने। ट्रक चालक अमरेश चौरसिया...
देश सेवा की भावना और कड़ी मेहनत का संग हो तो लक्ष्य कदम चूमेगी। बुलंद हौसले के आगे हर बाधा बौनी पड़ जाती है। यह साबित कर दिखाया है सेना में लेफ्टिनेंट बनकर चेरकी गांव के लाल ने। ट्रक चालक अमरेश चौरसिया के बड़े पुत्र आदर्श चौरसिया वायु सेना में लेफ्टिनेंट बनकर गांव-जिला ही नहीं सूबे का नाम रोशन किया है। दो दिन पहले 13 जून को आदर्श देहरादून के भारतीय सैन्य अकादमी में पासिंग आउट परेड में शामिल हुआ।
परेड के बाद उसकी पोस्टिंग पांच डोगरा रेजिमेंट में भूटान बार्डर पर हुई है। सोमवार को गांव में हिन्दुस्तान से बातचीत करते हुए उसने बताया कि वह 22 जून को बार्डर के लिए रवाना होगा। आदर्श ने कहा कि उसके अंदर देश सेवा की भावना बलबती थी। युवाओं से कहा कि कड़ी मेहनत के आगे आसमां भी झुक सकता है। आदर्श ने सफलता का श्रेय भी लगातार कठिन परिश्रम को दिया है।
सेना में रहकर ही अफसर बनने का सपना देखा
गांव के सरकारी स्कूल से मैट्रिक प्रथम श्रेणी से पास किया, इसके बाद महेश सिंह यादव कॉलेज से इंटर साइंस की पढ़ाई की। बीएससी की पढ़ाई के दौरान ही 2005 में आदर्श थल सेना के वायु रक्षा कोर में बतौर रडार ऑपरेटर बहाल हुआ। लेकिन अफसर बनने का लक्ष्य रखने वाले आदर्श ने पढ़ाई जारी रखी। 2011 में आर्मी कैडेट कॉलेज के प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हुआ और ऑफिसर कैडेट में चुन लिए गए। इसमें आदर्श ने दूसरा रैंक हासिल किया। इसके बाद ओटीए देहरादून में चार साल की ट्रेनिंग हुई। 13 जून 2015 को सपना साकार हुआ और रेडार ऑपरेटर आदर्श लेफ्टिनेंट बना गया।
सेना में परिवार का पहला सदस्य
पिता अमरेश चौरसिया ने बताया कि आदर्श परिवार का पहला सदस्य है जिसे सरकारी नौकरी मिली है। गृहिणी मां प्रभा देवी ने बताया कि चार भाइयों में सबसे बड़ा आदर्श ने सभी का सीना चौड़ा कर दिया है। दूसरा बेटा बैंक मैनेजर है तो तीसरे पुत्र भी सेना में जाने की तैयारी कर रहा है। चौथा का लक्ष्य बैंक ऑफिसर बनने का है। पिछले साल ही आदर्श की शादी हुई है।