भाजपा का असली चेहरा उजागर: नीतीश
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि जातिगत जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक होनी चाहिए। भाजपा नहीं चाहती है कि यह रिपोर्ट सार्वजनिक हो। भाजपा की इस मंशा के बाद उसका असली चेहरा सामने आ गया है।...
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि जातिगत जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक होनी चाहिए। भाजपा नहीं चाहती है कि यह रिपोर्ट सार्वजनिक हो। भाजपा की इस मंशा के बाद उसका असली चेहरा सामने आ गया है। जातिगत जनगणना की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना इसलिए जरूरी है कि जो लोग पिछड़ गए हैं, उनकी सही संख्या का आकलन हो और उनके उत्थान के लिए योजनाएं उसी स्तर पर बनें।
राजकीय अतिथिशाला से लौटने के क्रम में संवाददाताओं से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बात समझ से परे है कि आखिर जातिगत जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही है। 1931 में पहली बार जातिगत जनगणना हुई थी। इसके बाद लोगों के आग्रह पर जनगणना हुई है। जातियों का सम्मेलन करने वाली भाजपा की असलियत सामने आ गई है। केंद्र में बैठे लोगों के इरादे क्या हैं, यह सभी के सामने है।
कुमार ने कहा कि पिछड़ों के उत्थान के लिए भाजपा नेताओं के दिल में किसी तरह की प्रतिबद्धता नहीं है। लोकसभा चुनाव के समय भाजपा ने अपने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को अति पिछड़ा कहा। जाति आधारित बात शुरू की। यही नहीं हमारी पार्टी ने जब जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटाने का फैसला लिया तो भाजपा ने जातिगत बातें करनी शुरू कर दी।
आज प्रदेश भाजपा के नेता का यह वक्तव्य भी आ रहा है कि कमंडल भी उनका है और मंडल भी उनका। जातिगत बातें करने वाली भाजपा का पूरा आचरण सामने है। गरीबों और पिछड़ों की सिर्फ बातें करते हैं वे लोग, उनके हित को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं है। मदरसा को लेकर महाराष्ट्र में भाजपा सरकार के आए वक्तव्य तथा शिवसेना द्वारा अल्पसंख्यकों के खिलाफ टिप्पणी पर प्रतिक्रिया पूछने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज को तोड़ना इनकी आइडियोलॉजी रही है।