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रफ्तार पर नियंत्रण व अनुशासन से रुकेंगे सड़क हादसे

सरकार के प्रयासों से इतर आम जनता को अनुशासित होना होगा, तभी सड़क हादसों में कमी लाई जा सकती है। दुर्घटनाओं को कम करने के लिए यह जरूरी है कि लोग ट्रैफिक नियमों का सही से पालन करें।...

रफ्तार पर नियंत्रण व अनुशासन से रुकेंगे सड़क हादसे
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 15 Jun 2016 02:27 PM
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सरकार के प्रयासों से इतर आम जनता को अनुशासित होना होगा, तभी सड़क हादसों में कमी लाई जा सकती है। दुर्घटनाओं को कम करने के लिए यह जरूरी है कि लोग ट्रैफिक नियमों का सही से पालन करें।  
 
जानकार बताते हैं कि कई बड़े शहरों में एडवांस ट्रैफिक सिस्टम होने के बावजूद हादसे हो रहे हैं। इसकी मुख्य वजह  नियमों की अनदेखी है। चालकों के साथ आम लोगों को जागरूक और अनुशासित कर सड़क दुर्घटनाओं को कम किया जा सकता है। 

विशेषज्ञों के मुताबिक सड़क हादसों पर हमें फोकस करना होगा। नशे में गाड़ी चलाना, अत्यधिक रफ्तार और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी इसकी सबसे बड़ी वजह है। इसे रोकने की जिम्मेदारी सिर्फ ट्रैफिक पुलिस की नहीं है। चालक और राहगीर ट्रैफिक नियमों का सही से पालन करें तो हादसों में कमी आ सकती है। भारत में प्रत्येक वर्ष 1.40 लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। 

ई चालान लागू करना हो सकता है कारगर: ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों की मानें तो पटना में ई-चालान की व्यवस्था लागू करने से हादसों को रोकने में काफी मदद मिलेगी। फिलहाल ट्रैफिक पुलिस के पास जुर्माना का रिकॉर्ड नहीं रहता है। ई चालान की व्यवस्था होने से ट्रैफिक पुलिस यह जान सकेगी कि किस चालक द्वारा तीन दफे ट्रैफिक नियमों को तोड़ा गया है।

पतली सड़कों को वन-वे करना होगा
पटना।
पटना के ट्रैफिक एसपी रहे श्रीधर मंडल ने कहा कि शहरों में पतली सड़कों को वन-वे करना होगा। हाईवे पर ट्रक या बस सड़कों के किनारे खड़े रहते हैं। यह हादसों की बड़ी वजह है। हाईवे पर जितने भी पुल-पुलिया या मोड़ हैं उन्हें चौड़ा करना होगा। कई जगह सड़कों की चौड़ाई कम होने से चालक गलती कर बैठते हैं। बिना फाटक वाले रेलवे क्रॉसिंग पर ट्रैफिक तब तक के लिए रोक दी जानी चाहिए जबतक वहां पूरी व्यवस्था न हो।

श्री मंडल के अनुसार चालकों की राज्य में ट्रेनिंग की सही व्यवस्था नहीं है। इसे दुरुस्त करने की जरूरत है। ड्राइविंग लाइसेंस तभी जारी हो जब चालक पूरी तरह से ट्रेंड हों। ऐसे लोग भी लाइसेंस ले लेते हैं जिन्हें वाहन चलाने का अनुभव नहीं होता। हादसों की एक बड़ी वजह कम उम्र चालकों के हाथ में गाडियां थमा देना है।

जिंदापुर मोड़ पर मंडराता रहता है मौत
राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ने वाला गया-डोभी रोड एनएच 83 के महिटानी और जिंदापुर मोड़ पर मौत का खतरा मड़राता है। पूरे गया के लिए यह डेंजर जोन बना हुआ है। यहां हादसे की वजह वाहनों की तेज रफ्तार होती है। यहां बडे़ वाहन हो, चार पहिया या दो पहिया वाहन उनकी रफ्तार कभी कम नहीं होती। सड़क पर कोई साईन बोर्ड या इंडिकेटर नहीं होने और मोड़ के पास से एक ओर से दूसरी ओर देखना मुश्किल होता है। यही कारण है कि यहां हादसे की आशंका हमेशा बनी रहती है। 

जनवरी से लेकर अबतक यहां सड़क दुर्घटना में 9 लोगों की जान जा चुकी है। जनवरी में मटिहानी के पास कार दुर्घटना में भोजपुर के जयश्रीव एक अन्य की मौत हुई।

दुर्घटना में रेखा की मौत से परिवार के सपने चूर
हर परिवार का सपना होता है कि उसके घर में कोई ऐसा हो, जो घर खर्च के साथ ही छोटे भाई-बहनों की पढ़ाई की जिम्मेवारी संभाले। गया के छोटकी डेल्हा की रहने वाली रेखा ऐसी ही थी। पिता काम करने की स्थिति में नहीं हैं। बेटी रेखा ने पूरी जिम्मेवारी उठा रखी थी। 22 सितम्बर 2014 को सड़क हादसे में उसकी जान गई और घरवालों के सपने चकनाचूर हो गए। घर के पास ही एक ट्रक ने उसे कुचल दिया था। 

ट्य़ूशन पढ़ाकर उठाती थी परिवार का खर्च: अशोक चौधरी की पांच बेटियों एवं दो बेटों में रेखा दूसरी नंबर पर थी। बचपन में ही पढ़ाई में तेज रेखा को पिता ने किसी तरह मेहनत-मजदूरी कर इंटर तक पढ़ाया था। 

रेखा और आगे पढ़ना चाहती थी। लेकिन घर की हालत के कारण पिता ने आगे पढ़ाने से मना कर दिया था। तब रेखा ने छोटे-छोटे बच्चों को ट्य़ूशन पढ़ाना शुरू किया और गया कॉलेज गया में बीए में एडमिशन लिया। अपनी पढ़ाई के साथ-साथ ट्य़ूशन की बदौलत वह पूरे घर का खर्च उठाने लगी थी। 

परिवार को नहीं मिला सरकारी लाभ: सड़क हादसे में मारी गई रेखा के परिजनों को उस समय तात्कालिक अनुदान के रूप में 20 हजार रुपये दिये गये थे। इसके बाद परवरिश योजना के तहत और राशि दिये जाने का आश्वासन दिया गया था। रेखा की मां रामरती देवी बताती है कि रेखा की मौत के बाद दोनों भाई ट्य़ूशन पढ़ाकर घर-गृहस्थी चला रहे हैं।

जिम्मेदार चालक वर्ग तैयार करना होगा
सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में चलाए जानेवाले किसी भी अभियान से चालकों को जोड़ना होगा। रोड सेफ्टी के लिए यह आवश्यक है। देशभर में जिम्मेदार चालक वर्ग तैयार करना होगा।

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