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साइकिल पर झंडा बांध निकालते थे जुलूस

राजपुर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक राम नारायण राम आज की राजनीति से काफी दुखी हैं। कहते हैं कि पहले व्यवहार की राजनीति थी, अब वर्चस्व की हो गई है। मास्टर से एमएलए तक का सफर तय कर चुके राम नारायण...

साइकिल पर झंडा बांध निकालते थे जुलूस
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 19 Jul 2015 01:39 PM
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राजपुर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक राम नारायण राम आज की राजनीति से काफी दुखी हैं। कहते हैं कि पहले व्यवहार की राजनीति थी, अब वर्चस्व की हो गई है। मास्टर से एमएलए तक का सफर तय कर चुके राम नारायण 84 साल के हैं। वर्ष 1980 में जब उन्हें भाजपा से टिकट मिला, तो उन्होंने मास्टर की सरकारी नौकरी छोड़ राजनीति शुरू कर दी। हालांकि, पहले चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार अजरुन राम से हार गये। उस वक्त भाजपा मजबूत पार्टी नहीं हुआ करती थी।
दूसरी दफे 1985 में फिर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े। बताते हैं कि 19,777 वोट हासिल कर उसने सबकी जमानत जब्त करा दी थी। 1990 में भी बीजेपी के टिकट पर उसने जीत हासिल की। दो टर्म विधायक रह चुके राम नारायण कहते हैं कि तब और अब की राजनीति में आकाश-पाताल का अंतर है। उस वक्त वे गांव-गांव अपने मित्र ललन सिंह और बबन उपाध्याय के साथ पैदल वोट मांगने जाते थे। जहां रात वहीं सुबह। लोगों के  यहां खूब आदर सत्कार मिलता था। मांगकर खाना खा लेते थे। गरीब मास्टर व दलित का बेटा जान लोग प्यार से कुर्ता और धोती दे देते थे। वह मेल मोहब्बत अब नहीं रह गया है। कहीं कोई डर भय नहीं था।
साइकिल पर झंडा बांधकर जुलूस निकाला जाता था। बड़ी-बड़ी सभाएं नहीं हुआ करती थी। समय के साथ-साथ राजनीति में काफी कुछ बदलाव दिख रहा है। आज लोग वोट मांगने लग्जरी वाहनों से आते हैं। राजनीति के सुरमाओं के साथ अत्याधुनिक हथियार चमकाएं जा रहे हैं। टिकट लेने से लेकर चुनाव लड़ना सब कुछ इतना महंगा हो गया है कि साधारण आदमी के बस का नहीं रह गया है। अब न तो वह प्यार और व्यवहार रह गया है और न ही विश्वास।

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