बिहार में नौकरी छोड़ पंचायत चुनाव में आजमा रहे भाग्य
आमतौर पर एमएलए या एमपी के चुनाव की धमक लोगों में ज्यादा सुनाई देती है। देश या राज्य के हर कोने में इसकी चर्चा सुनने को मिलती है। उस समय चुनाव लड़ने वालों की फौज सी तैयार हो जाती है। पर इस बार होने...
आमतौर पर एमएलए या एमपी के चुनाव की धमक लोगों में ज्यादा सुनाई देती है। देश या राज्य के हर कोने में इसकी चर्चा सुनने को मिलती है। उस समय चुनाव लड़ने वालों की फौज सी तैयार हो जाती है। पर इस बार होने वाले पंचायत चुनाव में भी कुछ कम गहमागहमी नहीं दिख रही है। इस बार हर आदमी या युवा अपनी किस्मत आजमा लेना चाहता है। इसमें पढ़ाई छोड़कर भी कई युवा अपनी किस्मत आजमाने की सोच रहे हैं। नौकरीपेशा लोगों की संख्या भी अच्छी खासी है। वे अपनी नौकरी छोड़ लोगों की समस्या को सुलझाना चाहते हैं।
कुछ प्रत्याशियों पर नजर
खुसरूपुर के हैवतपुर पंचायत से जमशेदपुर टाटा कंपनी में लेबर सुपरवाइजर की नौकरी छोड़ मुखिया के प्रत्याशी के रूप में दिलीप कुमार मैदान में कूदने जा रहे हैं। एक अप्रैल को इनके प्रखंड का नामांकन दाखिल होगा। 27 वर्षीय दिलीप कुमार का कहना है उनकी पंचायत में गरीब किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है। किसान प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाते-लगाते थक जाते हैं।
वहीं भतुहा के मोमिनपुर पंचायत से पंचायत प्रतिनिधि के लिए 27 वर्षीय दिनेश कुमार आईसीआईसीआई बैंक में फील्ड ऑफिसर की नौकरी छोड़ चुनाव लड़ रहे हैं। वे बताते हैं आज सरकारी नौकरियों में संभावना कम होती जा रही है। अरवल जिले के अहमदपुर हरना से मुखिया पद के लिए गौतम कुमार शिक्षक की नौकरी छोड़ चुनाव में भाग्य आजमा रहे हैं।
24 वर्षीय गौतम कुमार का कहना है कि पहले वे बच्चों की सेवा करते थे। अब लोगों की सेवा करना चाहते हैं। अम्बेडर युवा मंच से इस बार 25 युवा पंचायत चुनाव लड़ रहे हैं। सभी युवा महादलित परिवार से हैं। इसमें अधिकतर युवा स्नातक या प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। इसमें जमुई से स्नातक की पढ़ाई कर अजय रविदास पंचायत प्रतिनिधि के चुनाव के नामांकन कराया है।