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Hindi Newsहिन्दुओं को हिन्दू नहीं रहने देने का चल रहा षड्यंत्र: शंकराचार्य

हिन्दुओं को हिन्दू नहीं रहने देने का चल रहा षड्यंत्र: शंकराचार्य

हिन्दुओं को हिन्दू नहीं रहने देने का षड्यंत्र चल रहा है। आज हिन्दुओं के सबसे बड़े शत्रु हिन्दू ही बने बैठे हैं। हिन्दुओं का प्रत्येक मानबिन्दु सुरक्षित नहीं रह गया है। हिन्दुओं के किसी भी मामले का...

हिन्दुओं को हिन्दू नहीं रहने देने का चल रहा षड्यंत्र: शंकराचार्य
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 07 Jun 2015 08:32 PM
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हिन्दुओं को हिन्दू नहीं रहने देने का षड्यंत्र चल रहा है। आज हिन्दुओं के सबसे बड़े शत्रु हिन्दू ही बने बैठे हैं। हिन्दुओं का प्रत्येक मानबिन्दु सुरक्षित नहीं रह गया है। हिन्दुओं के किसी भी मामले का सबसे आगे बढ़ कर विरोध करने वाले हिन्दू ही होते हैं। अब भी नहीं जागे तो सनातन धर्म को बचाना मुश्किल हो जायेगा। सनातन धर्म के समर्थक मौनी हो कर रह गए हैं, जबकि सभी को आगे आने की जरूरत है।

गोवर्धन मठ पुरी के पीठाधीश्वर श्री जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्यपाद श्री स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने इन बातों के जरिए हिन्दू समाज को जागने का आह्वान किया। शंकराचार्य रविवार को पटवासराय स्थित जीवन ज्योति पब्लिक स्कूल परिसर में बुद्धिजीवियों और प्रेस के साथ बात कर रहे थे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि श्री राम मंदिर निर्माण के मामले में किसी की नियत साफ नहीं है।

उन्होंने वाजपेयी से लेकर पीवी नरसिम्हा राव की मंशा का जिक्र करते हुए कहा कि वे मंदिर और मस्जिद के साथ-साथ निर्माण के पक्षधर थे। उन्होंने इस विवाद से परे गंगा सफाई अभियान पर किसी के विरोध नहीं रहने के बाद भी काम नहीं होने पर कहा कि कोई मुसलमान, ईसाई या वामपंथी इसका विरोध नहीं कर रहा फिर गंगा आजतक मैली क्यों है?

उन्होंने सनातन धर्म की रक्षा के लिए गांव वालों से आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने शहरी संस्कृति पर चोट करते हुए कहा कि जिसने गर्मी और सर्दी नहीं सही वह क्या आंदोलन चलाएंगे।

गोहत्या पर शंकराचार्य ने कही खरी-खरी
गोहत्या के मामले में शंकराचार्य जी ने खरी-खरी कही।  उन्होंने कहा कि इस मसले पर आम तौर पर मुसलमान मौन हैं पर तथाकथित हिन्दू तरह-तरह के बयान दे रहे हैं। वे कहते हैं कि मैं गोमांस खाता हूं। यह प्रोटीन से भरा है और काफी लाभप्रद है। उन्होंने इस संदर्भ में एक प्रसंग के जरिए कहा कि सूअर और कुत्ता खाने वाले कुटनीति कर रहे हैं। ये सूअर और कुत्ते को भी लड़वा देंगे ताकि दोनों मर जाएं तो ठीक, दोनों का काम बन जाएगा और नहीं तो कम से कम एक तो मरे ताकि एक का भला हो जाए। धर्मनिरपेक्ष बनने वाले हिन्दू नेताओं को लताड़ते हुए उन्होंने कहा कि गोहत्या की आड़ में खेलना बंद करो। 

पटेल को बताया नेहरू से बड़ा नेता
शंकराचार्य जी ने एक प्रसंग के क्रम में सरदार पटेल को नेहरू से बड़ा नेता बताया। उन्होंने पहली सरकार बनने के बाद सोमनाथ मंदिर निर्माण की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि पटेल के मंदिर निर्माण के प्रस्ताव को नेहरू ने ठुकरा दिया था। तब पटेल ने तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद से मंदिर का शिलान्यास करवा लिया और आखिरकार मंदिर का निर्माण शांति के साथ हो गया। मंदिर के आसपास के मुसलमानों के विरोध से डर रहे नेहरू समेत पूरे देश ने देखा कि राजेन्द्र प्रसाद ने सभी मुसलमानों को अन्यत्र ले जाकर पहले बसा लिया फिर मंदिर का निर्माण कराया।

अमित शाह और केजरीवाल को दिए टिप्स
शंकराचार्य जी ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को टिप्स दिए। अमित शाह के लिए उन्होंने कहा कि अर्थशास्त्र, राजनीति और विकास पर काफी कुछ सीखने की जरूरत है। अभी इसे सीख लो फिर विकास देश ही नहीं विदेशों में दिखने लगेगा, इसे बताना नहीं पड़ेगा। अरविंद केजरीवाल के लिए उन्होंने कहा कि मुल्ला टोपी पहनने से वोट बढ़ गया क्या? जीतना होता तो ऐसे भी जीत ही जाते।

संत समाज पर शंकराचार्य ने खूब चलाए बाण
श्री स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने साधु समाज पर खूब व्यंग्य बाण चलाए। साधु के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि आज हर पार्टी और हर जमात का साधु है। ये साधु अपने आका के हिसाब से बोलते रहते हैं। उन्होंने आज के साधुओं को सिर्फ कथावाचक करार दिया और बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा कि परम्परा का साधु कोई नहीं रहा। इसी क्रम में शंकराचार्य को परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा शासन सत्ता को निर्देशित करने का अधिकार शंकराचार्य को सदा से रहा है पर शासन सत्ता शंकराचार्यों को शक्तिविहीन करने पर तुली है। आज शासन का विरोध करने पर प्रताड़ना मिलती है। मैं खुद पिछले 23 साल से इस विरोध को झेल रहा हूं। एक प्रसंग में तो उन्होंने यहां तक कह दिया कि बाबा रामदेव ने सत्ता के खिलाफ बोल दिया तो उन्हें सलवार पहन कर जान बचानी पड़ी। 

शिक्षा के वर्तमान स्वरूप पर जतायी चिंता
वर्तमान में जीविका आधारित शिक्षा के बदले सनातन धर्म और संस्कृति की पहचान बचाए रखने वाले संस्कारपूर्ण शिक्षा पर शंकराचार्य जी ने जोर दिया। महाराज जी ने कहा कि रोपे पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय। आप जो शिक्षा और संस्कार बच्चों को देंगे वही तो आपको वापस मिलेगा। सनातन संस्कृति के अनुकूल ही सारी व्यवस्था रहने की बात उन्होंने कही।

मौके पर आयोजन के संयोजक रोटेरियन आर.पी.साहू समेत आनन्द वाहिनी की राष्ट्रीय अध्यक्ष इंदिरा झा तथा बिहार आनन्द वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष अशोक जी और  नवादा जिला आनन्द वाहिनी के अध्यक्ष सिद्धनाथ पांडेय, श्रवण कुमार बरनवाल, अरविंद कुमार गुप्ता, डॉ. मिथिलेश कुमार सिन्हा, गोरेलाल सिंह, अरविंद कुमार मानस, प्रदीप कुमार, सुजय कुमार, रश्मि गुप्ता आदि गणमान्य लोग मौके पर मौजूद थे।

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