जानें क्यों गणपति को लगता है 'मोदक' का भोग
गणेशजी को मोदक अत्यधिक पसंद है। गणेश पूजा के समय मोदक घर-घर में बनाया जाता है और पूजा में चढ़ाया जाता है। कहा जाता है कि पूर्वकाल में पार्वती देवी को देवताओं ने अमृत से तैयार किया हुआ एक दिव्य म
गणेशजी को मोदक अत्यधिक पसंद है। गणेश पूजा के समय मोदक घर-घर में बनाया जाता है और पूजा में चढ़ाया जाता है। कहा जाता है कि पूर्वकाल में पार्वती देवी को देवताओं ने अमृत से तैयार किया हुआ एक दिव्य मोदक दिया। मोदक देखकर कार्तिकेय व गणेश पार्वती जी से वह मोदक मांगने लगे। तब पार्वती जी ने कहा कि तुम दोनों में से जो सबसे पहले सभी तीर्थों का भ्रमण कर आएगा, उसी को मैं यह मोदक दूंगी।
जानें क्यों गणपति को लगता है 'मोदक' का भोग
माता की बात सुनकर कार्तिकेय ने मयूर पर उड़कर क्षणभर में सभी तीर्थों का स्नान कर लिया। इधर गणेश जी का वाहन मूषक होने के कारण वे तीर्थ भ्रमण में असमर्थ थे। तब गणेशजी श्रद्धापूर्वक माता-पिता की परिक्रमा करके खड़े हो गए। यह देख माता पार्वती जी ने कहा कि सारे तीर्थों में किया हुआ स्नान साधन माता-पिता के पूजन के सोलहवें अंश के बराबर भी नहीं हो सकते। इसलिए यह गणेश सैकड़ों पुत्रों और सैकड़ों गणों से भी बढ़कर है। इसलिए यह मोदक मैं गणेश को ही अर्पण करती हूं।
कहा जाता है कि बुधवार को गणेश जी को मोदक का भोग लगाना चाहिए। हिन्दू धर्म परंपराओं में बुधवार का दिन गणेश जी की उपासना का दिन है। इसी दिन मोदक या लड्डू चढ़ाने की भी परंपरा है। भगवान गणेश को बुधवार के दिन 5 या फिर 11 लड्डुओं का भोग लगाने से जीवन की समस्त बाधाओं से छुटकारा मिलता है।
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इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।
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