फोटो गैलरी

Hindi Newsबलिया : गांवों-कस्बों के एटीएम में पैसा ढूंढों तो जानें

बलिया : गांवों-कस्बों के एटीएम में पैसा ढूंढों तो जानें

ग्रामीण इलाकों में स्थित एटीएम एक महीने से शो-पीस बने हुए हैं। इसके अलावा विभिन्न कस्बा के भी एटीएम कई दिनों से कंगाल हैं। नोटबंदी के बाद से ग्रामीण क्षेत्रों के एटीएम के ताले ही नहीं खुले। तीन दिनों...

बलिया : गांवों-कस्बों के एटीएम में पैसा ढूंढों तो जानें
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 12 Dec 2016 10:40 PM
ऐप पर पढ़ें

ग्रामीण इलाकों में स्थित एटीएम एक महीने से शो-पीस बने हुए हैं। इसके अलावा विभिन्न कस्बा के भी एटीएम कई दिनों से कंगाल हैं। नोटबंदी के बाद से ग्रामीण क्षेत्रों के एटीएम के ताले ही नहीं खुले। तीन दिनों तक बैंकों की बंदी ने तो ग्रामीण इलाकों में रही-सही कसर भी पूरी कर दी है। सोमवार को ग्रामीण इलाकों में एक भी एटीएम कहीं नहीं खुला था। चूंकि यह सिलसिला नोटबंदी के बाद से ही चल रहा है, लिहाजा सोमवार को लोग यह मान चुके थे कि एटीएम नहीं खुलने वाला और इस वजह से वे एटीएम तक आये भी नहीं।

शहर के अलावा नगर पंचायत व ग्रामीण इलाकों में भी लोगों की सुविधा के लिए एटीएम स्थापित किये गये हैं। बताया जाता है कि ग्रामीण इलाकों के एटीएम आमतौर पर 24 घंटे नहीं खुलते हैं अधिकांश एटीएम बैंकों के पास ही स्थापित किये गये हैं। लोगों की मानें तो बैंक खुलने के समय पर ही एटीएम खुलता है और बैंक के समय ही एटीएम भी बंद कर दिया जाता है। लेकिन नोटबंदी के बाद से बैंक तो खुले लेकिन एटीएम नहीं खुले। आलम यह है कि एक महीने से अधिक समय से एटीएम पर ताले लगे हुए हैं और इसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। इसके चलते ग्रामीण क्षेत्र के लोग पूरी तरह बैंकों पर ही निर्भर हो गये हैं और कैश के लिए जूझते हैं।

हिसं बांसडीह के अनुसार यहां स्थित यूनियन बैंक आफ इंडिया व एसबीआई का एटीएम लगातार कई दिनों से नहीं खुल रहा है। यहां के राजकिशोर, नंदजी, परशुराम आदि ने कहा कि शायद सरकार व बैंक यह भूल चुके हैं कि ग्रामीण इलाकों के लोगों को भी पैसे की जरूरत होगी। सिकंदरपुर, भरौली, चितबड़ागवं, सहतवार, बैरिया व रानीगंज संवाददाताओं के अनुसार भी सोमवार को एक भी एटीएम नहीं खुला था। इससे पहले शनिवार व रविवार को भी हालत यही थी। रानीगंज बाजार के अनिल केशरी, धीरेन्द्र प्रताप सिंह आदि ने कहा कि बैंकों में भी कैश की कमी है। यदि एटीएम को ही चालू करा दिया गया होता तो बड़ी राहत मिलती। अब तो मुश्किल और भी बड़ी हो गयी है।

एटीएम के नहीं खुलने के कारण ग्रामीण इलाकों के लोगों को संकट का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों की मानें तो एटीएम खुलने पर वह जरुरत की खरीदारी के लिए पैसे निकालते थे अधिक धनराशि की आवश्यकता होने पर ही वह बैंक जाते थे। लेकिन एटीएम का संचालन नहीं होने के कारण बैंक में जाकर जूझना पड़ता है।

एटीएम नहीं खुलने से बढ़ी परेशानी

भरौली। गांवों में कैश उपलब्ध कराने को लेकर किस तरह उदासीनता बरती जा रही है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लोग पैसे के लिए जूझ रहे हैं फिर भी भुगतान नहीं मिल रहा है। भरौली गांव के अरविंद कुमार ने बताया कि गांव की आबादी करीब 10 हजार है और अधिकांश परिवारों के खाते में यूबीआई उजियार व सेंट्र्रल बैंक सोहांव में हैं। दोनों बैंक के पास एटीएम लगे हैं लेकिन नोटबंदी के बाद से ही नहीं खुले। संजय कुमार ने बताया कि पूरे गड़हांचल के करीब एक लाख की आबादी के लिए दो एटीएम हैं और दोनों एटीएम एक महीने से बंद पड़े हैं। इसके अलावा बैंकों से भी निर्धारित भुगतान नहीं मिल पा रहे हैं। कहा कि अगर एटीएम खुलते तो शायद कुछ राहत मिलती।

ग्राहक सेवा केन्द्र संचालक भी फजीहत में

पूर। गांव के लोगों को गांव में लेन-देन के लिए औसत पांच किमी के अंदर एक ग्राहक सेवा केन्द्र संचालित होता है। बताया जाता है कि ग्राहक सेवा केन्द्रों पर 10 हजार तक के लेन-देन का प्रावधान है। लेकिन नोटबंदी के बाद से अधिकांश ग्राहक सेवा केन्द्र बंद पड़े हुए हैं। केन्द्र संचालकों का कहना है कि बैंक से कैश नहीं मिलने के कारण भुगतान करना संभव नहीं हो रहा है। कभी-कभार कैश मिलती भी है तो इतनी कम राशि होती है कि किसे दें और किसे न दें यह समस्या बनी रहती है। इसके अलावा ग्राहक सेवा केन्द्रों पर कोई सुरक्षा व्यवस्था भी नहीं होती है लिहाजा बंद रखना पड़ता है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें