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Hindi Newsपटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने तेघड़ा और बलिया में व्यवहार न्यायालय का किया उद्घाटन,सुलभ व सस्ता न्याय समाज की है जरूरत

पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने तेघड़ा और बलिया में व्यवहार न्यायालय का किया उद्घाटन,सुलभ व सस्ता न्याय समाज की है जरूरत

अनुमंडल स्तर पर व्यवहार न्यायालय की स्थापना आज के समाज की जरूरत है। इससे सुलभ एवं सस्ता न्याय मिलने में मदद मिलेगी। अनुमंडल स्तर पर न्यायालय की स्थापना से इलाके के फरियादियों को सहूलियत होगी। इसका...

पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने तेघड़ा और बलिया में व्यवहार न्यायालय का किया उद्घाटन,सुलभ व सस्ता न्याय समाज की है जरूरत
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 24 Sep 2016 06:56 PM
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अनुमंडल स्तर पर व्यवहार न्यायालय की स्थापना आज के समाज की जरूरत है। इससे सुलभ एवं सस्ता न्याय मिलने में मदद मिलेगी। अनुमंडल स्तर पर न्यायालय की स्थापना से इलाके के फरियादियों को सहूलियत होगी। इसका अंदाजा इस समारोह में उपस्थित लोगों के उत्साह को देखकर सहज ही लगाया जा सकता है। ये बातें शनिवार को बलिया अनुमंडल मुख्यालय में स्थित व्यवहार न्यायालय का उद्घाटन करने के बाद समारोह को सम्बोधित करते हुए पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी ने कहीं।

उन्होंने न्यायालय के द्वारा दिये गये फैसले के बारे में एक रोचक प्रसंग की चर्चा की। उन्होंने कहा कि हत्या के किसी मामले में सेशन जज से किसी पक्ष को सजा मिल जाती है तो एक पक्ष कहता है न्याय हुआ, वहीं दूसरा पक्ष अन्याय होने की बात करता है। जब इसी मामले में उच्च न्यायालय द्वारा फैसला उलट दिया जाता है तो वही मुजरिम अब न्याय मिलने की बात करता है जबकि पहले पक्ष का फरियादी कहता है घोर अन्याय है। ऐसे में लोग न्यायालय के फैसले पर उंगलियां उठाना शुरू कर देते हैं।

उन्होंने कहा कि न्यायालय का फैसला सबका फैसला है। इस तथ्य को समझने के लिए ध्यान देने की बात यह है कि जनता के द्वारा चुने गये प्रतिनिधि से ही सरकार बनती है। चाहे वह सरकार किसी भी राजनीतिक पार्टी की क्यों न हो। सरकार में शामिल प्रतिनिधि के द्वारा ही कानून बनाया जाता है। उसी कानून के तहत ही न्यायाधीश फैसला सुनाता है। चाहे वह फैसला किसी के पक्ष में हो या विपक्ष में। कानून न्यायाधीश नहीं बनाते, जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि द्वारा ही कानून बनाये जाते हैं। इस हिसाब से न्यायिक व्यवस्था में अगर कोई दोष है तो इसके लिए सबको जिम्मेवारी लेनी होगी।

उन्होंने कहा कि यदि किसी मामले में कोई वकील पक्षकार से फीस की मांग करते हैं तो वह जरूरत के अनुकूल भी फीस चुकाने में असमर्थता जताते हैं, वहीं दूसरी ओर उसी पक्षकार से उसके पक्ष में न्याय दिलाने के नाम पर मोटी रकम की मांग की जाती है तो वही पक्षकार सहज रूप से रकम देने को तैयार हो जाता है।

उन्होंने ऐसी परिस्थिति से बचने की भी नसीहत दी। उन्होंने वकीलों को भी सलाह दी कि वे किसी भी मामले में सच्चाई को न्यायालय तक पहुंचायें ताकि पक्षकारों को उचित न्याय मिल सके। इसके बाद व्यवहार न्यायालय की स्थापना को लेकर सरकार द्वारा जारी गजट को निजी सचिव बिनोद कुमार सिन्हा ने पढ़कर सुनाया।

कार्यक्रम में अनुमंडल अधिवक्ता संघ की ओर से मुख्य न्यायाधीश व निरीक्षी न्यायाधीश राकेश कुमार, जिला जज गंगोत्री राम त्रिपाठी, डीएम मो. नौशाद यूसुफ, अवर न्यायाधीश सह अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अखिलेश कुमार सिंह, मुंसिफ धीरज कुमार मिश्र को शॉल एवं बुके भेंटकर सम्मानित किया।

मौके पर एसडीओ बृजकिशोर चौधरी, डीएसपी रंजन कुमार, एलआरडीसी निरंजन कुमार, कार्यपालक दण्डाधिकारी मीना व्यास, मुख्य पार्षद चम्पा देवी, उपमुख्य पार्षद जावेद अख्तर, बीडीओ मनोज पासवान, सीओ विभा रानी, निबंधन अधिकारी वंदना कुमारी, थानाध्यक्ष मो. सनाउल्लाह, मृत्युंजय कुमार, अनुमंडल अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष रघुवर श्याम सिंह, सचिव मणिशंकर यादव, वरीय अधिवक्ता इजु रहमान, मंसूर आलम, अमर भूषण सिंह, बृज किशोर मेहता, सुनील सिन्हा, विजय कुमार चौधरी, त्रिभुवन शर्मा, शंभू अग्रवाल, उमाशंकर प्रसाद, शशिरंजन कुमार, बिनोद झा, संजीव यादव, नरेश यादव, पूर्व विधायक समसू जोहा, मो. अहसन, मो. अबुल बरकात आदि उपस्थित थे।

मैं भी रह चुका हूं जिला न्यायालय का वकील : अनुमंडल व्यवहार न्यायालय के उद्घाटन समारोह में पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी ने अधिवक्ताओं को अपने स्तर में सुधार लाने की सलाह दी। उन्होंने परोक्ष रूप से ही सही, अपने उपर ही टिप्पणी करते हुए कहा कि मैं भी जिला न्यायालय का वकील रह चुका हूं। उसके बाद उच्च न्यायालय में भी वकालत की है। आज मैं आपलोगों के बीच से ही इस पद तक पहुंचा हूं। ऐसी ही उम्मीद आप सभी अधिवक्ताओं से है। इसके लिए आपको अपने स्तर में सुधार लाना होगा। साथ ही कानून का ज्ञान भी बढ़ाना होगा।

कानून से डरें नहीं, सम्मान करें: मुख्य न्यायाधीश : तेघड़ा से संवाद सूत्र के अनुसार सामाजिक रुप से जीवन जीने के लिए जो नियम समाज के लोगों ने बनाए हैं उसे नहीं मानना ही कानून तोड़ना कहा जाता है। कानून का सम्मान करना चाहिए, इससे डरना नहीं चाहिए। ये बातें पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी ने तेघड़ा में व्यवहार न्यायालय का उद्घाटन करते हुए कहीं।

उन्होंने कहा कि न्यायालय के लिए तेघड़ा के लोगों ने बहुत इंतजार किया। यहां के लोगों को बिना परेशानी न्याय मिले, इसमें स्थानीय अधिकारियों के साथ ही अधिवक्ताओं की जिम्मेदारी महत्वपूर्ण है। इससे पूर्व मुख्य न्यायाधीश व निरीक्षी न्यायाधीश राकेश कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर अनुमंडल अधिवक्ता संघ की ओर से अतिथियों को माला, चादर व मोमेंटो देकर स्वागत किया गया। मुख्य न्यायाधीश ने फीता काटकर न्यायालय प्रक्रिया की शुरुआत की। इस अवसर पर जिला जज गंगोत्री राम त्रिपाठी, डीएम नौशाद यूसूफ, एएसपी कुमार मयंक सहित व्यवहार न्यायालय के जज के अलावा सहित अनुमंडल के अधिकारी, अधिबक्ता व आम नागरिक उपस्थित थे। समारोह से पूर्व मुख्य अतिथियों को एनएच-28 से अनुमंडल कार्यालय तक हाथी-घोड़े व ऊंट सहित बैंड बाजे के साथ सम्मानपूर्वक लाया गया। अधिवक्ताओं ने मुख्य न्यायाधीश की पत्नी को भी सम्मानित किया। समारोह में अधिवक्ता संघ के सचिव प्रमोद सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया।

रह-रहकर लगते रहे ठहाके : अनुमंडल व्यवहार न्यायालय के उद्घाटन समारोह के दौरान रह-रहकर कई बार ठहाके भी लगे। खासकर जब वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमोद सिंह ने मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी का अभिवादन करते हुए कहा कि मैं मुख्य न्यायाधीश से पहले उस शख्सियत का नमन करना चाहता हूं जिसने मुख्य न्यायाधीश को यहां तक पहुंचाया। इस पर अपने संबोधन के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अधिवक्ता के कहने का तात्पर्य है कि मैं पत्नी की बदौलत ही कामयाब हुआ हूं। इस बात पर श्रोता अपनी हंसी नहीं रोक पाए। इसी तरह एक कहानी के द्वारा मुख्य न्यायाधीश ने अपनी बात रखी तो लोग ठहाके लगाकर हंस पड़े।

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