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एक्सक्लूसिव: कोलकाता-दिल्ली एनएच पर 1800 करोड़ राजस्व की चोरी

कोलकाता से दिल्ली को जोड़ने वाले एनएच दो पर कारोबारी सरकार को 1800 करोड़ रुपये सालाना राजस्व का चूना लगा रहे हैं। इसका खुलासा कैमूर में तीन दिन के एसपी के प्रभार में रहे एसटीएफ एसपी शिवदीप लांडे की...

एक्सक्लूसिव: कोलकाता-दिल्ली एनएच पर 1800 करोड़ राजस्व की चोरी
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 14 Jan 2016 11:38 PM
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कोलकाता से दिल्ली को जोड़ने वाले एनएच दो पर कारोबारी सरकार को 1800 करोड़ रुपये सालाना राजस्व का चूना लगा रहे हैं। इसका खुलासा कैमूर में तीन दिन के एसपी के प्रभार में रहे एसटीएफ एसपी शिवदीप लांडे की रिपोर्ट से हुआ है। सरकार को भेजी गई गोपनीय रिपोर्ट में कहा गया है कि परिवहन, खनन व वाणिज्य कर विभाग की मिलीभगत से केवल एनएच दो पर 1800 करोड़ के राजस्व की चोरी की जाती है।

करीब तीन सौ पन्ने की रिपोर्ट में रोहतास जिले के डेहरी में एनएच दो से एक दिन में जब्त 65 कोयला लदे ट्रकों के बाद से अबतक की गई कार्रवाई की चर्चा की गई है। गत 27 सितम्बर को कैमूर के कर्मनाशा चेकपोस्ट पर कैमूर एसपी हरप्रीत कौर द्वारा जब्त किए गए ओवरलोडेड वाहनों से एक दिन में करीब तीन करोड़ रुपए के राजस्व की वसूली की गयी थी, जबकि उक्त चेकपोस्ट से माह में एक लाख एक हजार ट्रक सीमा को पार करते हैं। ऐसे बिहार की सीमा के पांच चेकपोस्ट का हवाला दिया गया है। यदि उन ट्रकों को चेक किया जाए तो बड़े राजस्व की चोरी को रोका जा सकता है।

रिपोर्ट में कोयले के काले कारोबार को भी उजागर किया गया है, जिसमें यह बताया गया है कि स्मॉल व मीडियम स्केल के लिए आवंटित कोयला कोल अधारित उद्योग को दिया जाना है। लेकिन, डेहरी में 29 मई 2015 को जब्त कोयला लदे 65 ट्रकों के मामले में जांच में यह पता चला कि कोल अधारित उद्योग के नाम पर फॉर्म या उद्योग केवल कागजों पर चलता है। सीसीएल का कहना है कि सरकार द्वारा आवंटित कोयला उद्योग के लिए है, जो साढ़े चार लाख टन है। उत्तराखंड के लिए एक लाख टन कोयला आवंटित है। बिहार को जो कोयला मिलता है वह सीसीएल को छोड़ अन्य कंपनी द्वारा आवंटित किया जाता है।
जांच के बाद यह पता चला है कि अधिकतर लघु इकाई एवं मध्यम उद्योग के नाम पर कोयले का काला धंधा किया जाता है। झारखंड को भी प्रत्येक माह करोड़ों के राजस्व का नुकसान पहुंचता है, क्योंकि झारखंड के नाम पर चलान कटाकर कोयला लदा ट्रक बिहार के रास्ते उत्तर प्रदेश तक जाता है। जून में इंट्री माफियाओं के खिलाफ की गई कार्रवाई के बाद जांचोपरांत उक्त रिपोर्ट दी गई है।

रिपोर्ट में यह कहा गया है कि प्रत्येक माह करीब 158 करोड़ राजस्व की चोरी उक्त तीनों विभाग की मिलीभगत से की जाती है। रिपोर्ट के बारे में शिवदीप लांडे ने सिर्फ इतना कहा कि फिलहाल इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। यह गोपनीय रिपोर्ट है, जो सरकार को भेजी गयी है।
 

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