सीएचसी के इमरजेंसी वार्ड में जमीन पर होता है घायलों का इलाज
सरकारी अस्पतालों में करोड़ों खर्च होने के बाद भी मरीजों को सुविधाओं का लाभ नहीं दिया जा रहा है। सीएचसी का इमरजेंसी कक्ष मात्र एक ही बेड के सहारे हैं। एक अधिक मरीजों का स्ट्रेचर या जमीन पर लेटा कर उनका...
सरकारी अस्पतालों में करोड़ों खर्च होने के बाद भी मरीजों को सुविधाओं का लाभ नहीं दिया जा रहा है। सीएचसी का इमरजेंसी कक्ष मात्र एक ही बेड के सहारे हैं। एक अधिक मरीजों का स्ट्रेचर या जमीन पर लेटा कर उनका इलाज किया जाता है। गुरुवार को सड़क दुर्घटना में घायल हुए एक व्यक्ति का उपचार जमीन में लेटाकर किया गया।
भयंकर गर्मी में उसकी पत्नी सिरहाने बैठकर एक कपड़े से उसको हवा करती रही।चुनाव के समय आम नागरिक अपनी आवश्यकता पड़ने पर अपनी जरुरतों को ध्यान में रखकर ही सरकार का चुनाव करता है। उसे उम्मीद रहती है कि आगामी सरकार में उसे उसका हक मिल सकेगा। प्रदेश में कई सरकारें आईं और चली गईं लेकिन सरकारी अस्पतालों के हालात नहीं सुधरे।
अस्पतालों में मरीजों को लाभ मिलनो तो दूर उन्हें जरूरत की सुविधाएं ही स्वास्थ विभाग मुहैया नहीं करा पा रहा है। गांव नबीची के मलिखान, बहादुरपुर अपनी बहन के पोते के मंडन संस्कार में गए थे। वहां से शाम को घर आते समय सड़क पर बाइक फिसलने से उन्हें गंभीर चोटें आईं। गुरुवार सुबह उनके परिजन उन्हें सीएचसी ले गए। सीएचसी के इमरजेंसी कक्ष में पड़े एक बेड पर पहले सही एक मरीज का उपचार चल रहा था।
ऐसे में घायल मलिखान को उपचार के बाद जमीन पर लेटा दिया गया। तपती फर्श और भंयकर गर्मी में उसका बुरा हाल हो गया। उसकी पत्नी अपनी साड़ी के पल्लू से ही अपने पति को हवा करने लगी। जमीन पर घंटों पड़े रहने के बाद उसे पीलीभीत के लिए रेफर कर दिया गया। यही नहीं सड़क दुघर्टना और अन्य हादसों में एक से अधिक घायलों का बाहर पड़ी स्लैब या लाने वाली गाड़ी में ही उपचार की खानापूर्ति कर उन्हें पीलीभीत रेफर कर दिया जाता है।