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179 हाईस्कूलों में एक साल से प्राचार्य नहीं

भागलपुर जिले में चल रहे 179 उत्क्रमित हाईस्कूलों के पास पिछले एक साल से अपना प्राचार्य नहीं है। मध्यविद्यालयों के शिक्षक ही यहां प्राचार्य के प्रभार में हैं। स्थायी प्राचार्य के नहीं होने से स्कूल के...

179 हाईस्कूलों में एक साल से प्राचार्य नहीं
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 02 Jun 2015 04:37 PM
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भागलपुर जिले में चल रहे 179 उत्क्रमित हाईस्कूलों के पास पिछले एक साल से अपना प्राचार्य नहीं है। मध्यविद्यालयों के शिक्षक ही यहां प्राचार्य के प्रभार में हैं। स्थायी प्राचार्य के नहीं होने से स्कूल के विकास काम नहीं हो पा रहे हैं।

जानकारी के अनुसार वर्ष 2013 से मध्यविद्यालयों को उत्क्रमित कर हाईस्कूल बनाने की प्रकिया शुरू हुई। वर्ष 2014 में भी कुछ मीडिल स्कूलों को हाईस्कूल बनाया गया लेकिन प्राचार्य की नियुक्ति वहां नहीं की गई। जो शिक्षक मध्यविद्यालय के प्रधानाध्यापक थे उन्हें ही हाईस्कूल का भी प्रभार दे दिया गया।

बीते एक साल में किसी भी हाईस्कूल में स्थायी प्रचार्य की नियुक्ति नहीं की गई। उत्क्रमित हाईस्कूल में नियमित प्राचार्य के नहीं होने से स्कूल के कई काम प्रभावित हो रहे हैं।

स्कूल के विकास कार्य के लिए प्राचार्य के हस्ताक्षर चाहिए लेकिन यह अधिकार प्रभारी प्रचार्यों को नहीं होने से जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय स्कूल की फाइलें भेजनी पड़ती हैं। डीईओ के यहां से फाइल साइन होने के बाद ही काम शुरू होता है। फाइलें वहां भेजने और स्कूल पहुंचने में काफी वक्त भी गुजर जाता है। बच्चों के परीक्षा फार्म भरवाने के बाद चालान पर साइन करवाने के लिए भी डीईओ कार्यालय के ही चक्कर लगाने पड़ते हैं। इसके अलावा स्थाई प्राचार्य के नहीं रहने से स्कूल में पढ़ाई-लिखाई भी ठंग से नहीं हो पाती है। शिक्षकों के अभाव के कारण मध्यविद्यालय के शिक्षकों के कंधों पर ही हाईस्कूल के छात्रों की शिक्षण व्यवस्था है। अतिरिक्त प्रभार होने के कारण शिक्षक भी उत्क्रमित हाईस्कूलों की ओर रुचि नहीं लेते हैं। इन हाईस्कूलों में न तो विज्ञान प्रयोगशाला है और ना ही लाइबेरी का इस्तेमाल। लाइब्रेरियन के नहीं होने से बच्चों को किताबें नहीं मिल पाती हैं।

प्राचार्य के अलावा इन हाईस्कूलों में शिक्षकेत्तर कर्मचारियों का भी घोर अभाव है। कार्यालय में कोई क्लर्क नहीं है जिससे स्कूलों में कार्यालय के काम भी नहीं हो पाते हैं।

बच्चों के नामांकन और स्कूल फी के लिए रसीट काटने का काम प्रभारी प्रचार्य को ही करना पड़ता है जिससे प्राचार्य पर अतिरिक्त भार भी रहता है। कार्याल के कई महत्वपूर्ण काम भी कर्मचारियों कमी से बाधित हैं।

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