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सूबे में मंहगी हो सकती है बिजली, 9 फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव

सूबे में बिजली नौ फीसदी महंगी करने का प्रस्ताव बिजली कंपनी ने बिहार विद्युत विनियामक आयोग को सोमवार की देर शाम सौंपा। वित्तीय वर्ष 2016-17 में लागू होने वाली बिजली दर के प्रस्ताव पर आयोग आम लोगों से...

सूबे में मंहगी हो सकती है बिजली, 9 फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 22 Dec 2015 11:06 AM
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सूबे में बिजली नौ फीसदी महंगी करने का प्रस्ताव बिजली कंपनी ने बिहार विद्युत विनियामक आयोग को सोमवार की देर शाम सौंपा। वित्तीय वर्ष 2016-17 में लागू होने वाली बिजली दर के प्रस्ताव पर आयोग आम लोगों से राय लेने के बाद 120 दिनों के भीतर निर्णय लेगा।

बीते कई वर्षों से कंपनी की ओर से 15 नवंबर के पहले ही टैरिफ का प्रस्ताव आयोग को सौंपा जाता रहा है। इस बार सवा महीने देरी से सौंपे गए टैरिफ प्रस्ताव में समग्रता में कंपनी ने नौ फीसदी बिजली दर बढ़ाने का अनुरोध किया है। आयोग सूत्रों के अनुसार श्रेणीवार अलग-अलग बिजली दर वृद्धि का प्रस्ताव आया है। प्रस्ताव में बीपीएल परिवार के कनेक्शन कुटीर ज्योति को शामिल नहीं किया गया है। साथ ही खेती के काम वाले कनेक्शन में भी कोई शुल्क वृद्धि का प्रस्ताव नहीं दिया गया है। शहरी व ग्रामीण घरेलू व औद्योगिक कनेक्शन में अलग-अलग वृद्धि का प्रस्ताव है।

कंपनी के प्रस्ताव होते रहे हैं अनसुने: अब तक के इतिहास में कंपनी के प्रस्तावों से कई गुणा कम आयोग बिजली दर तय करता रहा है। खासकर आयोग की ओर से तय किए गए संचरण-वितरण नुकसान कम करने के टास्क को कंपनी पूरा नहीं कर पा रही है। बिजली चोरी से लेकर उपभोक्ताओं को बिल देने व उसकी वसूली में कंपनी शत-प्रतिशत टास्क पूरा नहीं कर पा रही है। ग्रिड से घरों तक बिजली पहुंचने में तकनीकी नुकसान भी आयोग के लक्ष्य से अधिक है। कंपनी सूत्रों के अनुसार संचरण-वितरण नुकसान 38 फीसदी तो चोरी सहित सभी तरह के नुकसान 52 फीसदी है। इस परिस्थिति में इस बार भी कंपनी के इस प्रस्ताव को हू-ब-हू मान लिया जाएगा, इस पर संशय है।

एक अप्रैल से लागू होना मुश्किल: बिजली कंपनी की ओर से टैरिफ का प्रस्ताव देरी से सौंपने का लाभ उपभोक्ताओं को तो नुकसान कंपनी को होगा। 120 दिनों में आयोग इस पर फैसला लेता है तो अप्रैल के अंतिम सप्ताह में नई बिजली दर घोषित होगी। इसके बाद कंपनी की ओर से अधिसूचना जारी होगी और लोगों के बीच इसका प्रचार-प्रसार किया जाएगा। इस प्रक्रिया में महीने भर का समय लग सकता है। इस स्थिति में मई-जून से ही बिजली की नई दर प्रभावी हो सकती है। नई दर लागू होने तक उपभोक्ता पुरानी दर पर ही बिजली का उपभोग करेंगे।

कंपनियों की रैंकिंग पर हो सकता है असर
देशभर की बिजली कंपनियों की रैंकिंग की जाती है। समय पर बिजली टैरिफ जमा नहीं करने से हुई देर से नई दर घोषित होगी। इन दोनोंश्रेणियों में बिजली कंपनी के प्रदर्शन का अंक कट जाएगा। अभी नार्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी देश में 11वीं तो साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड 23वें पायदान पर है। समय पर टैरिफ जमा नहीं करने पर बिजली कंपनी को केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाले कुछ अनुदान में भी कटौती का सामना करना पड़ सकता है।

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