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बागेश्वर से सटे गांवों को नहीं मिलता साफ और भरपूरा पानी

बागेश्वर नगर तथा उससे जुड़े गांवों की स्थिति काफी खराब है। मास्टर प्लान को ताक में रखकर यहां कंक्रीट का जंगल बन गया है। लोग दो-दो नदियों के बावजूद भी सालभर पेयजल के लिए तरसते हैं। सीवर लाइन नहीं बनने...

बागेश्वर से सटे गांवों को नहीं मिलता साफ और भरपूरा पानी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 21 Jan 2017 05:51 PM
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बागेश्वर नगर तथा उससे जुड़े गांवों की स्थिति काफी खराब है। मास्टर प्लान को ताक में रखकर यहां कंक्रीट का जंगल बन गया है। लोग दो-दो नदियों के बावजूद भी सालभर पेयजल के लिए तरसते हैं। सीवर लाइन नहीं बनने से सरयू तथा गोमती प्रदूषित हो रही हैं। गलियों को जोड़ने वाले रास्ते संकरे हैं। जिला अस्पताल में डॉक्टर नहीं होने से इसका लाभ नगरवासियों को भी नहीं मिल रहा है।

विधानसभा चुनाव के लिए तीस जनवरी को मतदान होगा। ऐसे में जनता जनार्दन भी समस्याओं को लेकर मुखर हो गई है। लोगों का कहना है कि दस सालों में यहां समस्याएं अधिक पैदा हुई हैं, विकास के नाम पर जनता के साथ ठगी हुई है। अलबत्ता उनका वोट संतुलित विकास, साफ, स्वच्छ छवि के प्रत्याशी को जाएगा। भ्रष्टाचारियों को मुंहतोड़ जबाव देंगे। बहुली गांव के दीपक परिहार ने कहा कि पानी के लिए तरस गए हैं। नगर से दो किमी दूरी पर स्थित बहुली गांव में 1990 में बनी योजना का जीर्णोद्धार तक नहीं हो सका है।

उनका वोट भरपूर पानी देने वाले एमएलए को जाएगा। मंडलसेरा निवासी भुवन चौबे कहते हैं कि पानी का वितरण मानक के हिसाब नहीं होता है। रास्तों की स्थिति काफी खराब है। संकरे रास्ते से अस्पताल तक डोली में रखकर मरीज को लाने में भी दिक्कतें हो रही हैं। भागी चंद्र कहते हैं कि खलझूनी गांव में मूलभूत समस्याएं थीं, वह नातियों को पढ़ाने जिला मुख्यालय आए, बानरी में मकान भी बना लिया।

यहां की समस्याएं गांव से अधिक बिकराल हैं। नदीगांव निवासी पंकज कबडोला कहते हैं कि दो-दो नदियां, उनके गांव में नौलों का भंडार, इसके बावजूद भी यहां सालभर पेयजल की समस्या बनी रहती है। कांडा रोड, दुग बाजार निवासी रमेश कांडपाल कहते हैं कि जखेड़ा पेयजल योजना तीस साल पुरानी है। बारिश तथा गर्मी में पानी की आपूर्ति बाधित हो जाती है। चौरासी गांव की पुष्पा देवी कहतीं हैं कि उनके लिए पानी की कोई योजना तक नहीं है। नल हैं, उनमें कभी पानी टपकता। गांव वालों को मजबूरी में सरयू का प्रदूषित पानी पीना पड़ रहा है।

कैलखुरिया निवासी सविता ने कहतीं हैं कि पानी कभीकभार मिलता है। उसमें गंदगी भरी रहती है। कठायतबाड़ा निवासी हेमा कहतीं हैं कि उनके गांव में हैंडपंप लगाया है। उसमें शौचालय का पानी आ रहा है। भटखोला की रेखा देवी कहतीं हैं कि पुरानी योजनाएं होने से उन्हें भरपूर पानी नहीं मिल रहा है। अब पानी के लिए गांव में झगड़े भी होने लगे हैं।

विकास के नाम पर सिर्फ झुनझुना-सीवर लाइन नहीं बनी।

-रोडवेज डिपो सपना है।

-सड़कों का हाल बेहाल है।

-बेस अस्पताल नहीं बना।

-लिंक मोटर मार्गों का निर्माण भी अधर में।

-जिला अस्पताल में डॉक्टरों का अभाव।

-नगर में नालियों का निर्माण हुआ ढकी नहीं गई।

-बच्चा पार्क का नहीं हुआ जीर्णोद्धार।

-गोमती तथा सरयू नदी में हो रहे खनन पर नहीं लगी रोक।

-दुग्ध संघ की स्थापना नहीं।

-सैंज गांव में होता है जलभराव, निकासी की योजना रह गई धरी की धरी।

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