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पार्टी और कास्ट नहीं, उम्मीदवार को देखकर करें वोट

कहा जाता है कि बिहार में कुछ हो या न हो राजनीति जरूर होती है। हर आदमी राजनीति पर बात करने के लिए तैयार रहता है। यानी राजनीति के लिए यहां सबके पास समय है। आपका अपना अखबार हिन्दुस्तान भी कहता है कि आओ...

पार्टी और कास्ट नहीं, उम्मीदवार को देखकर करें वोट
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 17 Jun 2015 11:51 AM
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कहा जाता है कि बिहार में कुछ हो या न हो राजनीति जरूर होती है। हर आदमी राजनीति पर बात करने के लिए तैयार रहता है। यानी राजनीति के लिए यहां सबके पास समय है। आपका अपना अखबार हिन्दुस्तान भी कहता है कि आओ राजनीति करें। यानी समाज को बेहतर करने के लिए सब मिलकर राजनीति करें। इसके लिए जरूरी है कि हम वोट डालें, वोट डालने के पहले मुद्दे तय करें। किसी भावना में न बहें। वर्तमान राजनीति की क्या स्थिति है, वोट और लोकतंत्र के बारे में लोग क्या सोचते हैं, यह भी जान लेना जरूरी है। इसी को लेकर हिन्दुस्तान अखबार की ओर से ‘वन मिनट’ कार्यक्रम चल रहा है, जिसके तहत जनता का मन-मिजाज टटोलने की कोशिश हो रही है। मंगलवार को हिन्दुस्तान टीम कंकड़बाग इलाके में थी। कॉलोनी मोड़, टेम्पो स्टैंड, मलाही पकड़ी और कंकड़बाग गोलंबर राजेंद्रनगर पुल के पास मिले लोगों से ‘एक मिनट’ में अपनी राय रखने को कहा गया। 

वोट तो हम हमेशा देते हैं और देते रहेंगे। मुझे पता है इसका महत्व। लेकिन, मुझे अपने राजनेताओं से शिकायत है। जिस उम्मीद के साथ हम वोट देते हैं, वह उम्मीद शायद ही कभी पूरी होती हो। मैं यह नहीं कहता कि सारी उम्मीदें पूरी हो जानी चाहिए, मगर एक नई सरकार आने के बाद कम से कम यह तो लगे कि नया कुछ हो रहा है। सिर्फ हवाबाजी और घोषणाओं से जनता का पेट नहीं भरता। इसलिए इस बार मैंने तय किया है पार्टी नहीं उम्मीदवार को देखकर वोट करूंगा। अगर छोटी पार्टी का भी बढिया उम्मीदवार है, तो उसे वोट देना चाहिए। 
-प्रकाश सोनू, कंकड़ाबाग

पिछले चुनाव में पहली बार मुझे वोट देने का मौका मिला। वोट देकर मैं बेहद खुश थी। मैंने न ही पार्टी देखकर वोट दिया और न ही कास्ट। उम्मीदवारों की सूची में जो मुझे सबसे सच्चा लगा उसे मैंने वोट दिया। यहीं होना भी चाहिए। पार्टी और कास्ट देखकर वोट न करें, क्योंकि यहीं चीजें हमें पीछे ले जाती हैं। बड़ी-बड़ी पार्टियां प्रचार के दम पर चुनाव जीत रही हैं। और जीतने के बाद जनता को भूल रही हैं। महंगाई बढ़ रही है, महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, बेरोजगारी खत्म नहीं हो रही है, ऐसे में बिहार चुनाव में इसे मुद्दा बनाना चाहिए। नेताओं के चुनावी मुद्दों से बचना होगा।
-स्नेहा राज, अशोक नगर

संविधान ने हमें वोट देने का अधिकार दिया। हम वोट देते हैं। मगर हमारे वोट का महत्व तब कम लगने लगता है, जब जीतने के बाद उम्मीदवार गायब हो जाते हैं। ठेकेदारों से घिर जाते हैं। वीआइपी बनकर महंगी गाडियों पर घूमते हैं। तब लगता है कि ये हमें मुंह चिढ़ा रहे हैं। फिर भी कहूंगा कि वोट दीजिए और अपनी गलती सुधारिए। ऐसे उम्मीदवार चुनिए जो पढ़ा-लिखा हो, भले ही किसी जाति का हो। इस चुनाव में भी नेता जातिवाद का कार्ड खेलेंगे। बचके रहिएगा। इनके असली मुद्दे जानिए और अपने मुद्दों के आधार पर इनका चयन कीजिए।
-सौरभ प्रियदर्शी, कॉलोनी मोड, कंकड़बाग

मैं हर बार वोट देती हूं। मैं मानती हूं कि हर बार नए उम्मीदवार को वोट देना चाहिए। क्योंकि जो उम्मीदवार एक से अधिक बार जीत जाता है, वह खुद को बहुत बड़ा नेता मानने लगता है। पहली बार तो ठीक काम करता है, लेकिन दूसरी बार से ढिलाई करने लगता है। इसलिए उम्मीदवारों को बदलते रहने चाहिए। जो उम्मीदवार क्षेत्र की जनता से न मिले, ठेकेदारों को साथ लेकर घूमे वैसे लोगों को तो एकदम हराना चाहिए। जो उम्मीदवार क्षेत्र के लोगों से जुड़ा हो, उसे वोट देना चाहिए।
- मंजू देवी, पोस्टल पार्क, कंकड़बाग

जब-जब चुनाव होता है, तब-तब कहा जाता है कि वोट का बहुत महत्व है। हमलोग वोट दे भी देते हैं। क्योंकि हमारे एक वोट से भी हार-जीत तय होती है। मगर कोई नेताओं से क्यों नहीं पूछता कि इस कीमती जीत का आदर क्यों नहीं करते? मैं मुसलमान हूं, मुझे पता है कि मुसलमानों को वोट के लिए बरगलाया जाता है। लेकिन इस चुनाव में यह सब नहीं चलनेवाला है। पर्टियां क्या-क्या कर रही हैं, कैसे-कैसे गठबंधन हो रहे हैं, पब्लिक सब समझ रही है। अब सिर्फ विकास की बात होनी चाहिए। जो काम किया है, उसे ही वोट देना चाहिए।
मो. नुरुल हसन, मलाही पकड़ी, कंकड़बाग

मैं छोटा ढाबा चलाता हूं। लेकिन चुनाव के दिन ढाबा बंद करके वोट डालने जाता हूं। मेरा आदमी एक वोट से हारे नहीं, इसलिए जरूर वोट देता हूं। और यहीं सोचकर देता हूं कि जीतेगा तो हम सब का काम करेगा। लेकिन दुख तब होता है, जब नेताजी के पास जाते हैं, तो नेताजी मिलते ही नहीं हैं। बावजूद मैं अपने उसी नेता को वोट देता हूं जिसकी छवि बहुत अच्छी है। मोहल्ले के लोग भी उन्हें बहुत पसंद करते हैं। महंगाई, भ्रष्टाचार हम नहीं जानते हैं, हम बस यहीं जानते हैं कि  जो बढिया काम करे, उसे बार-बार वोट दें।
-सोती प्रसाद, मलाही पकड़ी कंकड़बाग

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