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भदोही: निजी डाक्टरों से पशुओं का इलाज करा रहे हैं ग्रामीण

बीमार मवेशियों का इलाज कराना पशुपालकों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। सरकार की लाख प्रयास के बाद भी पशु पालकों को समुचित सुविधा नहीं मिल पा रही है। सुरियावां ब्लाक के लगभग तीन सौ गांव में बंधे...

भदोही: निजी डाक्टरों से पशुओं का इलाज करा रहे हैं ग्रामीण
,नई दिल्ली Sun, 14 May 2017 05:31 PM
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बीमार मवेशियों का इलाज कराना पशुपालकों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। सरकार की लाख प्रयास के बाद भी पशु पालकों को समुचित सुविधा नहीं मिल पा रही है। सुरियावां ब्लाक के लगभग तीन सौ गांव में बंधे मवेशियों के इलाज का मात्र एक पशु अस्पताल के ऊपर है।

पशु अस्पताल सुरियावां में मात्र एक चिकित्सक एक कंपाउंडर, एक पशु औसधिक तथा एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की तैनाती की गई है। उक्त पशु अस्पताल के ऊपर सुरियावां ब्लाक के 72 ग्राम सभाओं का भार है। प्रत्येक ग्राम सभाओं से चार से पांच गांव जुड़े हैं तथा 72 ग्राम सभाओं को मिलाकर करीब तीन सौ गांव के पशुओं का इलाज एक पशु डाक्टर के ऊपर छोड़ दिया गया है। पशु अस्पताल सुरियावां में दवा के नाम पर कोई सुविधा नहीं है। दस वर्षों से ड्रिप तथा किलनी तक की दवा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में विभिन्न बीमारियों की दवाइयों की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती। सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधा मुहैया नहीं होने पर पशु पालक पाइवेट डाक्टरों का सहारा लेने को विवश हैं। ग्रामीण अंचलों में भ्रमण कर रहे बगैर डिग्री वाले पशु डाक्टर ग्रामीणों से अत्यधिक धन लेने के साथ पशुओं की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। इलाज के अभाव में आए दिन मवेशी मौत की मुंह में समा जा रहे हैं। संपन्न पशु पालक तो पैसा खर्च कर निजी डाक्टरों से इलाज करा ले रहे हैं लेकिन गरीब तबके के पशु पालक धन के अभाव में सरकारी अस्पताल सुरियावां पहुंच रहे हैं। जहां पशुओं का इलाज करना तो दूर स्वास्थ्यकर्मी मामूली दवाइयों को देकर लौटा दे रहे हैं।

पशु पालकों की माने तो ग्रामीण बीमार जानवरों को लेकर पशु अस्पताल सुरियावां पहुंच रहे हैं तो इलाज की औपचारिकता पूरी कर बाहर की दवाइयां लिख दी जाती है। पशु की बेहतरी इलाज के लिए अधिकांश लोग निजी डाक्टरों को दिखाकर बाहर की दवाइयां ही लेने में विश्वास रखते हैं। दवाओं की कमी को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों व पशु पालकों के बीच हमेशा विवाद की स्थिति बनी हुई है। झोला छाप पशु डाक्टरों की झांसे में आकर लोग आर्थिक स्थिति से टूट जा रहे हैं। पशु पालकों के समाने मवेशियों की इलाज को लेकर विकट समस्या है लेकिन किसी स्तर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

उधर, पशु अस्पताल सुरियावां के चिकित्सक डा. सुशील कुमार ने बताया कि इस क्षेत्र में करीब डेढ़ हजार भैंस, बीस हजार गाय तथा 40 हजार पक्षियों की संख्या है। नियमानुसार एक पशु डाक्टर के परिधी में अधिकतम 15 हजार जानवर आने चाहिए। लिहाजा सुरियावां ब्लाक में कम से कम दो पशु अस्पताल हो जाएं तो क्षेत्रीय पशु पालकों को काफी राहत मिलेगी। सुरियावां ब्लाक का क्षेत्रफल इतना लंबा है कि प्रत्येक पशु पालकों तक पहुंचना टेढ़ी खीर साबित होता है।

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