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अक्षय तृतीया आज, जानिये इस दिन की क्या हैं मान्यताएं

आनंद, सुख और समृद्धि प्रदान करने वाली अक्षय तृतीया आज है। हिन्दू धर्म की मान्यता है कि इस दिन शुभ कार्यों की शुरुआत करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है। इस साल अक्षय तृतीया दो दिन मनाई जा रही है।...

अक्षय तृतीया आज, जानिये इस दिन की क्या हैं मान्यताएं
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 28 Apr 2017 12:13 PM
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आनंद, सुख और समृद्धि प्रदान करने वाली अक्षय तृतीया आज है। हिन्दू धर्म की मान्यता है कि इस दिन शुभ कार्यों की शुरुआत करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है। इस साल अक्षय तृतीया दो दिन मनाई जा रही है। शुक्रवार के साथ ही शनिवार को भी तृतीया का योग बन रहा है। कई ज्योतिष शुक्रवार को ही शुभ संयोग मान रहे हैं जबकि कुछ ज्योतिषियों का कहना है कि शनिवार को सूर्योदय तृतीया में होगा। ऐसे में शनिवार ही श्रेष्ठ मुहूर्त है।

अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। इसी दिन से सारे शुभ काम शुरू होते हैं इसलिए लोग इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। खासकर जेवर की खरीददारी जमकर होती है। ज्वेलरी शोरूम में ग्राहकों को लुभाने के लिए कई आफर शुरू हो गए हैं। मेकिंग चार्ज में छूट के साथ ही उनको आनलाइन खरीददारी पर कैशबैक भी दिया जा रहा है। विवाहित महिलाओं के लिए शहर के कई पार्लर और मेहंदी सेंटर अभी से बुक हो गए हैं।

मान्यता यह भी है कि इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र और आभूषणों की खरीदारी से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं। अलग-अलग मत अक्षय तृतीया के दोनों दिनों में शुभ मुहूर्त को लेकर असमंजस बना हुआ है। शुक्रवार को सुबह 10.30 बजे से शुरू हो होगी जो 29 अप्रैल 2017 को सुबह 6.55 बजे तक ही रहेगी। कई ज्योतिष पूजा का शुभ मुहूर्त 28 तारीख को सुबह 10:29 बजे से दोपहर के 12:17 बजे तक मान रहे हैं। वहीं कई ज्योतिष बताते हैं कि 29 अप्रैल को सूर्योदय तृतीया में होगा और ऐसे में पूरा दिन तृतीया रहेगी। इसलिए 29 तारीख ही शुभ मुहूर्त है।

सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ

अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। पौराणिक ग्रंथों कहते हैं कि इस शुभ दिन किए गए सभी अच्छे कामों का अक्षय फल मिलता है। इसी कारण इसेे अक्षय तृतीया कहा गया है। इसी दिन सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ हुआ था। भविष्य पुराण में लिखा है कि इस दिन से ही सतयुग और त्रेता युग की गणना होती है। भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था। माना जाता है कि ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव इसी दिन हुआ था।

श्री बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं

अक्षय तृतीया के दिन ही श्री बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं इसी कारण इस दिन श्री बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं। वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी जी मन्दिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं।

महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था

पद्म पुराण के मुताबिक इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था। कहते हैं कि इस दिन गंगा स्नान करने से तथा भगवत पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। परशुराम जंयती जैनियों और सनातन धर्म के लोगों के लिए ये दिन काफी पावन है तो वहीं कुछ लोग आज के दिन परशुराम जयंति के रूप में मनाते हैं क्योंकि स्कंद पुराण और भविष्य पुराण में उल्लेख है कि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु ने परशुराम रूप में जन्म लिया था।

शुभ मुहूर्त 29 अप्रैल को बन रहा है। 28 अप्रैल को सूर्योदय द्वितीया में हो रहा है और मान्यता है कि सूर्योदय के साथ ही तिथि का निर्धारण होता है। ऐसे में 29 अप्रैल को ही शुभ कार्य करना चाहिए।

- पं. राजेंद्र, ज्योतिषाचार्य

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