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शुभम अपहरण कांड में तीन को उम्रकैद

बीस लाख रुपये फिरौती के लिए छात्र शुभम का अपहरण करने के मामले में सुनवाई पूरी करते हुए बुधवार को जिला व सत्र न्यायाधीश एचएन तिवारी ने दोषी तीन अपहर्ताओं के खिलाफ उम्रकैद व 15-15 हजार रुपये जुर्माना...

शुभम अपहरण कांड में तीन को उम्रकैद
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 27 Apr 2016 08:03 PM
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बीस लाख रुपये फिरौती के लिए छात्र शुभम का अपहरण करने के मामले में सुनवाई पूरी करते हुए बुधवार को जिला व सत्र न्यायाधीश एचएन तिवारी ने दोषी तीन अपहर्ताओं के खिलाफ उम्रकैद व 15-15 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी है। सजा पाने वालों में पारू थाना क्षेत्र के मलाही निवासी ड्राइवर अजीबुल रहमान उर्फ कल्लू, हथौड़ी थाना क्षेत्र के पुनरवाना निवासी सुबोध सहनी व पकड़ी खुर्द के लाल बिहारी सहनी शामिल हैं।

29 दिसंबर 2010 को बोचहां थाना क्षेत्र के भुसहां निवासी किसान दिलीप कुमार सिन्हा के 13 वर्षीय पुत्र शुभम का अपहरण किया गया था। पुलिस की सक्रियता से उसी दिन शुभम को सीतामढ़ी के तिलक ताजपुर में बरामद किया गया। मौके पर आठ अपराधी को भी दबोचा गया। उस समय शुभम डीएवी पब्लिक स्कूल में नौंवी का छात्र था।

सुबह पौने आठ बजे साइकिल से स्कूल जा रहा था। रास्ते में आठ अपराधियों ने पिस्तौल के बल पर शुभम का अपहरण कर लिया। सात अपराधी बोलेरो पर थे। एक बाइक पर था। घटनास्थल पर अपराधियों ने बीस लाख रुपये फिरौती के लिए एक पत्र छोड़ दिया था।

शुभम के पिता ने पुलिस को खबर दी। बोचहां के तत्कालीन थानाध्यक्ष जीतेंद्र कुमार सिंह ने टीम गठित कर अपहर्ताओं का पीछा करना शुरू किया। पुलिस की टीम रास्ते में ग्रामीणों से अपहर्ताओं के गुजरने की टोह लेते रही। अंतत: तत्काकालीन डीएसपी (पूर्वी) डॉ शिब्ली नोमानी के नेतृत्व में कई थानों की पुलिस ने सीतामढ़ी के तिलक ताजपुर में अपहर्ताओं को चारों तरफ से घेर लिया। अपहर्ताओं से शुभम को मुक्त कराकर परिजन को सौंप दिया गया। सिंह के बयान पर एफआईआर हुई थी।

तीन को सजा, तीन बरी, दो के खिलाफ जांच जारी
शुभम के अपहरण कांड में आठ में से तीन अपराधी अदालत से बरी हो चुके हैं। बरी होने वाले तीनों अपराधी किशोर थे। तीनों का मामला किशोर न्याय बोर्ड के हवाले किया गया। बाद में साक्ष्य के अभाव में तीनों को बरी कर दिया गया।

दो अपहर्ताओं के खिलाफ चार्जशीट में देरी से मामला अदालत में लंबित है। वहीं ड्राइवर समेत तीन को सजा मिली है। मामले में पीड़ित का पक्ष लोक अभियोजक केदारनाथ सिंह ने रखा। वहीं बचाव पक्ष से अधिवक्ता केके शाही शामिल थे।

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